आम आदमी के अंतर्मन पर बहुत कम समय में अपना असर छोडऩे वाले पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राशि और लग्न दोनों वृषभ है। लग्न का चंद्रमा जहां इनके व्यक्तित्व को आकर्षक बना रहा है वहीं मित्र सूर्य के घर में बैठा बुध इन्हें बेहतर वक्तृत्व शैली भी प्रदान कर रहा है।
बुध के साथ-साथ स्वगृही सूर्य की उपस्थिति बुद्धादित्य नामक राजयोग निर्मित करते हैं तथा लाभ स्थान के राहु ने इनके लिए एक नई जगमगाती कथा लिखी। इसी राहू ने इन्हें पद और प्रतिष्ठा के काबिल बनाया।
पराक्रम भाव में आसीन मंगल जहां इन्हें पराक्रमी और पुरुषार्थी बना रहा है वहीं इन्हें जुनून भी प्रदान कर रहा है। वर्तमान में इनकी बृहस्पति की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है जो इनके लिए लाभ के बड़े द्वार खोल रहा है।
अब एक नजर उनके जीवन पर डालें तो मंगल में केतु की दशा में उन्होंन १९८९ में आई.आई.टी. किया तथा राहु में शनि के अंतर में १९९२ में वे आई.आर.एस. में आ गए। यहां आकर उन्होंने भ्रष्टाचार देखा। २००० में राहु में शुक्र का अंतर चल रहा था, उस समय उन्होंने छुट्टी ले ली और नागरिक आंदोलन, परिवर्तन की शुरूआत की। और जब फरवरी २००६ में जब गुरू में राहु का प्रत्यंतर चल रहा था तब उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इस समय अरुणा राय और इनके प्रयास से आर.टी.आई. का कानून संसद में पास कर दिया गया। ६ फरवरी २००७ जब गुरू में शनि का अंतर चल रहा था तो लोग २००६ के लिए लोक-सेवा में सीएनएन-आईबीएन ”इस वर्ष का भारतीय “Indian Of The Year” नामित किया गया। गुरू में शुक्र का अंतर प्रारंभ हुआ जून २०१२ से, यहीं से उन्होंने अन्ना के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल के लिए बड़ा आंदोलन किया जिसे आगे चलकर अगस्त क्रान्ति का नाम दिया गया। परन्तु इस आंदोलन में बड़ी राजनैतिक पार्टियों का सहयोग नहीं मिला और यहीं पर शुक्र की अंतरदशा में ही अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत की और ‘आप पार्टी की स्थापना की और दिल्ली विधान सभा में २८ सीटें जीतकर देश की राजनीति में खलबली मचा दी।
6नवंबर, 2013 से आरंभ शुक्र के अंतर में चंद्रमा के प्रत्यंतर ने अरविंद केजरीवाल के लिए सफलता के द्वार पर नए तोरन बांधे। पर, 16मार्च, 2014 से शनि का प्रत्यंतर शुभता में कुछ अशुभ रंग का समावेश भी समावेश कर रहा है। यह काल साजिशों के नए समीकरण रचता हुआ नजर आ रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पांच महीने बेहतर नहीं नजर आ रहे।
बृहस्पति में शुक्र की अंतर्दशा जहां अरविंद को नई उड़ान दे रही है वहीं 28फरवरी 2015 से प्रारंभ होने वाली सूर्य की अंतर्दशा उन्हें नए पंख प्रदान करेगी। सूर्य की अंतर्दशा उन्हें जरूर बड़ा पद या हैसियत प्रदान करेगी। बड़े-बड़े दिग्गजों को बेचारा बना देने वाले अरविंद केजरीवाल आगे भी अनेक खास को आम बना देने का कौशल दिखाते रहेंगे।
3 नवंबर 2014 को शनि का वृश्चिक में प्रवेश अगले ढाई वर्षों में कभी भी अरविंद को स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है। इन पर नए-नए आरोप लगेंगे। पर, हर आरोप इन्हें नई ऊंचाई पर ले जाता नजर आएगा।
पुरुषार्थ के मंगल और नए-नए आरोपों की मदद से एक आम आदमी अरविंद केजरीवाल एक महानायक का रूप अख्तियार कर लेगा पर मार्च 2014 से अगस्त 2014 तक का काल कुछ निराशा के बीज बो सकता है।
Pt.P.S Tripathi
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