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ज्योतिष शास्त्र से जानें किस दिशा में होगा आपका विवाह
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- ज्योतिषशास्त्र में जन्मकुंडली के सप्तम भाव से विवाह आदि का विचार किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार विवाह दिशा निर्धारण हेतु पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य को, दक्षिण-पूर्व के स्वामी शुक्र को, दक्षिण के स्वामी मंगल को, दक्षिण-पश्चिम के स्वामी राहु को, पश्चिम दिशा के स्वामी शनि को, उत्तर-पश्चिम के स्वामी चन्द्रमा को, उत्तर दिशा के स्वामी बुध को तथा उत्तर-पूर्व के स्वामी देवगुरु बृहस्पति को माना गया है।
- इन्हीं ग्रहों के आधार पर जन्मपत्रिका से विवाह की दिशा का ज्ञान किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में फलादेश हेतु अनेक सूत्र उपलब्ध हैं, विद्वान ज्योतिषाचार्य अपने अनुभव एवं योग्यता अनुसार इन सूत्रों में से सही सूत्र का चयन कर सटीक भविष्यवाणी करते हैं। विवाह के लिए सप्तम भाव और सप्तम भाव के स्वामी, सप्तम भाव के कारक ग्रह के साथ अन्य कई मानकों पर भी विचार आवश्यक है जिसमें सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दिशा, सप्तम भाव को देखने वाले ग्रहों की दिशा, सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की दिशा, चन्द्र लग्न से सप्तमेश की दिशा तथा शुक्र से सप्तम भाव के स्वामी की दिशा आदि का विचार करके सर्वाधिक प्रभावित करने वाला ग्रह जिस दिशा की ओर संकेत करता है, उस दिशा में विवाह सफलतापूर्वक होता है।