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जानिए,उपाय रूप में दान कब न करें ?

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उपाय रूप में दान कब न करें ?

1. उच्च ग्रह की वस्तुओं का दान न करें और नीच ग्रह की वस्तुओं का दान किसी से ने लें। यदि ऐसा करेंगे तो हानि होगी।

2. चद्रमा छठे भाव में हो तो पानी का दान या कुआं,तालाब,बावड़ी,खुदवाना,नल लगवाना,दूजों को पानी पिलाना,दूजों के आराम के लिए धन अपनी आय से देना वंशहीन या सन्तानहीन होना पड़े।

3. शनि आठवें हो तो सराय,होटल या ऐसा मकान न बनाएं जो लोग मुक्त आराम करें। ऐसा करेंगे तो आर्थिक तंगी होगी और बेघर भी होना पड़ सकता है।

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4. शनि पहले या गुरू पांचवे हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का दान देना ठीक नहीं है। यदि ऐसा करेंगे तो अशुभ समाचार मिलेंगे और बच्चों की मृत्यु हो जाए।

5. गुरू दसवें हो और चद्रमा चौथे भाव में हो तो धर्म स्थल बनवाना या धार्मिक कार्य करने पर निर्दोष होने पर भी प्राण दण्ड या सजा मिले।

6. शुक्र नौवें भाव में हो तो लोगों को मुक्त सहायता या अनाथ बच्चों की सहायता न करें। यदि करेंगे तो निर्धन या कंगाल हो जायेंगे।

7. च्द्रमा बारहवें भाव में हो तो पंडित या धार्मिक प्रवचन या कथावाचक को भोजन कराना या मुक्त शिक्षा देने का प्रबन्ध करना अशुभ होगा। कहने का तात्पर्य है कि अन्तिम अवस्था मरते समय में कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं होगा। मृत्यु के समय शान्ति नहीं मिलेगी।

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8. गुरू सातवें भाव में हो तो पुजारी को मुक्त कपड़े न दें। यदि देंगे तो निर्धनता और निस्संतान होने का व्यर्थ के कारण बनेंगे।

9. शनि छठे अशुभ हो तो जब भतीजे या भतीजी का विवाह होगा तो वे निस्सन्तान, निर्धन व दुःखी होंगे। यदि चाचा अपनी आय से उनका विवाह करे तो फल शुभ हो। अशुभ समय में शनि की वस्तुओं का दान सहायता देगा परन्तु दत्तक पुत्र से दान कराने पर अशुभ व हानि हो।