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जानिए ’लाल किताब’ के रहस्यमयी गृह प्रवेश के नियम
- रिहाइशी मकान में दाखिल होते समय अगर पहले बने हिस्से में जमीन की तह के अंदर कुएं की तरह खुदी र्हुइं भट्ठी हो जो सिर्फ ब्याह-शादियों के वक्त खोली जाए और बाद में मिट्टी डालकर बंद कर दी जाए अथवा सदा के लिए पक्के तौर पर बंद कर दी जाए तो जब कभी उस घर मे आठवें घर के मंगल वाला बच्चा पैदा होगा, तबाही शुरू हो जाएगी। अगर ऐसी भट्टी कायम हो चुकी हो तो जहां तक उसकी मिट्टी जली हो, उसे निकालकर बहते पानी में प्रवाहित करें।
- अपने निवास में मूर्तियां आदि रखकर उसे पूर्णतः मंदिर बनाने पर संतानहीनता होती है। मूर्तियों की स्थापना मंदिरों में ही शुभ रहती है। देवी-देवताओं की तस्वीरें घर में लगाने में कोई आपत्ति नही है।
- व मकान मे दाखिल होते समय दाएं हाथ की ओर, जहां मकान की सीमा खत्म होती है, प्रायः अंधेरी कोठरी हुआ करती है। उसमें प्रवेश द्धार के अतिरिक्त रोशनी या हवा आने-जाने के लिए अन्य रास्ता नही होता। यदि ऐसी कोठरी मे रोशनदान बना दिया जाए या एक अन्य दरवाजा बनाकर रोशनी एवं हवा का प्रबंध किया जाए तो वह घर या वंश बर्बाद हो जाएगा। यदि किसी कारणवश ऐसी कोठरी की छत बदलनी पडे़ तो पहले उस छत के उपर दूसरी छत बनवा लें, फिर बाद में पुरानी छत गिराएं। ऐसी छत कभी अपने आप नही गिरती, गिराने से ही गिरती है।
- व मकानों में प्रायः कीमती चीजे, जवाहरात, रूपया आदि रखने के लिए छिपे हुए गड्ढ़े बनाए जाते है। यदि ये गड्ढे खाली रहें तो इसके असर से उस घर के मालिक की केवल फीकी बातें ही होंगी, कोई लाभकारी बात नही होगी। ऐसे में बादाम, छुहारे या कोई मीठी चीज वहां रखना लाभदायक रहता है।
- यदि मकान के फर्श में कच्चा हिस्सा बिल्कुल न हो तो ऐसे घर में शुक्र का निवास नही रहता। अतः उस घर की स्त्रियों के मान-सम्मान, सेहत और धन आदि पर शनि का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी कारणवश कच्चा हिस्सा न रहे तो वहां शुक्र कारक चीजें स्थापित कर लें। घर में गाय रखें या आलू आदि का पौधा लगा लें।
- दक्षिणी द्धार का मकान विशेषकर स्त्रियों के लिए लाभकारी नही होता। ऐसी स्थ्तिि में पुरूषों को भी सुख कम मिलेगा। इसलिए मुख्य प्रवेश द्धार दक्षिण दिशा का नहीं बनवाना चाहिए।