Astrology

बहुला संकष्टी श्री गणेश व्रत –

189views

download (4)

बहुला संकष्टी श्री गणेश व्रत –

भाद्रपद कृष्ण-पक्ष की तृतीया को भगवान गणेष की संकष्टहरण के रूप में पूजे जाते हैं। अमरकोष नामक ग्रंथ में उल्लेख है कि बहुला संकष्टी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। कहा जाता है किसी विषिष्ट कर्म में किसी प्रकार के विध्न को हरने हेतु गणेष की अर्चन एवं पूजन किया जाता है। अभिष्ट फल की प्राप्ति हेतु गणेष का व्रत किया जाता है इसमें प्रसन्न मन से पवित्र होकर पूजन सामग्रियों को एकत्रित कर भगवान के मूल मंत्र उॅ गं गणपतये नमः का उच्चारण करते हुए सारी सामग्रियों का चढ़ाकर भगवान के आठ नामों का उच्चारण करे हुए भगवान का वंदन करना चाहिए। भगवान षिव के गुहा के आगे जिनका आविर्भाव हुआ है और जो समस्त देवताओं के द्वारा अग्रपूज्य हैं उन्हें गणपति को विद्या, भाग्य, संतान आदि की अभिलाषा से भगवान का पूजन करने से अभिष्ठ फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेष को मोदक और दूर्वा अति प्रिय हैं अतः हरित वर्ण का दूर्वा जिसमें अमृत तत्व का वास होता है, उसे भगवान वैनायकी पर चढ़ाने पर से जीवन के सभी विध्न समाप्त होकर जीवन में सुखो का वास होता है और अभिष्ट कामना की पूर्ति होती है।