मन रहता है अशांत ? तो कर ले ये उपाय
मन की पकड़ संसार और उसके भोगों की तरफ रहती है। यह मन की बहुत पुरानी आदत है। सिर्फ इस जन्म की नहीं, बल्कि न जाने कितने जन्मों से यह पकड़ चली आ रही है। मन जैसा चाहता है, वैसा ही हम करते हैं या यूं कहें कि मन-मत होकर जीवन जी जाते हैं तो गलत नहीं होगा। सांसारिक विचार हमारे ऊपर असर नहीं डालते, बल्कि हमारे ही मन की कमजोरी दूसरों के विचारों को पकड़ लेती है।
इससे हमारा मन दुखी हो जाता है। फिर इसका दोष हम दूसरों पर डाल देते हैं।संसार में रमे मन का संसार से विमुख होना आसान नहीं, लेकिन नामुमकिन भी नहीं। जैसे ही आप आध्यात्मिकता का अभ्यास बढ़ाते जाएंगे, वैसे ही धीरे-धीरे मन और ज्यादा एकाग्र होना शुरू हो जाएगा। इसके बाद आपको ध्यान में बैठने के समय को थोड़ा बढ़ाना चाहिए।
यदि सुबह में उठने के बाद और रात में सोने से पहले 2 बार ध्यान के लिए बैठा जाए तो मन दिनभर शांत रहेगा।असलियत में मन अपने बिखरे स्वभाव के कारण सांसारिक ख्यालों में चला जाता है।
जब भी मन संसार के ख्यालों में जाए, तभी उसको अपने स्वरूप के साथ जोड़ दें। जितना होश में रहकर हम संसार में जाएंगे, उतना ही संसार का असर हमारे ऊपर नहीं आएगा। फिर हम अपने कर्मों के प्रति सजग होते जाते हैं। जीवन में जब ध्यान बढ़ता है, तब संसार के प्रति हमारा झुकाव कम होता चला जाता है। फिर कार्यों में कुशलता हमें संसार से निकलना सीखा देती है।
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