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शुक्र अनिष्ट हो तो क्या करे-
शुक्र दैत्यों का गुरू है। इस ग्रह को भृगु नन्दन भी कहते हैं, क्योकि यह भृगु ऋषि का पुत्र है। वीर्य पर शुक्र का विशेष आधिपत्य है। यह कामसूत्र का कारक है और 25वें वर्ष में भाग्योदय कराता है।
बुध-शनि इसके मित्र हैं। इसकी सूर्य तथा चंद्र के साथ शत्रुता रहती है। यह दक्षिण दिशा का स्वामी है। अगर शुक्र निर्बल या बद स्थिति में हो तो जातक को खुशी में गमी, भूत-प्रेत बाधा, विषधर जंतुओं से पाला पड़ना, शीघ्रपतन, सेक्स संबंधी परेशानी, संतान उत्पन्न करने में अक्षमता, दुर्बल-अशक्त शरीर, अतिसार, अजीर्ण, वायु प्रकोप आदि रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए जातक को लक्ष्मीजी का सान्निध्य प्राप्त करना चाहिए।