नागपंचमी व्रत से सन्तान प्राप्ति
नागपंचमी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए है। प्रत्येक मास की शुक्लपक्ष पंचमी को यह व्रत होता है। तथा एक वर्ष पर्यन्त चलता है। वैसे तो नागपंचमी श्रावणशुक्ल पंचमी को प्रशस्त मानी गई है। यह व्रत किसी भी मास को प्रारम्भ कर सकते हैं। प्रत्येक महिने शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन पंचमुख नाग रजत या आंटे का बनाकर उसका पूजन किया जाता है।
प्रथम मास में अन्नत द्वितीय मासमें वासुकी,तृतीय मासमें शेष, चतुर्थ में पद्मनाभ,पंचम में कंबलक,षष्ठ में कालीय,एकादश में तक्षक,और द्वादश मास में कपिल इस प्रकार से उसका नाग का पूजन उस नाम से करे। पति-पन्ति दोनों को उपवास करना चाहिये। प्रत्येक पंचमी के दिन ब्राह्मण को पायस खीर का भोजन करवाये, दक्षिणा देवे। इस प्रकार एक वर्ष तक व्रत करके नारायणबली पूर्वक नागबलि विधि करे। सुवर्ण,रजत,ताम्र नाग का दान देवे और व्रत का उद्यापन करे। इस व्रत के प्रभाव से नागवध या सर्पशाप का दोष दूर होकर पुत्र सन्तति की प्राप्ति होती है।