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बेहद नुकसानदायक होते पितृ दोष ! जानें उपाय

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पितृ दोष की वजह से जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कहा जाता है कि अगर पितृ दोष के उपाय समय से ना किए जाएं तो आर्थिक संकट, तरक्‍की में रुकावट, पारिवारिक कलह जैसी परेशानियों का साना करना पड़ता है.हर साल आश्विन मास की अमावस्या तिथि से 15 दिन के लिए पितृ पक्ष होता है. इस दौरान पूर्विजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में ऐसा करने से पितर देव के साथ-साथ अन्य देवतागण भी प्रसन्न होते हैं.  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष की अवधि पितृ दोष से निजात पाने के लिए भी उत्तम होता है. मान्यानुसार, पितृ दोष की शांति बहुत जल्द करवा लेना उचित होता है, नहीं तो इस दोष के कारण जीवन में एक के बाद एक मुसीबतें आती रहती हैं.

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पितृ दोष के लक्षण क्या हैं

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब मृतक अंतिम संस्कार विधि पूर्वक नहीं किया जाता है या किसी की अकाल मृत्यु जो जाती है. ऐसे में परिवार को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है. कहा जाता है कि पितृ दोष का असर पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है जब तक कि उसका उपाय ना कर लिया जाए. पितृ दोष के कारण ही परिवार को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है. तरक्की में बाधा उत्पन्न होती रहती है. घर में कलह-क्लेश होता रहता है. इसके साथ ही परिवार के सदस्यों की मानसिक शांति भंग हो जाती है. संतान सुख नहीं मिलता है. परिवार के सदस्य बुरी संगत में फंस जाते हैं. नौकरी या व्यापार में भरपूर मेहनत के बावजूद भी अनुकूल फल नहीं मिलता है.

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पितृ दोष दूर करने के उपाय 

-पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध और पिंडदान करें. पितृ पक्ष में किए गए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इसके साथ ही दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीप लगाकर रोज उनको प्रणाम करें. ऐसा करने से पितृ दोष से राहत मिल सकती है.

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– पितृ दोष के छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ जल अर्पित करें. ऐसा अगर अमावस्या तिथि को करते हैं तो उत्तम फलदायी होगा. अमावस्या के दिन पीपल में जल से साथ-साथ ही फूल, अक्षत, दूध और काले तिल भी चढ़ाएं.

– पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय यह भी है कि रोजाना शाम को दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं. यदि ऐसा संभव न हो तो भी कम से कम पितृ पक्ष के दौरान ऐसा जरूर ऐसा करें.

पितृ तर्पण: 

यह एक प्रमुख उपाय है जिसमें पितृओं के लिए भोजन, पानी, और अन्य आवश्यक चीजें उन्हें अर्पित की जाती हैं। इसके लिए कई विधियाँ हैं जो विभिन्न सम्प्रदायों और परंपराओं में प्रचलित हैं।

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श्राद्ध कर्म:

यह भी पितृ दोष को दूर करने में सहायक होता है, जिसमें उनके नाम पर यात्रा, पुण्य कर्म, और दान करना शामिल होता है।

पितृगण ध्यान एवं प्रार्थना:

पितृगण के प्रति ध्यान और उनकी प्रार्थना करना भी दोषों के निवारण में सहायक हो सकता है।

कर्मकांड, हवन, और पूजा:

धार्मिक रीतियों और परंपराओं में प्रायः इनका अध्ययन कर विशेष कर्मकांड, हवन, और पूजा करने से भी पितृ दोष दूर हो सकता है।

अच्छे कर्म करना:

पितृ दोष को दूर करने के लिए अच्छे कर्म करना भी महत्वपूर्ण होता है। अपने परिवार और समाज में दान, सेवा, और उपकार करना इसमें शामिल होता है।

 गुरु और साधुओं से सलाह:  

यदि संभव हो तो गुरुओं और साधुओं से पितृ दोष से संबंधित सलाह लेना उपयुक्त हो सकता है।

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