Astrologyउपाय लेख

मन में नकारात्मक विचार क्यों आते हैं? जानिए,कारण और उपाय… 

297views

मन में नकारात्मक विचार क्यों आते हैं? जानिए,कारण और उपाय… 

आधुनिक भागदौड़ के इस जीवन में प्रायः सभी व्यक्तियों को चिंता सताती रहती है। हर आयुवर्ग तथा हर प्रकार के क्षेत्र से संबंधित अपनी-अपनी चिंता होती हैं। चिंता को भले ही हम आज रोग ना माने किंतु इसके कारण कई प्रकार के लक्षण ऐसे दिखाई देते हैं जोकि सामान्य रोग को प्रदर्षित करते हैं। अगर यह चिंता कारण विशेष या समय विशेष पर हो तो चिंता की बात नहीं होती किंतु कई बार व्यक्ति चिंता करने का आदि होता है, जिसके कारण उसे हर छोटी बात पर चिंता हो जाती है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसे रासायनिक स्त्राव का असंतुलन माना जाता है किंतु वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस चिंता का दाता मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में तृतीय स्थान को माना जाता है।
चंद्रमा के प्रत्यक्ष प्रभाव को आप सभी महसूस करते हैं जब ज्वार-भाठा या पूर्णिमा अमावस्या आती है। चंद्रमा का पूर्ण संबंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है अगर चंद्रमा या तृतीयेष नीच राषि में स्थिति हो या षष्ठेष से युति या षष्ठस्थ हो या राहु केतु से युत हो तो व्यक्ति में तनाव जन्मजात गुण होता है। चूॅकि कालपुरूष का चतुर्थभाव चंद्रमा का भाव होता है अतः बहुत हद तक चतुर्थभाव का प्रतिकूल होना या चतुर्थेष का प्रतिकूल होना भी तनाव का कारण होता है।
चंद्रमा या तृतीयेष का अष्टमस्थ या द्वादषस्थ होना भी लगातार तनाव का कारण देता रहता है। विषेषकर इन ग्रह या इनसे संबंधित ग्रहों की गोचर में व्यक्ति पर मानसिक असंतुलन दिखाई देती है। चिंता से मुक्ति हेतु पीडि़त व्यक्ति को अपनी वर्तमान परिथितियों पर नजर रखते हुए उनमें बदलाव का प्रयास करना चाहिए।
इसके अलावा अपने जीवन में लगातार चिंता के कारणों तथा उससे जुड़े लोग तथा स्थिति को बेहतर करने का प्रयास करने के अलावा चंद्रमा को मजबूत करने तथा राहु की शांति के अलावा तृतीयेष का उपयुक्त उपाय करने से व्यक्ति को चिंता से मुक्ति मिल सकती है।
ALSO READ  Aaj Ka Rashifal 21 April 2023: आज इन राशियों को व्यावसायिक मामलों में मिलेगी सफलता