बृहस्पति प्रथम भाव में
अगर बृहस्पति प्रथम भाव में हो तो पुखराज धारण करने से जातक को विद्या लाभ होता है,धन सम्पत्ति,पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। बड़े से बड़ा कष्ट भी उसके ऊपर आ जाए तो वह बच निकलता है। धार्मिक/तीर्थ यात्राएं होगी।
1.मेष लग्न – इस कुण्डली में गुरू नवमेश-द्वादशेश बनता है। अतःपुखराज धारण करने से भाग्योदय होता है। मान प्रतिष्ठर मिलती है। पुत्र सुख मिलता है।
2.वृष लग्न – गुरू अष्टमेश-लाभेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। विरासत में धन सम्पत्ति मिले। किसी अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ होगा।
3.मिथुन राशि – गुरू सप्तमेश-दशमेश बनता है पुखराज धारण करने से पति-पत्नी सुख में वृ़िद्ध होती है,कामकाज,नाकरी करने वाली पत्नी मिले।
4.कर्क लग्न – गुरू षष्ठेश – नवमेश होकर लग्न में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से विदेश यात्रा का अवसर प्राप्त होगा,धन सम्पत्ति का लाभ होगा।
5. सिंह लग्न – गुरू पंचमेश – अष्टमेश होकर लग्न में स्थित होगा।पुखराज धारण करने से सन्तान सुख प्राप्त होगा,गुप्त धन लाभ होगा।
6.कन्या लग्न – गुरू चतुर्थेश -सप्तमेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से घरेलू सुख समृद्धि बढ़ेगी,पति -पत्नि सुख रहेगा।मकान/वाहन का लाभ होगा।
7.तुला लग्न – गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करना इतना लाभदायक नहीं।शुभ – अशुभ मिश्रित फल प्राप्त होंगे।
8.वृश्चिक लग्न – गुरू द्वितीयेश-पंचमेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन सम्पत्ति बढे़गी। सन्तान सुख रहेगा। हर कार्य में सफलता मिलेगी।
9.धनु लग्न – गुरू लग्नेश – चतुर्थेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से मकान-वाहन सुख प्राप्त होगा।सेहत में भी सुधार होगा।हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
10.मकर लग्न – गुरू द्वादशेश – तृतीयेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से जातक परिश्रमी बनेगा। पुखराज धारण करें । परन्तु सेहत के लिए अच्छा नहीं।
11.कुम्भ लग्न – गुरू द्वितीयेश – लाभेश होकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी तथा आर्थिक स्थिति मजबुत होगी। पुखराज अवश्य पहनें।
12.मीन लग्न – गुरू दशमेश – लग्नेश बनकर लग्न में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से नौकरी में पदोन्नति होगी,मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी। सेहत अच्छी रहेगी। व्यापारियों के लिए विशेष लाभदायक रहेगा।