92
- यह मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है. मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं. तुलसी विवाह का महत्व है कि इस अद्भुत रीति से भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होती है.
- हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है और इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है. प्रति वर्ष तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम के साथ किया जाता है.
- यह मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है. मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं. तुलसी विवाह का महत्व है कि इस अद्भुत रीति से भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होती है. इस साल तुलसी विवाह का आयोजन विशेष पूजा-विधि के साथ कई स्थानों पर किया जाएगा.
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
- इस साल तुलसी विवाह का पर्व 23 नवंबर, गुरुवार से शुरू है. पंचांग के अनुसार इस 23 तारीख को रात 9:05 मिनट में से शुरू होकर अगले दिन यानी 24 नवंबर को शाम 5 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. इस साल उदय तिथि अनुसार, 24 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाएगा.
तुलसी विवाह की मान्यता
- सनातन धर्म के पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा में लीन रहते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी जी का विवाह किया जाता है और यह परंपरा सालों से चली आ रही है. इस विवाह का आयोजन भगवान के शालीग्राम अवतार के साथ होता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. तुलसी विवाह के बाद से ही शादी विवाह का मुहूर्त भी शुरू होता है.