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लग्न से लेकर सप्तम भाव पर्यन्त राहु-केतु के मध्य या केतु-राहु के मध्य फंसे ग्रहों के कारण अनन्त कालसर्पयोग बनता है। ऐसे जातक को व्यक्तिक निर्माण के लिए,आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता हैं।
इसका प्रभाव इनके गृहस्थ जीवन पर भी पडता है।तथा इनका वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है। ऐसा मनुष्य अपने कुटुम्बियों से नुकसान पाता है। मानसिक परेशानी पीछा नहीं छोडती। एक के बाद एक अनन्त मुसीबत आती ही रहती है। अपने व्यक्तित्व निर्माण हेतू निरन्तर संघर्ष बना रहता है।