मोती रत्न के दोष…
मोती के दोष : मोतियो में बहुत से दोष भी पाए जाते हैं। अतः मोती धारण करने से पहले अच्छी तरह परख लेना चाहिये कि कहीं उसमें कोई दोष तो नही है। क्योकि सदा दोषमुक्त मोती पहनने से ही हानि की सम्भावना रहती है। जिस मोती में शुक्ति लग्न दोष हो अर्थात् जिसमें किसी एक स्थान पर शुक्ति के समान अपेक्षाकृत समस्त मोती की आभा से बहुत कम आभा वाला स्पष्ट चिन्ह हो, तो उसको किसी भी रूप् में धारण करने से कुष्ट रोग उत्पन्न होता है। जिस मोती में मत्याक्ष दोष हो अर्थात् जिसमें किसी स्थान पर मछली की आंख के समान चिन्ह हो, तो सन्तान का नाश होता है।
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जिस मोती में जरठ दोष हो अर्थात् जो बिल्कुल आभाहीन हो तो ऐसे मोती को धारण करने से आयु घट जाती है। जिस मोती में अतिरिक्त दोष हो अर्थात वह चपटा हो तो उसके धारण करने से सौभाग्य नष्ट होता है। जिस मोती मे अवृतदोष हो अर्थात् वह चपटा हो तो उसके धारण करने से अपयश प्राप्त होता है। जिसमें त्रास दोष हो अर्थात् उसमें तीन कोने निकले हों तो उसके धारण करने से आजीविका जाती रहती है। जिस मोती में गोलाई न होकर किसी स्थान पर पिंडिका सी बनी हो, तो वह धन सम्पत्ति का नाश करता है।
मोती में विभिन्न दोष पाये जाते है
टूटा मोती: टूटा हुआ मोती पहनने से मन में चंचलता, व्याकुलता, व कष्ट की वृद्धि होती है, क्योकि टूटा मोती सदा ही अशुद्ध होता है।
सुन्न मोती: आभाहीन मोती को कहा जाता है। इसके धारण करने से निर्धनता होती है।
गड्ढेदार मोती: गड्ढेदार मोती स्वास्थ्य एवं धन-सम्पदा को हानि पहुंचाने वाला होता है।
चोंच मोती: चोंच के आकार वाला अथवा चेचक जैसे दाग वाला मोती पुत्र कष्ट देने व वंश हानि करने वाला होता है।
चपटा मोती: यह सुख सौभाग्य नाशक व चिंतावर्धक होता है।
मसा मोती: छोटे से काले दाग वाले मोती को ’मसा-दोपी मोती’ कहते हैं। इसके धारण करने से स्वास्थ्य ही हानि होती है।
रेखादार मोती: मोती के अन्दर दिखाई देने वाली रेखा वाला मोती पहनने से यश एवं ऐश्वर्य की हानि होती है।
मेंडा मोती: जिस मोती में चारों तरफ वलयाकार रेखायें अंकित होती है, जिसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि दो टुकडे़ आपस में जोडे़ गए हैं। इसको धारण करना भयवर्द्धक तथा स्वास्थ्य व हृदय को हानि पहुंचाता है।
लहरदार मोती: जिस मोती के बीच में लहरदार रेखाएं दिखाई देती हैं। उसके पहनने से मन में उद्विग्नता व धन की हानि होती है।
दुर्बल मोती: यह मोती लम्बा व बेडौल तथा दुर्बल होता है। इसे धारण करने से बल व बुद्धि की हानि होती है।
छाला मोती: जिस मोती में छाला के समान उभार उठा हुआ हो, वह मोती धन-सम्पदा व सौभाग्य को नष्ट करता है।
मटिया मोती: जिस मोती के भीतर मिट्टी हो वह गुणहीन होता है।
काक मोती: काले रंग से युक्त गर्दन वाला मोती अपयश को देने वाला तथा पुत्र कष्ट को करने वाला होता है।
दरार युक्त मोती: जिस मोती की उपरी सतह फटी हुई हो उसके धारण करने से नाना प्रकार के कष्ट होते हैं।
औष्ण झाईदार मोती: काले रंग की झाई से युक्त मोती पहनने से अपयश की प्राप्ति होती है, तथा अचानक ही अपमानित भी होना पड़ता है।
त्रिकोणात्मक मोती: तीन कोने वाले मोती को धारण करने से नपुंसकता की वृद्धि होती है तथा बल, वीर्य एवं बुद्धि का नाश होता है।
ताम्रक मोती: ताम्र वर्ण का मोती धारण करने से भाई, बहन व परिवार का नाश होता है।
चतुष्कोणीय मोती: चार कोणों से युक्त चपटा मोती पहनने से पत्नी का नाश होता है।
रक्तमुखी मोती: मूंगा की भांति रक्त वर्ण का मोती पहनने से धन का नाश होता है तथा चारों ओर से विपदा आ पड़ती है।
मगज मोती: इसमें मोती के अन्दर का भाग कठोर तथा उपर की सतह झिल्ली के समान होती है तथा इस पर काली आभा होती है। इसे आसानी से बींधा जा सकता है। ऐसे मोती भी हानिकारक होते हैं।