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जब शनि प्रथम भाव में हो तो इसका प्रभाव…

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शनि प्रथम भाव में

अगर शनि प्रथम भाव में हो तो जातक वहमी,स्वार्थी होता है,भाई-बहनों से उसके सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते,पत्नी से भी मन मुटाव रहता है। कामकाज में भी अड़चन पड़ती है।नीलम धारण करने से इन अशुभ फलों में वृद्धि होगी,अतः नीलम सोच समझ कर ही पहनें।

1.मेष लग्न –

इस लग्न की कुण्डली में शनि दसवें-ग्यारहवें घर का मालिक होकर प्रथम भाव में नीच राशि में होगा। नीलम धारण करने से स्वास्थ्य खराब होगा,सिर दर्द रहेगा,अशान्ति रहेगी।

2.वृष लग्न –

शनि नवें-दसवें घर का मालिक होकर योग कारक होगा। नीलम धारण करना लाभदायक है मगर पति-पत्नी सम्बन्धी अच्छे न रहेंगे।

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3.मिथुन लग्न –

शनि सप्तमेश – अष्टमेश होकर लग्न में शत्रु राशि में होगा। नीलम धारण करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा न होगा।

4.कर्क लग्न –

शनि सप्तमेश – अष्टमेश होकर लग्न में शत्रु राशि में होगा। नीलम धारण करना स्वास्थ्य के लिए अशुभ है।

5.सिंह लग्न –

शनि षष्ठेश – सप्तमेश होकर लग्न में स्थित होगा। नीलम धारण करने से चोट आदि का भय रहेगा।

6.कन्या लग्न –

शनि पंचमेश षष्ठेश होकर लग्न में स्थित होगा। नीलम धारण करना इतना हानिकारक नहीं।

7.तुला लग्न –

शनि चतुर्थेश – पंचमेश होकर लग्न में स्थित होगा। ऐसा शनि योगकारक होकर लग्न में उच्च राशि में स्थित होगा। नीलम धारण करना लाभदायक रहेगा।परन्तु पति अथवा पत्नी सुख के लिए अच्छा न होगा।

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8.वृश्चिक लग्न –

शनि द्वितीयेश – तृतीयेश होकर लग्न में शत्रु राशि में स्थित होगा। नीलम धारण करना अत्यन्त हानिकारक सिद्ध होगा।

9.धनु लग्न –

शनि द्वितीयेश – तृतीयेश होकर लग्न में स्थित होगा। नीलम धारण करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। जातक परिश्रमी भी बनेगा।

10.मकर लग्न –

शनि लग्नेश – द्वितीयेश होकर लग्न में स्थित होगा। नीलम धारण करने से स्वास्थ्य में सुधार होगा। तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।

11.कुम्भ लग्न –

शनि द्वादशेश – लग्नेश होकर लग्न में स्थित होगा। नीलम धारण करने से भाई बन्धुओं से झगड़़ा होगा,पति/पत्नी में क्लेश होगा।

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12.मीन लग्न –

शनि लाभेश -द्वादशेश होकर लग्नेश में स्थित होगा। नीलम धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी।