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दान संबंधी विचार
ग्रहों की शांति के लिए वस्तुओं को दान करने का विधान शास्त्रों में बताया जाता है। परन्तु सभी वस्तुओं का दान व्यक्ति को सोच-समझकर करना चाहिए। यह बहुत ही रहस्य की बात है। ज्ञानी, विद्वान एवं ज्योतिषविद अपने शिष्यों को इसकी जानकारी अवश्य देते हैं, अन्यथा सारा प्रयोग निष्फल हो जाता है।जातक के जो ग्रह अपने पक्के घर में हों तथा अच्छे फल देने वाले हों, उनकी वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए। जो ग्रह मन्दे या दूसरे घरों में जाकर नुकसानदायक साबित हो रहे हों, मात्र उनकी वस्तुओं का दान करें। कुपित ग्रहों की वस्तुओं को कभी दान में न स्वीकार करें।
- यदि सूर्य सातवें या आठवें घर में विद्यमान हो तो जातक को सुबह-शाम दान नहीं करना चाहिए। यह उसके लिए विष समान साबित होगा।
- यदि सप्तम भावस्थ बृहस्पति वाले जातक वस्त्रों का दान करें तो वे स्वयं निर्वस्त्र हो जाते है।
- टगर जातक का शुक्र नौवें खाने में हो और वे अनाथ बच्चे को गोद ले लें तो स्वयं अनाथ हो जाते है।
- यदि शनि प्रथम में तथा बृहस्पति पंचम में हो तो ऐसे व्यक्ति द्वारा तांबे का दान करने पर संतान नष्ट हो जाती है।
- अगर छठे घर के चंद्र वाला व्यक्ति कुआं-तालाब बनवाए या उनकी मरम्मत कराए अथवा दूध-पानी का दान करे तो उसका परिवार घटता है।उसे स्वयं भी मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
- यदि किसी जातक के आठवें घर मे शनि विराजमान हो और वह सराय या धर्मशाला बनवाए तो निर्धन हो जाता है।