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सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि कई मामलों में महत्वपूर्ण ही नहीं होती वरन् कई बार यह भाव फल को ही बदल देती है। पिछले अंक में हमने सप्तम पर सूर्य, मंगल और चन्द्र की दृष्टि की चर्चा की थी। आज हम बात करेंगे सप्तम पर गुरु, बुध और शुक्र की दृष्टि की।
##बुध की सप्तम पर दृष्टि जातक को व्यवहार कुशल, वाक् पटु और विवेकी बनाती है। ऐसे जातक प्रायः लेखन-प्रकाशन के कार्यों से जुड़े नजर आते है। यदि यह बुध पुरुष राशि में हो तो यह संभावना और प्रबल हो जाती है और जातक इसी को अपनी जीविका बनाता है।
##बुध की इस भाव पर दृष्टि जातक को भोजन भट्ट यानि अधिक भोजन करने वाला बनाती है और इससे जातक का वजन बढ़ता है। बुध की दृष्टि जीवन साथी का सेन्स ऑफ ह्यूमर अच्छा रखती है। साथी वाचाल होता है, उसे बहुत बोलने की आदत होती है और यदि बुध अशुभ हो तो यह बोलना कटु, व्यंग्य या ताने मारने वाला भी हो सकता है।
##अग्नि तत्व की राशि का बुध, जातक को मिमिक्री करने वाला और विनोदी भी बनाता है। बुध की दृष्टि मन को अस्थिर बना देती है अतः साथी के बारे में भी विचार बदलते नजर आते है। विवाह में बहुत नाप-तौल करने की आदत हो जाती है।
##लग्न में रहकर यदि गुरु सप्तम को देखे तो जातक सुन्दर, बुद्धिमान और विवेकी होता है। उसकी आयु पूर्ण होती है और वह दूसरों की मदद को तत्पर रहता है। हाँ, इनमें अपने ज्ञान का अहंकार भी रहता है। जीवन साथी सुशिक्षित, अच्छे स्वभाव का और समझदार होता है।
##यदि गुरु तीसरे भाव में रहकर सप्तम को देखता हो तो शिक्षा में कमी को दिखाता है। बड़ी बहन का सुख नहीं मिलता, धन या कीर्ति में से एक ही प्राप्त होता है। जीवन साथी से मतान्तर रहने से खटपट बनी रहती है। यदि गुरु आय (11वें) भाव में हो तो जातक और उसके साथी के लिए ठीक होता है मगर पुत्र सुख में कमी करता है। सिंह का गुरु इस अशुभ फलों में वृद्धि करता है। ये जातक व्यवसाय में हानि ही पाते है।
#शुक्र की सप्तम पर दृष्टि जातक और उसके साथी को आकर्षक बनाती है। भिन्न लिंगी लोगों की तरफ झुकाव ज्यादा रहता है। बोलने में मिठास रहती है। ऐसा शुक्र होने पर जातक शादी के समय खूब नखरे करता है और अंत में साधारण से व्यक्ति से विवाह कर लेता है। विचार अस्थिर होने से धन का अपव्यय भी करता है।
##मंगल का प्रभाव होने पर अति भोग-विलास और नशे आदि का शौक हो जाता है जिससे स्वास्थ्य बिगड़ने की पूरी आशंका रहती है। ऐसे लोगों को चरित्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुरु की शरण में रहना चाहिए।
##बुध की इस भाव पर दृष्टि जातक को भोजन भट्ट यानि अधिक भोजन करने वाला बनाती है और इससे जातक का वजन बढ़ता है। बुध की दृष्टि जीवन साथी का सेन्स ऑफ ह्यूमर अच्छा रखती है। साथी वाचाल होता है, उसे बहुत बोलने की आदत होती है और यदि बुध अशुभ हो तो यह बोलना कटु, व्यंग्य या ताने मारने वाला भी हो सकता है।
##अग्नि तत्व की राशि का बुध, जातक को मिमिक्री करने वाला और विनोदी भी बनाता है। बुध की दृष्टि मन को अस्थिर बना देती है अतः साथी के बारे में भी विचार बदलते नजर आते है। विवाह में बहुत नाप-तौल करने की आदत हो जाती है।
##लग्न में रहकर यदि गुरु सप्तम को देखे तो जातक सुन्दर, बुद्धिमान और विवेकी होता है। उसकी आयु पूर्ण होती है और वह दूसरों की मदद को तत्पर रहता है। हाँ, इनमें अपने ज्ञान का अहंकार भी रहता है। जीवन साथी सुशिक्षित, अच्छे स्वभाव का और समझदार होता है।
##यदि गुरु तीसरे भाव में रहकर सप्तम को देखता हो तो शिक्षा में कमी को दिखाता है। बड़ी बहन का सुख नहीं मिलता, धन या कीर्ति में से एक ही प्राप्त होता है। जीवन साथी से मतान्तर रहने से खटपट बनी रहती है। यदि गुरु आय (11वें) भाव में हो तो जातक और उसके साथी के लिए ठीक होता है मगर पुत्र सुख में कमी करता है। सिंह का गुरु इस अशुभ फलों में वृद्धि करता है। ये जातक व्यवसाय में हानि ही पाते है।
#शुक्र की सप्तम पर दृष्टि जातक और उसके साथी को आकर्षक बनाती है। भिन्न लिंगी लोगों की तरफ झुकाव ज्यादा रहता है। बोलने में मिठास रहती है। ऐसा शुक्र होने पर जातक शादी के समय खूब नखरे करता है और अंत में साधारण से व्यक्ति से विवाह कर लेता है। विचार अस्थिर होने से धन का अपव्यय भी करता है।
##मंगल का प्रभाव होने पर अति भोग-विलास और नशे आदि का शौक हो जाता है जिससे स्वास्थ्य बिगड़ने की पूरी आशंका रहती है। ऐसे लोगों को चरित्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुरु की शरण में रहना चाहिए।