ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली का ग्रह उसके जीवन पर अपना प्रभाव रखता है। बल्कि कहा जाता है कि यह ग्रह ही जातक के भूतकाल, वर्तमान और भविष्य का निर्धारण करते हैं और उसके जीवन में हर मोड़ पर अच्छे-बुरे दोनों का आदान-प्रदान करते हैं। माना जाता है यह ग्रह जातक को पहले कृत कर्म के आधार पर उसके रोग, शोक और सुख-ऐश्वर्य का प्रंबंध करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में ग्रह पीड़ित जातकों को रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है साथ ही कुछ ग्रह मंत्र दिए हैं जिनका जाप करन से ग्रहों क बुरे प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता है। यहां जानें किस ग्रह का कौन-सा रत्न/धातु/अन्न/वस्त्र/ माला/ मंत्र/ समय/ जप-संख्या है?
सूर्य : माणिक्य-ताम्र-गेहूं-लाल रक्तमणि-ओम ह्रां हीं स: सूर्याय नम:-सूर्योदय-7000
मंगल : मूंगा-ताम्र-मसूर-लाल-मूंगा-ओम क्रां क्रीं क्रों स: भौमाय-नम: 2 घटी-10000
बुध : पन्ना-कांसा-मूंग-हरा-हरिल-ओम ब्रां ब्रीं ब्रों स: बुधाय नम:- 5 घटी-1000
गुरु : पुखराज-सोना-चना दाल-पीला-हल्दी पीली-ओम ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरुवे नम:-संध्या-11000
शुक्र : हीरा-चांदी-चावल-श्वेत स्फटिक-ओम द्रां द्रीं द्रों स: शुक्राय नम:-सूर्योदय-16000
शनि : नीलम-लोहा-उड़द दाल- काला-नीलमणि-ओम प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नम:-संध्या-23000
राहु : गोमेद-सीसा-तिल-नीला-कृष्णा-ओम भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:-रात्रि-18000
केतु : लहसुनिया-लोहा-तिल-धूम्रवर्ण-नौरंगी-ओम स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:-रात्रि-17000।