जिस प्रकार चंद्रमा के कारण ज्वार-भाटा समुद्र में आता है, वनस्पतियों में रस चंद्रमा के कारण ही आता। ठीक उसी प्रकार सौर-मंडल के ग्रह हमें अलग-अलग रूप से प्रभावित करते हैं। अतः सावधानीपूर्वक कुंडली मिलान करके ही विवाह करना चाहिए। कहने को मंगल बड़ा क्रूर ग्रह माना गया है जबकि मंगल क्रूर नहीं, वह तो मंगलकर्ता, दुखहर्ता, ऋणहर्ता व कल्याणकारी है। मंगल दोषपूर्ण होने पर मनुष्य को अलग-अलग तरह के कष्ट होते हैं। मंगल को अनुकूल बनाने के उपाय भी अलग-अलग हैं।
मंगल की अनुकूलता के उपायः::::—-
– कर्ज बढ़ जाने पर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ स्वयं करे या किसी युवा ब्राह्मण सन्यासी से कराएँ।
– जीवन में जमीन-जायदाद प्राप्त करने हेतु किसी की जमीन न दबाए और बड़े भाई की सेवा करें।
– रोग होने पर गुड़, आटा दान करें।
– क्लेश शांति हेतु लाल मसूर जल प्रवाह करें।
– विद्या प्राप्ति हेतु रेवड़ी मीठे जल में प्रवाह करें।
– मूँगा रत्न किसी श्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य से विचार-विमर्श के बाद ही धारण करें…..