Dharma Remedy Articlesउपाय लेख

जानें,गन्ना के रस से क्यों क्या जाता है रुद्राभिषेक ?

543views

जानें,गन्ना के रस से क्यों क्या जाता है रुद्राभिषेक ?

हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। ये महीना भगवान शिव का प्रिय महीना कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति भोलेनाथ की आराधना पूरी श्रद्धा से करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सावन के महीने में लोग भोले भंडारी को प्रसन्न करने के लिए घरों और मंदिरों में कई अनुष्ठान का आयोजन करते हैं जिसमें रुद्राभिषेक का खास महत्व है। रुद्राभिषेक अलग-अलग संकल्प के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक करने के अलावा लोग मंदिरों में शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भोलेनाथ को दूध के साथ गन्ने का रस चढ़ाना भी अच्छा होता है। शिव जी को गन्ने का रस बहुत पसंद है। इसका इस्तेमाल रुद्राभिषेक में भी किया जाता है। इसलिए अगर आप रोजाना इससे शिवलिंग पर चढ़ाएं तो आपको रुद्राभिषेक जैसा ही फल मिलेगा।

ALSO READ  Dhup ke upay: धुप के इन चमत्कारी उपाय जरूर आजमाएं ....

शिव पुराण में कहा गया है कि रुद्राभिषेक वैसे तो प्रत्येक कष्ट को हर लेता है और इसको करवाने से आपके जीवन में सुख आता है। लेकिन रुद्राभिषेक करवाते समय द्रव का विशेष ध्यान रखना चाहिए शिव पुराण के अनुसार आप जिस भी उद्देश्य से रुद्राभिषेक करवा रहे हैं आपको उसी द्रव के साथ रुद्राभिषेक करवाना चाहिए। वही हर एक चीज के अभिषेक का अलग महत्व है।

रुद्राभिषेक करने से लाभ

  • गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन में बढ़ोतरी होती है।
  • शिवलिंग का जलाभिषेक करने से बारिश होती है।
  • कुश घास की पत्तियों से युक्त जल से रुद्राभिषेक करें। ऐसा करने से रोगों से मुक्त मिलती है।
  • शहद से रुद्राभिषेक करने पर पापों का नाश होता है।
  • घी से रुद्राभिषेक करने पर वंश वृद्धि होती है।
  • तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक करने से मोक्ष मिलता है।
  • रोगों से छुटकारा पाने के लिए इत्र का भी इस्तेमाल होता है।
  • दूध से रुद्राभिषेक करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
  • जय या फिर गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से बुखार कम होता है।
  • सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है।
  • चीनी से मिले दूध से रुद्राभिषेक करने पर बुद्धि तेज होती है।

     शिवशंकर की पूजा –

    सावन के माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।

    जरा इसे भी  पढ़िये :- 

    जानिए, भगवत गीता को कब पढ़ना चाहिए और इसका क्या महत्व है।