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जानिए,पुखराज रत्न के फ़ायदे और नुकसान

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जानिए,किसे पहनना चाहिए पुखराज रत्न…

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का मजबूत और कमजोर होने का सीधा प्रभाव व्यक्ति पर देखने को मिलता है. इन ग्रहों को मजबूत करने के लिए कई उपायों में से रत्न धारण करना भी एक उपाय है. जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, उसे पुखराज पहनना चाहिए.ज्योतिष में नवग्रहों और उनसे जुड़े रत्नों का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि ग्रहों की शुभता को बढ़ाने के लिए और उनकी अशुभता को कम करने के लिए रत्न पहने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हर ग्रह किसी न किसी रत्न का प्रतिनिधित्व करता है. इन्हीं रत्नों में से एक रत्न है पुखराज, आप सभी ने पुखराज रत्न के बारे में जरूर सुना होगा. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि देवताओं के गुरु होने का गौरव प्राप्त बृहस्पति ग्रह पुखराज रत्न का प्रतिनिधित्व करता है. कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने के कारण इस रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है।

पुखराज रत्न की एक और प्रजाति

-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पुखराज रत्न के अध्ययन में पाया गया है कि इसमें एल्युमिनियम, हाइड्रॉक्सिल और फ्लोरीन जैसे तत्व विद्यमान हैं. यह खनिज पत्थर सफ़ेद और पीले दोनों रंगों में पाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सफेद पुखराज को ही सर्वोत्तम माना गया है. पुखराज रत्न की एक और प्रजाति पाई जाती है, जो कठोरता में असल पुखराज से कम, रूखा, खुरदुरा और चमक में सामान्य होता है।

पुखराज के उपरत्न

(1) सुनैला
(2) केरु
(3) घीया
(4) सोनल
(5) केसरी

ये सभी पुखराज के उपरत्न माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में उन लोगों के लिए उपरत्न हैं, जो पुखराज रत्न का क्रय नहीं कर सकते. पुखराज के उपरत्नो के बारे में बताया गया है. ये उपरत्न पुखराज की तरह लाभ तो नहीं दे सकते, लेकिन ये आंशिक रूप से कुछ प्रभाव रखते हैं. इन उपरत्नों को पुखराज की अपेक्षा कुछ अधिक समय के लिए धारण किया जाए तो इनसे पुखराज रत्न वाला लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है.

जानें पुखराज रत्न धारण करने की विधि 

रत्नों को धारण करने की भी एक विधि होती है. पुखराज पहनने के लिए बुधवार के दिन सुबह स्नान ध्यान करने के बाद गंगाजल में दूध मिलाकर उसमें डाल दें. बृहस्पति ग्रह का रत्न होने के कारण इसे गुरुवार को पहनने की सलाह दी जाती है. इसलिए गुरुवार के दिन ऊं बृं बृहस्पते नमः की कम से कम एक माला जाप करने के बाद हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण ककर लेना चाहिए.

इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि पुखराज धारण करने के बाद बुधवार और गुरुवार के दिन नसा और मांस आदि का सेवन भूलकर भी न करें. पुखराज गुरुवार के दिन सूर्योदय से लेकर सबुह 10 बजे तक के बीच में किसी भी समय धारण किया जा सकता है.

5 अगरबत्ती लेकर बृहस्पति देव के नाम पर जला लें. उसके बाद “ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम:” का 108 बार जप करते हुए अंगूठी को भगवान विष्णु के चरणों में समर्पित करने के बाद हाथों की तर्जनी उंगली में धारण कर लें।

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