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पूजाविधि-
सूर्योदय से पूर्व स्नान करके आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत , पुष्प, गंध आदि से पवित्र वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें। उसके उपरांत कथा का श्रवण या वाचन करें।
कथा-
आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की परंपरा शुरू करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं । कथा प्रसंग के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एकसाथ करने की उनकी इच्छा हुई । लक्ष्मी माँ ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है । तुलसी श्री हरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है और बेल भगवान भोलेनाथ को अतः आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर माँ लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा संपन्न की ।माँ लक्ष्मी की पूजा से प्रसन्न होकर श्री विष्णु और शिव प्रकट हुए । लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया । इसके बाद स्वयं ने भोजन किया । उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी का दिन था । तभी से आंबला वृक्ष पूजन की यह परम्परा चली आ रही है । अक्षय नवमी के दिन यदि आंवले की पूजा करना और इसके नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला ज़रूर खाएं ।
धार्मिक ग्रंथों में आंवले का महत्व-
पद्म पुराण के अनुसार यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है। इसके भक्षण मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं ।आंवला खाने से आयु बढ़ती है , उसका रस पीने से धर्म -संचय होता है और उसके जल से स्नान करने से दरित्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं । आंवले का दर्शन , स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं । जहां आंवले का फल मौजूद होता है , वहाँ भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं तथा उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है । इसलिए अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।
मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इसकी पूजा करने का मतलब विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करना माना जाता है। आचार्य चरक के मुताबिक आंवला एक अमृत फल है, जो कई रोगों का नाश करने में सफल है। विज्ञान के मुताबिक भी आंवला में विटामिन सी की बहुतायत होती है।