Dharma Remedy Articles

Santana Saptami Vrat : कैसे करें ? संतान सप्तमी का व्रत,जानें पुजा विधि…

236views

सन्तान सप्तमी

भाद्र शुक्ल सप्तमी को यह व्रत किया जात है। कुछ स्थानों पर इसे मुक्ताभरण व्रत भी कहते हैं। इस व्रत की पूजा मध्यान्ह में होती है। दोपहर में चैक पूरकर शिव-पार्वती की स्थापना की जाती है। जो स्त्री व्रत रखती है, वह शिव-पार्वती से जन्म-जन्मान्तर के जाप से मोक्ष पाने और अपने बच्चों, नाती-पोतों की दीर्घ आयु की कामना करती है।

       “पूजन में चंदन, अक्षत, धूप, नैवेद्य और नारियल रखना चाहिए। यह व्रत सन्तान की रक्षा के लिए रखा जाता है, इसलिए एक रक्षासूत्र भी चाहिए। अगर सामथ्र्य हो, तो पीले 7 गठान लगे धागे के बजाये चाँदी या सोने की चूड़ी या कड़ा रख सकते हैं”

चूड़ी या कडे़ रख सकते हैं। चूड़ी या कड़े में 7 धारियाँ अवश्य ही बनाई जाती हैं।पूजा से पहले संकल्प करें और कहें’ ’हे देव, मैं यह पूजा आपको भेंट कर रहीं हूँ, इसे स्वीकार कीजिए।

शिव जी के सामने रक्षा की डोरी अथवा चूड़ी रखकर हल्दी, कुमकुम और चावल से पूजा करें, फिर फूल चढ़ायें, आरती करें और इसके प्श्चात् भोग लगायें। भोग लगाने के पश्चात् डोरी बाँध लें या चूड़ी हो तो पहन लें। भोग के लिए खीर-पूरी और गुड़ के मीठे पुए इस व्रत के लिए विशेष रूप से बनाए जाते हैं। पूजा के पश्चात् केवल एक बार भोजन किया जाता है।