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सूर्यदेव का व्रत: प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं दूर होंगे रोग

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सूर्यदेव से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्यदेव प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले एकमात्र देवता हैं। वैदिक काल से उनकी उपासना की जा रही है। सूर्यदेव ही इस जगत में उजियारा फैलाते हैं। वास्तु में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको अपनाने से सूर्यदेव को प्रसन्न किया जा सकता है। सूर्यदेव को प्रसन्न करने से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

प्रत्येक रविवार सूर्यदेव का व्रत करने से सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सूर्यदेव की उपासना से नेत्र व चर्म रोग से मुक्ति मिलती है। प्रयास करना चाहिए कि घर के हर भाग में सूर्य का प्रकाश पहुंचे, अगर घर में प्रकाश नहीं पहुंचता है सूर्यदेव की तांबे से बनी प्रतिमा रखें। घर में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से आर्थिक परेशानियां नहीं आती हैं। सूर्यदेव को जल अर्पित करने के लिए तांबे के पात्र का ही प्रयोग करें और इस पात्र का अन्य किसी भी कार्य में प्रयोग न करें। लाल वस्त्र पहनकर सूर्यदेव को जल अर्पित करना अधिक प्रभावी माना गया है। सूर्योदय से पहले ब्रह्ममुहूर्त का समय अध्ययन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्योदय के समय घर के दरवाजे और खिड़की खुली रखें। रसोईघर एवं स्नानघर में भी सूर्य का प्रकाश पहुंचे ऐसी व्यवस्था करें। बच्चों के पढ़ाई वाले स्थान पर सूर्यदेव का चित्र लगाएं। घर की पूर्व दिशा में सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यदेव का चित्र लगा सकते हैं। प्रतिदिन सुबह उठने के पश्चात सूर्यदेव का दर्शन कर उनका स्मरण अवश्य करना चाहिए। बड़े बुजुर्गों का आदर करें।