Dharma Remedy ArticlesOther Articles

जानें,शनि यंत्र की महिमा…

339views

शनि यंत्र की महिमा

शनि यंत्र पंच धातु या लोहे में बनाना चाहिए। इसके लिए सबसे उत्तम मूहूर्त शनि, रोहिणी नक्षत्र, अमृत सिद्ध योग एवम पुण्य नक्षत्र मे हो तो आपको धारण करना चाहिए। यंत्र के सभी कोष्ठात्मक संख्याओं का कुल योग 33 आता है। धनुषकारीय इस यंत्र के नीचे सवा पांच रत्ती का नीलम लगाना चाहिए।इस यंत्र को सिद्ध करने के लिए शनि के मंत्र के 23000 हजार जाप करने चाहिए। जाप का दसवां हिस्सा जो जाप पर खर्चा आया है व्यक्ति को हवन दान व ब्राम्हणों को भोजन करवा कर खर्च करना चाहिए। इस यंत्र को सिद्ध करने के लिए वैदिक यंत्र का प्रयोग करना चाहिए।

ALSO READ  श्री महाकाल धाम अमलेश्वर में नारायण नागबली एवं कालसर्प दोष निवारण – एक आस्था यात्रा

ऊॅं शं शनैश्चराय नमः

मकर व कुम्भ लग्न की राशि वालों को शनि यंत्र अवश्य धारण करना चाहिए। नीलम महंगा रत्न होता है। इसके अभाव में आप स्टार, नीली, जामुनिया, कटैला भी धारण कर सकते है। रत्न के अभाव में घोेडे के नाल व शनि-मुद्रिका भी धारण की जा सकती है व घर पर लगाई जा सकती है।

लाभ

शनि यंत्र धारण करने से व्यक्ति को अचानक सट्टे, शेयर बाजार में लाभ हो सकता है। जिस व्यक्ति का बिजनेस शनि की महादशा में घाटे पर चल रहा है तो गले में शनि यंत्र डालने से या फैक्टरी, दुकान, मकान व्यापारिक प्रतिष्ठान आॅफिस में नीलम जड़ित शनि यंत्र लगाने से अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा।जो व्यक्ति शनि की महादशा या अंतरदशा में गठिया, वायु के रोग स्नायु रोग, हड्डियों में दर्द से पीड़ित हो तो गले में शनि यंत्र पहनने से रोग व आयु में सुधार होगा।