धर्मशास्त्र के अनुसार स्वर्ग में शंकर भगवान के ‘सिर’, पृथ्वीलोक पर ‘शिव-लिंग’ और पाताल में उनके ‘पैरों’ की पूजा का विधान है। पूजा के आधार पर ही इनकी संख्या घटती-बढ़ती है।
सावन में पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है। शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया है। कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन शुरू किया था। शिव महापुराण के मुताबिक इस पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।
धर्मशास्त्र के अनुसार स्वर्ग में शंकर भगवान के ‘सिर’ की, पृथ्वीलोक पर ‘शिव-लिंग’ की तथा पाताल में उनके ‘पैरों’ की पूजा का विधान है। भगवान शिव की पूजा जीवन व मन से सारे कलह-क्लेश मिटाकर हर सुख देने वाली मानी गई है। शास्त्रोक्त विधि-विधान से की गई शिवलिंग पूजा शीघ्र ही भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है। शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानि उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा और अभिषेक शीघ्र फल देने वाला माना गया है।
पुराणों के मतानुसार शिवलिंग पूजन, विश्वरूपी शिव का पार्थिव पूजन है। पृथ्वी पर रहने वालों को केवल इसी अंग की आराधना करने का अधिकार है। वे शिव के संपूर्ण अनंत स्वरूप की आराधना एक साथ नहीं कर सकते। स्वर्ग में शिवजी के ‘सिर की, पृथ्वी पर ‘शिवलिंग’ की तथा पाताल में उनके ‘पैरों’ की पूजा की जाती है। मंदिरों में स्थापित शिवलिंगों में ही उनकी पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन पार्थिव लिंगार्चन का विशेष महत्व है, जिसकी विधि, पुराणों, विशेषकर शिव पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है। शिव उपासना से कामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है। पार्थिव शिवलिंग पूजा मनचाहे सुख देती है। संतान प्राप्ति के लिए उपाय सोमवार, चतुर्दशी, महाशिवरात्रि, सावन माह या कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर प्रारंभ किया जाता है। पार्थिव शिवलिंग में भगवान शिव के पूजन का आधार यह है कि भगवान हर कण में विद्यमान हैं।
संतान की कामना रखने वाले पति-पत्नी दोनों प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखें। भगवान शिव के प्रति पूर्ण श्रद्धा से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण गंगा की मिट्टी से करें अथवा गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग का निर्माण करें। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद इनकी गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करें या किसी योग्य कर्मकाण्डी ब्राह्मण द्वारा संपन्न करवाएं। पार्थिव लिंग के अभिषेक का पवित्र जल दोनों पति-पत्नी प्रसाद रूप में ग्रहण करें और भगवान शिव से संतान पाने के लिए प्रार्थना करें। यह प्रयोग कम से कम 21 दिनों तक पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने पर शिव कृपा से पुत्रादि की कामना जल्द पूरी हो जाती है।
पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन हर कोई कर सकता है। चाहे वो पुरूष हो या महिला। पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि-विधान से पूजा करने से दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है।
शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। हर दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक और परलोक में भी अखण्ड शिव भक्ति मिलती है।