इस डायरी का एक फायदा यह भी है कि जिन दवाइयों से आपको एलर्जी है, डॉ. आपको उन्हें लेने का सुझाव नहीं देंगे। एक वरिष्ठ डॉक्टर बताते हैं कि एक बार एक पेशेंट मेरे पास त्वचा संबंधी किसी रोग के लिए आए और उन्होंने मुझे अपनी हेल्थ डायरी दिखाई जिससे मुझे पता चला कि उन्हें ग्लूटन इंनटोलरेंस की समस्या हो चुकी है। इससे मुझे उनकी समस्या का पता लगाने में आसानी हुई। यह पता चला कि यह त्वचा संबंधी समस्या उन्हें भोजन से एलर्जी के कारण हुई है। वे कहते हैं कि हेल्थ डायरी से आपके शारीरिक व्यवहार को पहचानना आसान हो जाता है।
डॉक्टर कहते हैं कि लोग अक्सर कुछ समय बाद प्रिस्क्रिप्शन गँवा देते हैं या फेंक देते हैं लेकिन लोगों को डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन भी फाइल करके रखना चाहिए और हेल्थ डायरी भी बनाना चाहिए। इस डायरी को रोज अपडेट करने की जरूरत भी नहीं है। आप जब भी मेडिकल चेक-अप कराएँ या डाइट में कोई फेरबदल करें, तब लिख दें। हेल्थ डायरी की मदद से आप अपने मेडिकल प्रोफाइल को भी याद रख सकेंगे। बहुत से लोगों से पूछा जाता कि आपको अंतिम बार कब ब्लड प्रेशर की समस्या हुई थी तो वे बता नहीं पाते हैं। यह समस्या 10 या 15 साल पुरानी भी हो सकती है।
अगर आपने इसे हेल्थ डायरी में लिखा हुआ हो तो आप आसानी से बता सकते हैं। इस हेल्थ डायरी में आपको मेडिकल की विशिष्ट शब्दावली में लिखने की जरूरत नहीं है। इसे आप साधारण भाषा में ही लिखें, जिसे
आप आसानी से समझ सकें। इस डायरी में अधिक विस्तार से लिखने की भी जरूरत नहीं है। तो फिर देर किस बात की? आज ही बना डालिए अपनी हेल्थ डायरी!
रखें इस बातों का ध्यान:
* कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।
* घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इक_ा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों के ढक्कन लगाकर रखें।
हेल्थ डायरी बनांए, नियमित जीवनशैली अपनाएं
अक्सर लोग अपने खर्चों का बाकायदा डायरी में हिसाब रखते हैं। कुछ लोग पर्सनल डायरी बनाते हैं। तो इन्हीं के साथ अब आप एक हेल्थ डायरी भी बना लीजिए। इस डायरी में आप अपनी हेल्थ का हिसाब रख सकते हैं जैसे कि आप कब बीमार हुए थे, आपको क्या बीमारी हुई थी, आपके परिवार में कौन-सी बीमारियां अनुवांशिक हैं, आपको व परिवार के सदस्यों को कौन-सी दवाइयों से एलर्जी हैं, खाने की कौन-सी चीज आप पचा नहीं पाते हैं। इस तरह की तमाम बातें आप अपनी हेल्थ डायरी में दर्ज कर सकते हैं। करें।
* कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढिय़ां चढऩे और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
* 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।