Sankashti Chaturthi 2019: आमतौर पर हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ भगवान गणेश की पूजा के साथ किया जाता है। लेकिन विनायक चतुर्थी एक ऐसा उत्सव है जिस दिन विशेषरुप से श्रीगणेश की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ठी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं।
माना जाता है कि इस खास दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को पूरे विधि विधान से इनकी पूजा करनी चाहिए। इस लेख में हम आपको संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने की सही विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
श्रीगणेश की पूजा की विधि
सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रिया करने के बाद साफ पानी से स्नान करें और फिर लाल रंग का वस्त्र पहनें।
दोपहर के समय घर में देवस्थान पर सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी या फिर तांबे की श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद संकल्प करें और षोडशोपचार पूजन करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
‘ॐ गं गणपतयै नम:’ का जाप करें
अब भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाएं और ‘ॐ गं गणपतयै नम:’ का जाप करते हुए 21 दूर्वा भी चढ़ाएं। इसके बाद श्रीगणेश को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं और इन लड्डूओं को चढ़ाने के बाद इनमें से पांच लड्डू ब्राह्मणों को दान कर दें, जबकि पांच लड्डू गणेश देवता के चरणों में छोड़ दें और बाकी प्रसाद के रुप में बांट दें। पूरी विधि विधान से श्री गणेश की पूजा करते हुए श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
पूजा संपन्न होने के बाद शाम के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपना उपवास खोलें और खुद भी फलाहार या भोजन करें। संकष्टी चतुर्थी पर इस तरीके से पूजा करना सफल होता है और घर में सुख एवं समृद्धि से भर जाता है।