संयुक्त ग्रहों का फल
यदि दो या दो से अधिक ग्रह अपनी चाल के अनुसार चलते-चलते एक ही घर में पहुंच जाते हैं तो उनका अच्छा या बुरा प्रभाव जातक पर अवश्य पड़ता है। ऐसी स्थिति तब भी उत्पन्न होती है, जब दो ग्रहों की दृष्टि एक साथ किसी खाने पर पड़ती है। विभिन्न ग्रहों का संयुक्त प्रभाव ग्रहवार निम्नवत् है-
सूर्य
- सूर्य स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व का मालिक होता है। यदि सूर्य बृहस्पति के साथ पांचवें खाने में हो तो मान-सम्मान देता है।
- केतु के साथ 8 वें खाने में सूर्य के होने पर जातक अपनी पसन्द को प्राप्त करने में समर्थ होता है।
- यदि सूर्य बृहस्पति के साथ खाना नं. 9 में हो तो व्यक्ति मूर्ख होता है।
- यदि पांचवें खाने में सूर्य के साथ कोई अच्छा ग्रह आ जाए तो जातक काफी प्रभावशाली व्यक्ति होता है।
- यदि सूर्य केतु के साथ छठवें खाने में हो तो जातक पर सदा उदासी का आलम छाया रहता है।
- सूर्य और शनि के सातवें खाने में होने पर जातक दोहरे व्यक्तित्व वाला होता है।
- शनि के साथ आठवें घर में सूर्य के होने से जातक दोगली प्रवृत्ति का, मुंह पर वाहवाही तथा पीठ पीछे गाली देने वाला होता है।
मंगल - यदि मंगल चंद्र के साथ नं. 4 में हो तो व्यक्ति को प्रभावशाली बनाता है।
- सूर्य के साथ खाना नं. 5 में मंगल के होने पर जातक मानवता के प्रति दयालु एवं नम्र स्वभाव का होता है।
- बुध के साथ छठे घर में मंगल के होने पर जातक नकलची प्रवृत्ति का होता है।
- शनि के साथ आठवें घर में मित्र ग्रह के आने पर मंगल व्यक्ति की यश-कीर्ति बढ़ाने वाला सिद्ध होता है।
- शनि के साथ नं. 1 में मंगल के होने पर जातक संगीतप्रेमी होता है।
- बृहस्पति के साथ दूसरे खाने में मंगल के होने पर जातक कत्र्तव्यनिष्ठ एवं जिम्मेदार प्रवृत्ति का होता है।
- मंगल के साथ तीसरे खाने में शुक्र के होने पर जातक में किसी घटना की वास्तविकता ज्ञात करने की शक्ति आ जाती है।
- सूर्य के साथ पहले खाने मे मंगल के होने पर जातक में विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति होती है तथा वह ओजवान बनता है।
- मंगल और बृहस्पति के तीसरे खाने में होने से व्यक्ति न्यायप्रिय होता है।
- यदि मंगल बद के साथ चैथे खाने में राहु हो तो जातक को काफी मान-सम्मान प्राप्त होता है।
बृहस्पति
बृहस्पति के साथ सूर्य पांचवें खाने में होने पर जातक दुर्लभ कार्य सम्पन्न कराने वाला होता है।
बुध के साथ बृहस्पति छठे खाने में होने पर व्यक्ति मिथ्या आशावादी तथा तबाही फैलाने वाला होता है।
शुक्र के साथ खाना नं. 2 में बृहस्पति के होने पर व्यक्ति कामुक एवं हिंसक स्वभाव का होता है।
चंद्र के साथ चतुर्थ खाने में बृहस्पति के होने पर जातक को सहानुभूति वाला दयालु व्यक्ति बनाता है।
बृहस्पति अपने घर से नौवें खाने में होने पर जातक को आध्यात्मिक शक्ति सम्पन्न बना देता है।
राहु के साथ 12 वें खाने में बृहस्पति के होने पर जातक को काफी विश्वासपात्र तथा राजदार बना देता है।
शुक्र
शुक्र केतु के साथ छठे खाने में स्थित होने पर जातक सच्चा प्रेमी तथा प्यार पर कुर्बान होने वाला होता है। परन्तु केतु के होने से सन्तान नष्ट होने का संशय बना रहता है।
शुक्र बुध के साथ सातवें खाने में होने पर व्यक्ति जीवन में काफी तरक्की करने वाला होता है।
यदि शुक्र बृहस्पति के साथ पांचवें घर में हो तो जातक पक्का देशप्रेमी तथा स्वामिभक्त होता है।
अगर शुक्र चंद्र के साथ चतुर्थ खाने में हो तो जातक घनिष्ट मित्र, अति संवेदनशील, गहरे प्रेम का पुजारी एवं इश्क का दीवाना होता है। द्धितीय तथा तृतीय खानों में भी ऐसा ही प्रभाव होता है। परन्तु उस स्थिति में लम्बी उम्र त कवह प्रणय साधना में लगा रहता है।
शनि
शुक्र के साथ पहले खाने में शनि के होने पर जातक परम स्वार्थी तथा लालची हो जाता है।
यदि शनि-शुक्र दूसरे खाने में एक साथ हो तो जातक को आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है।
बुध के साथ तीसरे खाने में शनि के होने पर व्यक्ति काफी चाटुकार एवं स्वादिष्ट भोजन का प्रेमी होता है।
यदि शनि चंद्र के साथ चतुर्थ भाव में हो तो जातक पर मित्रता एवं इश्कबाजी की सनक सवार होती है।
अगर शनि बृहस्पति के साथ पंचम भव में हो तो जातक स्वाभिमानी तथा अपने गौरव को कायम रखने वाला होता है।
शनि केतु के साथ छठे भाव में हो तो व्यक्ति धैर्यवान होता है।
राहु के साथ शनि होने से व्यक्ति लड़ाई-झगड़ा करने वाला होता है।
शनि केतु के साथ होने पर व्यक्ति ऐशो-आराम का साजोसामान संग्रह कर लेता है तथा काफी विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
ग्रहों का मंदा असर वर्षफल में मन्दे ग्रहो के साथ आ जाने के कारण होता है। इसी प्रकार अच्छा ग्रह अच्छे प्रभाव तभी देता है, जब वर्षफल के अनुसार वह अच्छे घर में जाता है। सभी ग्रह अपनी चाल एवं स्थिति के अनुसार ही अच्छे-बुरे प्रभाव देते हैं। सारी उम्र कोई भी ग्रह खराब फल नहीं देता।