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शनि प्रदोष: सूर्यास्त के बाद करें शिव पूजा,शनि की महादशा से होगी रक्षा

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शनिवार 21 मार्च शनिवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि “शनि प्रदोष व्रत” है, इस दिन प्रदोष काल में सूर्यास्त के समय भगवान शिव की विशेष पूजा का शास्त्रोंक्त विधान है। ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी के ऊपर शनि की महादशा चल रही हो तो शनि प्रदोष शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय शिवजी की यह छोटी सी पूजा कर लें। ऐसा करने से भगवान महादेव आपकी शनि दोषों से होने वाली परेशानियों से रक्षा करेंगे।

शनि प्रदोष काल में करें यह उपाय

शनि प्रदोष के दिन श्रद्धा भाव से प्रदोष काल में सूर्यास्त के समय शिव मंदिर में जाकर भगवान शिवजी का गंगाजल मिले शुद्धजल से 108 बार “ऊँ नमः शिवाय मंत्र” का जप करते हुए अभिषेक करें। ऐसा करने से जिनके ऊपर शनि की महादशा चल रही है वह शांत होने लगती है और जातक को अपार धन की प्राप्ति होने के साथ अमृत्तव की प्राप्ति भी होती है। कहा जाता है शनि प्रदोष का व्रत रखने वालें व्यक्ति को दो गायों का दान करने के बराबर पुण्यफल मिलता है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिये। पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का जप करना चाहिए। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पहले शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच की जाती है। व्रती को चाहिये की शाम को पुनः स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए। शिव मंदिर में जाकर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करने के बाद “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का 251 बार जप करें। जप के बाद इसी मंत्र का 108 बार उच्चारण करते हुए गंगाजल मिले जल से शिवाभिषेक करने से सभी तरह के शनि दोष खत्म हो जाते हैं।

अभिषेक के बाद इस मंत्र का जप करें

शिवजी का शुद्ध जल से अभिषेक करने के बाद इस मंत्र का 108 बार शिवजी के सामने बैठकर जप करें। भगवान शिवजी आपकी सभी मनोकामना पूरी कर देंगे।

मंत्र- “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा।