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 संतान बाधा ? तो करें ज्योतिष उपाय

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 संतान बाधा ? तो करें ज्योतिष उपाय

शादी गृहस्थाश्रम का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होती है. जैसे शादी के बिना किसी भी इंसान का जीवन अधूरा रहता है उसी प्रकार शादी के बाद बिना संतान के भी परिवार पूरा नहीं होता है. ऐसा माना जाता है कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती है तब तक उसका जीवन संपूर्ण नहीं होता है. कई बार लाख चाहने के बाद भी कुंडली में संतान योग नहीं बनता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की जन्म कुंडली के द्वारा ग्रहों की दशा का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है. कुंडली के द्वारा यह पता किया जा सकता है कि जातक की कुंडली में संतान योग है या नहीं.

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है  कि अगर कुंडली में पंचम पर शुभ ग्रहों की छाया पड़ रही हो तो संतान योग बनता है. इसके अलावा कुंडली में शुक्र मजबूत होना भी अच्छा होता है. कुंडली में शुक्र के मजबूत होने से संतान प्राप्ति के योग प्रबल हो जाते हैं. कुंडली में बृहस्पति का शुभ होना बहुत ही उत्तम होता है. इसके अलावा जातक की कुंडली में लग्नेश और पंचमेश का संबंध होने से भी संतान प्राप्ति के लिए अच्छा योग बनता है. बृहस्पति का लग्न में या एकादश में होना और कुंडली में बृहस्पति की महादशा होने से भी संतान प्राप्ति के बीच में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं. अगर शुक्र की दृष्टि पंचम पर हो या वह पंचमेश में मौजूद हो तो इन परिस्थितियों में संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

अगर शुभ ग्रहों के योग पर पाप ग्रहों की छाया पड़ रही हो तो संतान प्राप्ति में दिक्कत हो सकती है. जैसे अगर कुंडली में पंचम स्थान पर राहु की छाया पड़ रही है तो संतान प्राप्ति में बाधाएं आ सकती हैं. कुंडली में पंचम पर पाप ग्रहों की दृष्टि पढ़ने से नकारात्मक योग  बन सकता है. ऐसा होने से संतान प्राप्ति में अड़चन आ सकती है. कभी कभी ऐसा होने से मृत संतान पैदा होती है.

