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भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु नामक छाया ग्रह अत्यंत बलवती पापाग्रह के नाम से जाना जाता है। जिसके फलस्वरूप गोचर में राशि से तृतीय अर्थात् मेष राशि, छठे यानी मकर राशि एवं एकादश अर्थात् सिंह राशि के लिए यह चातुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने वाला कहा जाएगा। वहीं मीन, वृश्चिक एवं कर्क राशियों के लिए अत्यंत नकारात्मक फल प्रदान करने वाला कहा जाएगा।
मेष
राशि के तृतीयेश राहु अत्यंत कल्याणकारी कहा जाएगा। पारिवारिक एवं सामाजिक रूप से जहां उन्नति प्रदान करेगा, वहीं पराक्रम में वृद्धि, आरोग्य वृद्धि, रुके हुए कार्यों को पूरा करने वाला सिद्ध होगा।नवम् भाव में गया हुए केतु पूज्य कहा जाएगा। वाद-विवाद भाग्यावरोध एवं कार्यों में थोड़ा विघ्नता पैदा कर सकता है।
उपाय –
कुत्ते को तिल तेल लगी रोटी खिलायें।
राहु मंत्र का जाप करें।
मदिरापान करने एवं करने वालो से दूर रहें।
वृष
राशि से द्वितीयस्थ राहु सामान्य फल प्रदान करने वाला कहा जाएगा। आर्थिक रूप से जहां यह संघर्ष कराने वाला कहा जाएगा। वहीं अपने लोगों से कष्ट, सरकार से असहयोग की स्थिति उत्पन्न करेगा। परिवार में अनावश्यक विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
अष्टम् भाव में गया हुए केतु अचानक दुर्घटना अथवा स्वास्थ्य में परेशानी पैदा कर पैतृक संपदा में विवाद की स्थिति पैदा कर सकता है।
उपाय –
तिल का दान करें।
विवाद से दूर रहने के लिए अंधेरा होने के उपरांत बाहर ना रहें।
किसी भी प्रकार के मीडिया में बयानबाजी से बचें।
राहु मंत्र ओम रां राहुवे नमः
मिथुन
राशि से गोचर कर रहा राहु मतिभ्रम की स्थिति पैदा करेगा। शारीरिक कष्ट, पत्नी से विवाद एवं संतान से मनमुटाव पैदा कर अहंकार की स्थिति उत्पन्न करेगा।
सप्तम् भाव का केतु पत्नी से मानसिक तनाव भोग एवं पेट से संबंधित समस्या पैदा करेगा।
उपाय –
आहार में खट्टी चीजों से परहेज करें।
खट्टे फलो का दान करें।
गाय को हरा चारा खिलायें।
कर्क
राशि से द्वादश राहु बेहद नकारात्मक परिणाम पैदा करेगा। अपव्यय नौकरी में स्थानांतरण, परिवार के सुख में बाधा, शत्रुओं से कष्ट एवं कष्टकारी यात्रा का योग बनाएगा।
छठे भाव में गया हुआ केतु अदालती कार्यों से मुक्ति या विजय दिलाएगा। नई योजनाएं सफल बनाने में पूरा सहयोग प्रदान कराएगा।
उपाय –
शिव मंदिर के दर्शन कर ओम का जाप करें।
तिल के तेल से शिवजी का अभिषेक करें।
सिंह
एकादश भाव में गया हुआ राहु चातुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। धन में वृद्धि, सुख-सम्मान में बढ़ोत्तरी एवं रुके हुए कार्यों को संपन्न कराएगा।
पंचम भाव में गया हुआ केतु पूजनीय है। मानसिक भ्रम एवं तनाव जोखिम भरा निर्णय, संतान के स्वास्थ्य में समस्या उत्पन्न करने वाला सिद्ध हो सकता है।
उपाय –
दोस्तों या बडे़ भाई को गजक या तिल के लड्डू खिलायें।
काले कपड़ों का दान करें।
राहु मंत्र का जाप कर मंदिर में भी तिल या तिल के लउ्डे चढ़ायें।
कन्या
कन्या राशि के लिए दशमस्थ राहु परम कल्याणकारी है। मनोवांछित फल प्रदान करने वाला यह राहु राजनैतिक एवं प्रशासनिक व्यक्ति के लिए सर्वदा शुभकारी परिणाम देगा। राजनीतिक विजय, पदोन्नति के लिए अत्यंत उत्तम है।
