Rudrabhishek:जानें रुद्र अभिषेक पूजा के महत्व और सही विधि ?
ऐसे करें रुद्राभिषेक
1- यदि आप अपने घर में रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो सबसे पहले एक थाली में शिवलिंग स्थापित करें.
2- एक थाली में फूल अगरबती, घी, दही, कच्चा दूध, जल, मिठाई, गंगाजल, कपूर, सुपारी, बेल पत्र आदि लगाकर रख लें. फिर पूर्व दिशा में आसन लगाकर बैठें.
3- शिवलिंग के दायीं ओर घी का दीपक जला कर रख दें.
4- ॐ नम शिवाय का जाप करते हुए बेलपत्र, दीपक और फूल अर्पित करें.
5- ॐ नम शिवाय के जप के साथ ही पंच पदार्थों जैसे- कच्चा दूध, दही, शहद, घी और बूरा को शिवलिंग पर चढ़ाएं.
6- इसके बाद गंगाजल चढाएं, शिवलिंग को साफ कर लें और दाहिनी उंगली से चंदन लगाएं.
7- शिवलिंग पर वस्त्र, जनेऊ चढाएं, धूप, दीप जलाएं, बेलपत्र दूव घास चढाएं.
8- रुद्राभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करें.
रुद्र अभिषेक पूजा के समग्री
शिवलिंग के अभिषेक से पहले इन चीजों को एकबार देख लें कि यह सभी चीजें हैं या नहीं। अभिषेक के लिए गाय का घी, चंदन, पान का पत्ता, धूप, फूल, गंध, बेलपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, ताजा दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत, गन्ने का रस, नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल, पानी, सुपारी और नारियल आदि की सही तरीके से व्यवस्थाय कर लें। अगर आप अन्य सुंगधित पदार्थ शिवलिंग पर अर्पित करना चाहते हैं तो वह भी लेकर पूजा से पहले ही रख लें। इसके साथ ही श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल या फिर अन्य धातु की भी बाजार में उपलब्ध होता है। रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है। इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है। शिवलिंग से बहने वाले पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें और फिर वेदी पर रखें।
ये है महत्व
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने की एक विशेष पूजा है, जिसका फल और महत्व भी खास होता है. माना जाता है कि यदि भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दूध से किया जाता है तो व्यक्ति की आयु लम्बी होती है. माना जाता है कि शहद से अभिषेक करने से व्यक्ति समस्याओं से मुक्त हो जाता है. वहीं, घी से भगवान शिव का अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है, ऐसी मान्यता है. माना जाता है कि दही से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और निसंतान दम्पति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. इस प्रकार मान्यता है कि भगवान शिव का अभिषेक करने से आपको धन, धान्य समेत सर्व फल प्राप्त होते हैं.
जानें विधि :
नवग्रहों के लिए आसन तैयार करते हैं। पूजा शुरू करने से पहले। पूजा की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, गणेश की पूजा की जाती है, और भगवान का आशीर्वाद मांगा जाता है। इसके अतिरिक्त, भक्त ने पूजा के प्रयोजन के लिए संकल्प का जाप किया। 400;”>इस क्रम में नौ ग्रह, पृथ्वी माता, गणेश, देवी लक्ष्मी, भगवान ब्रह्मा, गंगा मां, भगवान सूर्य और भगवान अग्नि, कुछ सार्वभौमिक देवता हैं जिनकी पूजा के दौरान पूजा की जाती है। शिवलिंग को वेदी पर रखा जाता है पूजा के बाद अभिषेक के दौरान मूर्ति से बहने वाले पानी को पकड़ने की तैयारी की जाती है। अंत में, पंडित भगवान को विशेष भोजन देते हैं और आरती करते हैं। पंडित गंगा जल को पीने के लिए चढ़ाते हैं और अभिषेक से इकट्ठा करके भक्तों पर छिड़कते हैं। सभी पापों और बीमारियों का नाश होता है। इस पूजा के दौरान, लोग लगातार “O नमः शिवाय” का जाप करते हैं।