भगवान की मूर्ति किस दिशा में होनी चाहिए…
वैसे तो पूजा करने में भक्ति भावना प्रधान है, ना कि दिशा, क्योंकि भगवान तो भाव के भूखे हैं। ऐसा होने पर भी, हम और आप कोई भी कार्य सही दिशा में करने के महत्त्व को नकार नहीं सकते। ऐसा ही कुछ पूजा-अर्चना के साथ भी है। यदि आप महान सिद्ध साधक हों तो किसी भी बात का कोई फर्क नहीं पड़ेगा, फिर तो जहाँ भी आप बैठ जायेंगे, उसी दिशा में अपने आप ही सब कुछ ईश्वरमय हो जायेगा परन्तु आम तौर पर साधारण मनुष्यों के साथ ऐसा नहीं होता।
पूजा करते समय हम लोगों को देव प्रतिमा का मुख सही दिशा में रखने जैसी छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखना चाहिए, जिससे हमारे और आपके जैसे साधारण लोग अपने मन को पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति से विचलित ना होने दें और एकाग्र होकर पूजा-पाठ कर सकें। इसी उद्देश्य से आइये समझें कि हमारे पूजा कमरे में भगवान की प्रतिमा का मुख किस ओर होना चाहिए।
विभिन्न देवताओं के मुख और दृष्टि के बारे में भिन्न–भिन्न मान्यतायें
आपने अपने घर के बुज़ुर्गों से और कुछ विशेष पूजाओं के समय कही जाने वाली प्राचीन कथाओं में अवश्य सुना होगा कि कुछ विशेष देवताओं की दृष्टि का हमें ध्यान रखना चाहिए कि वह सही दिशा में पड़ रही हो। उदहारण के लिए, ऐसी मान्यता है कि गणपति भगवान की प्रतिमा कभी भी ऐसी जगह नहीं लगानी चाहिए जहाँ उनकी दृष्टि घर के बाहर की ओर पड़ रही हो अन्यथा घर की सुख-समृद्धि बाहर चली जाती है।