पन्ना-रत्न
पन्ने के संबंध में अनेकों मान्यतायें हैं। एक पाश्चात्य लेखक के अनुसार पूर्वी देशों में यह विश्वास है कि यदि सर्प की नजर पन्ने पर पड़ जाये तो वह अन्धा हो जाता है। पन्ना आंखों को शीतलता प्रदान करता है। सम्राट नीरो पन्ने के बने चश्मे पहनकर रोम के खेल तमाशे देखा करता था। सेलुस नामक एक यूनानी विद्वान ने नवीं शताब्दी में लिखा था कि पन्ने का पाउडर पानी में मिलाकर सेवन करने से कोढ़ जैसे रोग ठीक हो जाते ळे प्लिनी का कहना है कि साइप्रस द्वीप में सम्राट हर्मिया की एक मूर्ति थी सिसके पास संगमरमर का शेर बना हुआ था।
शेर की आंखों में पन्ने जड़े थे जो गरमी में इतने चमकते थे कि निकट समुद्र की मछलियां उस चमक को देखकर दूर भाग जाती थीं। मछलीमारों ने जब यह देखा तो उन्होने पन्ने को उखाड़कर फेंक दिया। प्लिनी ने यह भी लिखा है कि थकी आंखो को पन्ना देखने से बहुत शान्ति मिलती है।
ब्राम्हण वर्ण का पन्ना शिरीप के फूल के समान रंग वाला होता है। क्षत्रिय वर्ण का पन्ना गहरे रंग का होता है। वैश्य वर्ण का पन्ना पीत आभायुक्त हरे रंग का होता है। शुद्रवर्ण का पन्ना श्याम आभा लिये हरे रंग का होता है। चिकना साफ अच्छे घाट की अच्छी चमक और हरे रंग का पन्ना गुणवान माना गया है। सूर्य के प्रकाश में सफेद वस्त्र पर रखने से यदि वस्त्र हरे रंग का दिखाई दे तो पन्ना उत्तम होता है। पन्ना बुद्धि-बल देता है तथा इसके धारण करने से शरीर पुष्ट होता है। धन-धान्य तथा सम्पत्ति और वंश की वृद्धि होती है। सर्प भृतादि का भय दूर करता है। जादू-टोने नजर आदि से रक्षा करता है। यह मिर्गी और पागलपन से बचाता है। नेत्रों में शीघ्र प्रसव हो जाता है।
पन्ना खासतौर पर हरे रंग में पाया जाता है। यह लाल रंग में भी पाया जाता है। लंेकिन हवा लगने पर यह रंग बिखर भी सकता है। पन्ने की यही खासियत होती है कि वह प्राकृतिक प्रकाश और कृत्रिम प्रकाश दोनों मे एक ही रंग का प्रदर्शन करता है। पन्ना का अपना रंग होता है। इसका रंग विशेष हरा रंग है जो मखमली घास के रंग की तरह होता है। पन्नों में एक और खास बात यह होती है कि जब हम पन्ने को गर्म करते है तो पन्ने में जो पानी डालते है वह तो सूखकर उड़ जाता है, लेकिन पन्ने का रंग वैसा का वैसा ही बना रहता है। अर्थात इसके रंग पर गर्मी का कोई असर नहीं पड़ता है।