कुंडली में संतान बाधा योग व उपाय-

जन्म कुंडली से संतान बाधा विचार –

  •  ज्योतिष के प्राचीन फलित ग्रंथों में संतान सुख के विषय पर बड़ी गहनता से विचार किया गया  है| भाग्य में संतान सुख है या नहीं, पुत्र होगा या पुत्री, संतान कैसी निकलेगी, संतान सुख कब मिलेगा और संतान सुख प्राप्ति में क्या बाधाएं हैं और उनका क्या उपचार है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर पति और पत्नी की जन्म कुंडली के विस्तृत गहन अध्ययन व विश्लेषण से प्राप्त हो सकता है|
  • संतति सुख के लिए कुंडली के पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्‍यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।
  • जब लग्न एवम चंद्रमा से पंचम भाव में निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु, नीच राशि नवांश में स्थित हों ,पंचम भाव पाप कर्तरी योग से पीड़ित हो, पंचमेश और गुरु अस्त, शत्रु, नीच राशि नवांश में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों,  गुरु से पंचम में पाप ग्रह हो, षष्टेश अष्टमेश या द्वादशेश का सम्बन्ध पंचम भाव या उसके स्वामी से होता हो,
  • सप्तमांश लग्न का स्वामी जन्म कुंडली में 6,8 12 वें भाव में अस्त, शत्रु, नीच राशि नवांश में स्थित हों तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है| जितने अधिक कुयोग होंगे उतनी ही अधिक कठिनाई संतान प्राप्ति में होगी|
  • पांचवें या सातवें स्थान में सूर्य एवं राहू एक साथ हों। पांचवें भाव का स्वामी बारहवें स्थान में व बारहवें स्थान का स्वामी पांचवें भाव में बैठा हो और इनमें से कोई भी पाप ग्रह की पूर्ण दृष्टि में हो।
  • पुत्रेश पाप ग्रहों के मध्य हो तथा पुत्र स्थान पर पाप ग्रह हो ,शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो संतान सुख बाधित होता है।
  • आठवें स्थान में शुभ ग्रह स्थित हो साथ ही पांचवें तथा ग्यारहवें घर में पापग्रह हों। सप्तम स्थान में मंगल-शनि का योग हो और पांचवें स्थान का स्वामी त्रिक स्थान में बैठा हो।
  • पंचम स्थान में मेष या वृश्चिक राशि हो और उसमें राहू की उपस्थिति हो या राहू पर मंगल की दृष्टि हो। शनि यदि पंचम भाव में स्थित हो और चंद्रमा की पूर्ण दृष्टि में हो और पंचम भाव का स्वामी राहू के साथ स्थित हो।
  • मंगल दूसरे भाव में, शनि तीसरे भाव में तथा गुरु नवम या पंचम भाव में हो तो पुत्र संतान का अभाव होता है। यदि गुरु-राहू की युति हो। पंचम भाव का स्वामी कमजोर हो एवं लग्न का स्वामी मंगल के साथ स्थित हो अथवा लग्न में राहू हो, गुरु साथ में हो और पांचवें भाव का स्वामी त्रिक स्थान में चला गया हो।

मन्त्र-

“ओम पार्वतीप्रिय नन्दनाय नमः

इस उपाय को लगातार 45 दिनों तक रोज करने से संतान प्राप्ति होती है. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संतान प्राप्ति के लिए की गई इस साधना में कोई भी विघ्न नहीं आना चाहिए. सच्चे मन से ऊपर बताए गए मंत्र का जाप करने से बहुत जल्दी संतान प्राप्ति के योग बनते हैं.

9- शास्त्रों में संतान प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम उपाय बताया गया है. यदि कोई महिला संतान प्राप्त करना चाहती है  तो पलाश के पांच कोमल पत्ते लेकर किसी स्त्री के दूध में मिलाकर पीस लें. इसके बाद मासिक धर्म के चौथे दिन स्नान करके उसे खा ले. ऐसा करने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है.

10- बुधवार के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पति पत्नी को स्नान करने के बाद बाल गणेश की पूजा करनी चाहिए. नियमित रूप से बाल गणेश की पूजा करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है. इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर बाल गणपति की प्रतिमा लगाने से भी संतान प्राप्ति के योग बनते हैं.

11- अगर कोई दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो उन्हें बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र का विधिवत जाप करना चाहिए. इस मंत्र का जाप करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है.

संतान गणपतये नमः गर्भदोषहो नमः पुत्र पुत्राय नमः

12- सोमवार के दिन  अपने घर में भगवान भोलेनाथ और पार्वती की ऐसी तस्वीर लाएं जिनकी गोद में बाल गणपति विराजमान हो. इस तस्वीर को अपने घर की उत्तरी दिशा में लगाकर नियमित रूप से धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करें. पूजा करने के बाद शिव पंचाक्षर स्त्रोत और गणेश द्वादश नाम स्रोत का जाप करें. ऐसा करने से आपकी मनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण हो जाएगी.

13- हर रविवार के दिन बालकृष्ण को दही और मक्खन का भोग लगाएं और फिर धूप दीप आदि से पूजन करें. ऐसा करने से संतान बाधा दूर हो जाती है.

14- यदि कोई विवाहित और संतान युक्त स्त्री अपने घर में रखी लड्डू गोपाल भगवान की मूर्ति निसंतान दंपत्ति को देती है तो ऐसा करने से संतान प्राप्ति के योग प्रबल हो जाते हैं.