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जानिए पूजा-पाठ के कार्यों में किन बातों का रखना होता है ध्यान

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हिंदू धर्म में कोई भी पूजा विधि विधान के साथ संपन्न की जाती है। पूजा साधना के समय बहुत सी बातें ऐसी होती है जिन पर सामान्यत: किसी का ध्यान नहीं जाता लेकिन धर्म शास्त्रों को मानने वाले लोग इन बातों का पालन करते हैं। जैसे गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता तो वहीं दीपक से दीपक को जलाना अशुभ माना जाता है। जानिए पूजा-पाठ के कार्यों में और किन बातों का रखना होता है ध्यान…

1. गणेशजी, शिवजी और भैरव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है।

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2. कुंद का फूल शिव को माघ महीने को छोड़कर बाकी दिन निषेध है।

3. पूजा में प्रयोग किये जाने वाले तुलसी के पत्ते बिना स्नान किये तोड़ने से उसे देवता स्वीकार नहीं करते।

4. रविवार के दिन दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए।

5. केतकी पुष्प शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए लेकिन इनका इस्तेमाल कार्तिक माह में विष्णु की पूजा में अवश्य करें।

6. देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नहीं चाहिए साथ ही दीपक से दीपक भी नहीं जलाना चाहिए। इससे दरिद्रता आती है।

7. शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नहीं होता। साथ ही जो मूर्ति स्थापित हो उसमें आवाहन और विसर्जन नहीं होता। मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन किया जाता है और अंत में शास्त्रीयविधि अनुसार उसका गंगा प्रवाह भी किया जाता है।

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8. पिघला हुआ घी और पतला चन्दन नहीं चढ़ाना चाहिए।

9. द्वादशी, संक्रांति, रविवार, पक्षान्त और संध्याकाल में तुलसीपत्र न तोड़ें जाते।

10. प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए।

11. आसन, शयन, दान, भोजन, वस्त्र संग्रह, विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी जाती है।

12. दक्षिणाभिमुख दीपक को न रखें। दीपक से अगरबत्ती जलाना भी दरिद्रता का कारक होता है।

13. शालिग्राम पर अक्षत यानी साबुत चावल नहीं चढ़ता। लेकिन लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है।

14. पंचामृत में अगर सभी वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से ही पंचामृतजन्य फल जाता है।

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15. हाथ में धारण किये हुए पुष्प यानी फूल, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र माना जाता है।