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कालसर्प दोष की शांति

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कालसर्प दोष की शांति

नागमंडल पूजन के बिना अधूरी है कालसर्प दोष की शांति ‘कालसर्प दोष’ एक ऐसा दुर्योग है जो यदि जन्मपत्रिका में हो तो जातक का जीवन संघर्षमय व्यतीत होता है। वर्तमान समय में कालसर्प को लेकर बहुत भ्रम व संशय उत्पन्न किया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण है इस दोष की विधिवत् शांति के बारे में प्रामाणिक जानकारी का अभाव, जिसके चलते कुछ लोग इसे मान्यता ही नहीं देते हैं। जो लोग इसकी शांति के नाम पर कुछ कर्मकाण्ड करा चुके होते हैं वे भी कालसर्प दोष पर प्रश्नचिन्ह लगाते नज़र आते हैं। इसके पीछे उनका तर्क होता है कि शांति के उपरान्त भी कोई लाभ नहीं हुआ। कालसर्प दोष की शांति के साथ कुछ भ्रान्तियां जुड़ी हुई हैं जैसे किसी विशेष स्थान पर ही इसकी शान्ति होना आवश्यक है। हमारे अनुसार “कालसर्प दोष” की शान्ति किसी भी स्थान पर हो सकती है।

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कालसर्प दोष की शांति हेतु तीन बातों का होना अनिवार्य है-

1. किसी पवित्र नदी का तट

2. शिवालय

3. शांति विधान जानने वाले विप्र।

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कालसर्प दोष शांति का पूर्ण व प्रामाणिक विधान दे रहे हैं।ज्योतिष में कई प्रकार के अशुभ योग बताए गए हैं जिनमें से कालसर्पदोष को भी एक बहुत ही अशुभ योग बताया गया है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होने पर व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। कालसर्पदोष का निवारण करना बहुत आवश्यक होता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को कालसर्पदोष जकड़ लेता है तो उससे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कुंडली में किस तरह बनता है कालसर्पदोष ये कितने तरह के होते हैं और इससे किस तरह से व्यक्ति को कष्टों का सामना करना पड़ता है।कुंडली में क्यों बनता है कालसर्प दोष राहु और केतु ग्रहों को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है फिर भी ये व्यक्ति के जीवन के बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। ज्योतिष में इन दोनों ग्रहों को पापक ग्रह माना गया है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में जातक की कुंडली में कालसर्पदोष राहु और केतु के कारण ही लगता है। जब किसी की जन्म कुंडली में राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग का बनता है।कालसर्प योग के कारण परेशानी यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्पदोष का निर्माण होता है तो माना जाता है कि यदि उसका निवारण न किया जाए तो उसे जीवन के 42 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ता है। जातक की सफलता में बाधाएं बनी रहती हैं, इसलिए कुंडली में राहु केतु की दशा को सही करने के लिए समय-समय पर उपाय करते रहना चाहिए। कालसर्पदोष के कारण व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं से भय रहता है। घर में कलह का वातावरण बना रहता है। परिश्रम करने के बाद भी हर कार्य में बाधा आती है और व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। जीवन की समस्याओं के कारण व्यक्ति तनावग्रस्त रहने लगता है।कितने प्रकार का होता है

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कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 प्रकार के कालसर्प योग बनते हैं। जो इस तरह से हैं,

अनंत काल सर्प योग,

शंखपाल कालसर्प योग,

कुलिक काल सर्प योग,

कर्कोटक कालसर्प योग,

वासुकी कालसर्प योग,

पदम् कालसर्प योग,

महापद्म कालसर्प योग,

तक्षक काल सर्पयोग,

शंख्चूर्ण कालसर्प योग,

पातक काल सर्पयोग,

शेषनाग कालसर्प योग

विषाक्त काल सर्पयोग।

कालसर्प दोष के उपाय कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए दूध में मिश्री मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए और शिवतांडव स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। कालसर्प दोष के निवारण के लिए श्रावण मास बहुत ही उत्तम समय माना जाता है। श्रावण मास में भगवान शिव का रूद्राभिषेक अवश्य करवाना चाहिए। इससे व्यक्ति को कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है। कालसर्प दोष का निवारण करने के से पहले योग्य ज्योतिष से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए तभी किसी प्रकार का उपाय करना चाहिए।

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नागबली को सांप, विशेष रूप से सर्प को मारने से होने वाले पाप से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है, जिसकी पूरे भारत में पूजा की जाती है। अनुष्ठान मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के  हिंदू तीर्थ स्थल श्री अमलेश्वर महाकाल धाम में किया जाता है।इन तरह के सभी कार्मिक ज्योतिष के बाधाओं निवृत्ति के लिए विगत 20 वर्षों से श्री अमलेश्वर महाकाल धाम में नारायणबलि, नागबलि, त्रिपिंडि श्राद्ध, कालसर्प , अर्क विवाह , कुंभ विवाह , कराये जा रहे है। खारून के तट पर बना श्री महाकाल धाम तिर्थ जहां देश भर से श्रद्धालु पधारते है। संपर्क सूत्र – पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य  – 9753039055 / 9893363928