’लाल किताब’ से जानें क्या होता हैं मातृ ऋण…
मातृ ऋण
’लाल किताब’ ने थे घर के केतु को चन्द्र पीड़ित अर्थात मातृ-ऋण दोष माना है। कारण- संतान होने के पश्चात् जातक द्धारा माता को कष्ट पहुंचाना, दुःख देना और खुद मानसिक रूप् से परेशान रहने पर माता को सताना। पहचान- घर से कुछ दूरी पर स्थित नदी-कुआं पूजने के बजाय कुआं-दरिया में गंदगी डालना मातृ ऋण दोष की ओर इंगित करता है।अनिष्ट फल- अचानक सम्पत्ति का नष्ट होना, घर मे पशुओं की मृत्यु, शिक्षा प्राप्ति में बाधा, घर में अचानक मृत्यु या मृत्युतुल्य दशा अथवा आत्महत्या करने की स्थिति पैदा होना। अगर कोई व्यक्ति उपरोक्त स्थिति में सहायता करने की कोशिश करता है तो वह भी संकटो से घिर जाता है।
उपाय- अपने वंशजों के प्रत्येक व्यक्ति से समभाग चांदी लेकर नदी मे प्रवाहित करें। माता को सम्मान तथा उपहार दें। कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिलेगी।