Marital Issues

मैरिज लाइफ में है परेशानी ? तो ये रहा उपाय…

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मैरिज लाइफ में है परेशानी ? तो ये रहा उपाय…

Married Life problems and solutions: घर में क्लेश होने की अनेक वजहें हो सकती हैं, जैसे रुपए-पैसे की कमी, जमीन-जायदाद या भाई-बंधुओं से विवाद, पूर्ण संतान सुख नहीं मिलना या बच्चों द्वारा माता-पिता का अनादर करना इत्यादि। इनमें से यहां पति-पत्नी के बीच होने वाली कलह के ज्योतिषीय कारण क्या हो सकते हैं, उन पर चर्चा कर रहे हैं।

पति-पत्नी के बीच अनबन होने के कारणों को तलाशने के लिए दोनों की कुंडलियों के विश्लेषण की आवश्यकता होती है। कुंडली देखने के बाद ही पता चलता है कि दोनों में क्लेश होने के सामान्य कारण क्या हो सकते हैं। इनमें से कुछ के बारे में यहां बता रहे हैं-गुण मिलान में दोष होना। विवाह संस्कार को निर्धारित समय पर सम्पन्न नहीं किया गया हो, तो पति-पत्नी के संबंध में टकराव की स्थिति बन सकती है।राशि मित्रता नहीं हो अर्थात दोनों के राशि स्वामियों में शत्रुता हो।वर्ग शत्रुता अर्थात एक वर्ग से पांचवां वर्ग शत्रु होता है। जैसे किसी का नाम य, र, ल, व (वर्ग-मृग) से है और दूसरे का च, छ, ज, झ, भ (वर्ग-सिंह) से हो, तो सिंह-मृग में शत्रुता होगी। अर्थात पति-पत्नी में यदि वर्ग भेद है, तो टकराव होगा।गण शत्रुता अर्थात देव, मनुष्य एवं राक्षस ये तीन प्रकार के गण दोष होते हैं।

एक का मनुष्य-दूसरे का राक्षस गण होने पर दोनों एक-दूसरे को शत्रु भाव से देखते हैं।दोनों की कुंडली में लग्नेश एवं सप्तमेश आपस में शत्रु हों।दोनों का सप्तमेश- अष्टम या द्वादक्ष भाव में हो।सप्तम भाव में अकेला शुक्र ग्रह बैठा हो तो पति-पत्नी के बीच अनबन संभव है।दोनों का कर्क लग्न हो। कर्क लग्न वालों को गृहस्थ सुख कम मिलता है।

अष्टमेश का सप्तम भाव में होना, वासना सुख में कमी कराता है। यह भी कलह का कारण बनता है।सप्तम भाव में सूर्य-राहू-मंगल का होना। सप्तम भाव में बुध-शनि के होने से दोनों ग्रह रति सुख में शिथिलता लाते हैं।लड़के-लड़की की कुंडली में सातवां भाव जो वैवाहिक सुख से संबंधित है।

इसमें मुख्य शुक्र ग्रह, सप्तमेश, सातवें भाव का कारक ग्रह एवं लग्नेश की स्थिति का काफी महत्व होता है। अर्थात सप्तम या लग्न में पाप ग्रह नहीं हो और न ही पाप ग्रहों की दृष्टि हो। शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी हो तो पति-पत्नी में टकराव नहीं होगा।

कुंडली मिलान में दोषों को नजरअंदाज नहीं करें। विवाह संस्कार (फेरे) के लिए जो समय निर्धारित हो, उसमें ही विवाह संस्कार सम्पन्न कराएं।

राशि स्वामियों की शत्रुता होने पर दान, व्रत, जपादि कराएं।

सूर्य के सप्तम भाव में होने पर, सूर्य उपासना एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

कर्क लग्न वाले शनि की उपासना-व्रत करें। घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करें। हनुमानजी का इष्ट रखें एवं शनिवार को हनुमानजी को भीगे चने व गुड़ चढ़ाएं तथा हनुमान अष्टक का पाठ करें।

सप्तमेश के आठवें-बारहवें भाव में होने पर सप्तमेश की शांति कराएं तथा दान-व्रत एवं ग्रह से संबंधित मंत्र का जप करें।

अष्टमेश के प्रभाव को कम करने के लिए ग्रह से संबंधित मंत्र का जप, दान करें।

महिलाएं पुखराज रत्न की अंगूठी पहनें, क्योंकि इसका शुभ प्रभाव तथा गुरु उनके गृहस्थ जीवन को सुदृढ़ बनाता है।

जिन लोगों में काम पिपासा अधिक हो, वे हीरा न पहनें। खासकर महिलाओं को हीरा धारण न कराएं।

आचरण की शुद्धता पर विशेष ध्यान दें।

कुंडली में चंद्रमा खराब होने पर मोती चांदी की अंगूठी में पहनें। चंद्रमा मन का कारण ग्रह है। चंद्रमा खराब होने पर भी तनाव होता है। यह लड़ाई-झगड़े का कारण बनता है।

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