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नकली रत्न की पहचान कैसे करें ?

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नकली रत्न की पहचान कैसे करें ?

ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बहुत महत्व है। यही कारण है कि बहुत से लोगों को रत्न धारण किए हुए देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि उनके जीवन में जो समस्या है उसका समाधान हो सके। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि इन लोगों की समस्या बाद में भी बरकरार ही रहती है। अधिकांश इसका कारण होता है नकली रत्न। दरअसल, कई बार लोगों को असली के नाम पर नकली रत्न दे दिया जाता है। जिसका प्रभाव उनके जीवन पर नहीं होता और उनकी समस्या जस की तस ही रहती है।असली व नकली रत्न की पहचान आसानी से की जा सकती है।

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि बाजार में कई तरह के वैकल्पिक रत्न उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन इन्हें खरीदने या धारण करने से पहले इनकी जांच जरूरी है कि यह असली है या नहीं।

क्योंकि नकली या गलत रत्न पहनने से जीवन पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए थोड़ा सतर्क रहना जरूरी है। हमारे शास्त्रों में मान्यता है कि कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह को रत्न मजबूत करता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक तत्व होता है और रत्न में सात अलग-अलग रंग पाए जाते हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि रत्न पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती है तो प्राकृतिक होने की वजह से वह रत्न को छूते हुए शरीर में प्रवेश करती है और इससे व्यक्ति के मन मस्तिष्क और संचार प्रभावित होता है।

आइए जानते हैं कैसे करें नकली और असली की पहचान-
– मेथलीन आयोडाइड केक घोल में रत्न डालने पर नकली वाला उसमें टहलने लगता है। वहीं जो असली रत्न होगा व सतह पर नहीं आता।
-प्राकृतिक रत्नों के कण एक समान ना होकर विभिन्न आकारों में और अनियमित रूप में होते हैं। कृतिम या नकली रत्नों में यह वक्र के रूप में दिखाई देते हैं।
– कृतिम रत्नों में अंदर की धारिया वक्र रूप में होती हैं जबकि प्राकृतिक या नकली रत्नों में यह सीधी होती हैं।
-रेशम या प्रकाशीय प्रभाव केवल प्राकृतिक रत्नों में ही दिखाई देता है नकली रत्नों में यह दिखाई नहीं देता।
– कृतिम रतन का रंग एक जैसा होता है जबकि प्राकृतिक में यह विभिन्न रंगों में अलग अलग दिखाई देता है।