क्या है पितृ ऋण जानें ? कैसे करता है जीवन को प्रभावित…
पितृ ऋण
यदि 5, 12, 2, 9 स्थान में कोई भी ग्रह हो तो जातक पितृ ऋण से प्रभावित होगा। अगर नौवें घर में बृहस्पति के साथ शुक्र स्थित हो, चैथे घर में शनि और केतु हो तथा चन्द्र दसवें घर में हो तो जातक पितृ ऋण से पीड़ित होगा। इसके अलावा निम्नलिखित स्थितियों में जातक पितृ
ऋण से ग्रस्त होगा-
लग्न से आठवें में बुध और नौवें में बृहस्पति हो।
- दुसरे या सातवें में बुध और नौवें में शुक्र हो।
- तीसरे में बुध और नौवें में राहु हो।
- चौथें में और नौवें में चन्द्र हो।
- पांचवें में बुध और नौवें में सूर्य हो।
- छटवें में बुध और नौवें में केतु हो।
- दसवें मे बुध और नौवें में शनि हो।
- बरहवें में बुध और नौवें में बृहस्पति हो।
2, 5, 9 तथा 12वें घर में बृहस्पति हो या शुक्र, बुध, राहु भी हों। कारण- खानदान का पुरोहित बदला गया हो या उसका तिरस्कार किया गया हो। पहचान- पड़ोस के किसी धर्म-स्थल या पीपल आदि वृक्ष बरबाद कर चुके हो। अनिष्ट फल- समय से पहले ही पुरूष या स्त्री के बाल सफेद हो जाएं। बरकत समाप्त होती जाए। मानहानि, बनते कार्यो के रूकावट, सुख की जगह दुःख तथा निराशा परिलक्षित हो। उपाय- अगर कुल खानदान के एक-एक व्यक्ति से पैसा वसूल करके धर्म-स्थान मे दे तो ऐसे अनिष्ट फल का शमन हो जाएगा।