जानें,कैंसर होने से पूर्व बचाव के टोटके
’’कैंसर’’ एक असाध्य बिमारी है। इस बिमारी से आज दुनियाॅं के अनेकों मनुष्य मृत्यु के मुख से समा चुके हैं। आधुनिक विज्ञान भी अबतक इस रोग का सफल निदान नहीं पा सके हैं। यह ’’लाइलाज असाध्य रोग’’ है।
ज्योतिष शास्त्र के योगों के अनुसार मैं उन व्यक्तियों को सूचित कर रहा हूॅ, जिन्हें कैंसर हो जाएगा।
1. जिस जातक की कुण्डली में कर्क, वृश्चिक, मीन, मकर एवं तुला राशियों में से कोई दो राशियाॅ यदि षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश के प्रभाव में हो, पाप ग्रसित हों तो उसे ’’कैंसर’’ हो जाता है।
2. सूर्य से छठे, आठवें एवं द्वादश स्थान के स्वामी का सम्बन्ध राहु-केतु से होने पर व्यक्ति को कैंसर होता है।
3. कर्क लग्न के अधिकांश लोगो को कैंसर होता है। कर्क लग्न में बृहस्पति मुख्य रूप् से कैंसर रोग का कारक है। गुरू यहाॅ कैंसर में वृद्धि कराता है। शनि, मंगल और गुरू इन तीनों का सम्बन्ध छठे, आठवें, बारहवें तथा द्वितीय स्थान के स्वामियों से होने पर जातक की मृत्यु कैंसर रोग से होती है।
4. शनि या मंगल छठे या आठवें स्थान में राहु या केतु के साथ हो तो व्यक्ति को कैंसर होने की सम्भावना रहती है।
5. द्वितीयेश आठवें हों, तथा अष्टमेश लग्न में चन्द्रमा के साथ हो, षष्ठेश 6, 8, 12वें भावों में हो तो ऐसे जातक कीमृत्यु ’’ब्लड कैंसर’’ से होती है।
6. षष्ठेश पाप ग्रहों के साथ लग्न, आठवें या दसवें स्थान में बैठा हो तथा पाप दृष्टि हो तो जातक को कैंसर जैसी लाइलाज बिमारी होती है।
7. सूर्य छठे, आठवें या द्वादश स्थान में पाप-ग्रहो के साथ हो तो जातक को पेट या आॅतो में ’’अल्सर’’ होती है । यदि राहु का प्रभाव लग्न या सूर्य के साथ हो तो जातक को कैंसर होता है।
8. द्वितीय भाव में पाप ग्रह हो, द्वितीयेश पाप ग्रह से युत होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, लग्न एवं लग्नेश निर्बल हो तो जातक को कैंसर हो जाता है।