चतुर्थ भाव का केतु अचानक अपयश की स्थिति, माता के स्वास्थ्य में बाधा, भूमि विवाद एवं सीने से संबंधित, रोग पैदा कर सकता है।
उपाय –
बड़ों का आर्शीवाद लेकर काम की शुरूआत करें।
अपने बड़ों का वस्त्र तथा गुड़ का दान करें।
शिव मंत्र का जाप करें।
तुला
आपकी राशि से नवमस्थ राहु पूजनीय है। अचानक चलते हुए कार्यों में भाग्यावरोध के कारण समस्या आ सकती है। ऐसी स्थिति में श्रेष्ठजन की सहायता आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकती है। भाग्य के भरोसे किसी भी जोखिम को लेने में हानि का सामना करना पड़ सकता है।
तृतीय भाव में गया हुआ केतु जहां पराक्रम में वृद्धि कराएगा, वहीं ऋण, रोग एवं शत्रुओं का दमन करेगा।
उपाय –
पेड़ के तने अथवा अंधेरे स्थान पर तिल के तेल का दीपक जलायें और राहु मंत्र का जाप करें।
तिल और आटे की बनी गोली मछली को खिलायें।
वृश्चिक
आपकी राशि के लिए राहु का गोचर बेहद खराब कहा जाएगा। अष्टमस्थ राहु शारीरिक कष्ट, बदनामी, लोकप्रियता में कमी, दुर्घटना, सेहत में बाधा, एवं अपयश की स्थिति पैदा करने वाला कहा जाएगा।
राशि से द्वितीयस्थ केतु पारिवारिक विवाद के साथ-साथ संग्रह किए हुए धन को व्यय कराएगा एवं मुख से संबंधित रोग पैदा कर सकता है।
उपाय –
किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए तिल और गुड का दान करें।
अपने से बुजुर्ग व्यक्ति को आदर के साथ मीठे का प्रसाद खिलायें।
शंकर जी की पूजा कर खीचड़ी का प्रसाद चढ़ायें।
धनु
राहु की सप्तमस्थ अवस्था छोटी सी सफलता के लिए बड़े संघर्ष कराएगी। यात्रा में कष्ट, समझौते में हानि एवं बाहरी व्यक्ति से क्षति का संकेत देती है।
जन्म राशि पर गोचर कर रहा केतु आपके जीविकोपार्जन में व्यवधान देगा एवं अति चतुराई करने पर गंभीर नकारात्मक परिणाम प्रदान कर सकता है।
उपाय –
साथियों को तिल के मीठे पकवान खिलायें।
राहु मंत्र का जाप कर किसी पेड़ के तने में तिल के तेल का दीपक जलाकर तिल, आटा और शक्कर का मिश्रण रखें।
मकर
इस राशि के लिए छठे भाव में गया हुआ राहु आगामी 18 माह तक सर्वथा ही कल्याणकारी परिणाम प्रदान कराएगा। शत्रु विजय, धन के विशिष्ट मार्ग का प्रारंभ होना, यश एवं प्रसिद्धि, रोगों से मुक्ति, शत्रुओं का दमन, नए भूमि एवं वाहन का योग बनाएगा।
बारहवें घर में गया हुआ केतु व्यर्थ का व्यय विश्वासघात, चोरी से धनहानि, अनावश्यक यात्रा कराएगा।
उपाय –
रोग से बचने के लिए तिल या सरसो तेल को शरीर में लगायें।
तिल का तेल शनि मंदिर में चढ़ायें और
शनि मंत्र का जाप करें।
कुंभ
पंचम भाव में गया राहु संतान, धन, रोजगार की दिशा में नकारात्मक परिणाम प्रदान कर सकता है, लेकिन आपको सरकारी कार्यों में विशिष्ट सफलता दिलाएगा।
एकादश भाव में गया हुआ केतु कल्याणकारी परिणाम प्रदान करने के साथ-साथ आर्थिक उन्नति भी देगा।
उपाय –
संतान के सुख की कामना के लिए तिल का दान करें।
रात्रि जागरण कर काली माॅ की पूजा करें।
माता के मंदिर में निंबू की माला चढ़ायें।
मीन
राशि से चर्तुर्थस्थ राहु अशुभ परिणाम प्रदान करेगा। अचानक बदनामी, संतान से कष्ट, आर्थिक गिरावट एवं प्रत्येक कार्य में बाधा उत्पन्न करेगा।
राशि से दशमस्थ केतु सामान्य फलकारी है। संयम एवं चतुराई से कार्य करने पर थोड़े लाभ की संभावना कही जाएगी।
उपाय –
किसी बुजुर्ग महिला को नीले वस्त्र का दान करें।
किसी गरीब परिवार में तिल का तेल भेट करें।
सुंदरकांड का पाठ करें।