26 अक्टूबर 2020 का राशिफल: मिथुन राशि वालों के बिजनेस में प्रगति होगी, धन, सम्मान, यश और कीर्ति में वृद्धि
शुभ संवत 2077 शक 1942 सूर्य दक्षिणायन का…द्वितीय (शुद्ध) आश्विन मास शुक्ल पक्ष दसमी तिथि … दिन को 09 बजकर 01 मिनट तक … दिन … सोमवार … शतभिषा नक्षत्र … प्रातः को 06 बजकर 05 मिनट तक … आज चंद्रमा … कुंभ राशि में … आज का राहुकाल दिन 07 बजकर 30 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक होगा …
विजयदशमी पूजा से पायें मन पर विजय –
आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसका विशद वर्णन हेमाद्रि, सिंधुनिर्णय, पुरुषार्थ-चिंतामणि, व्रतराज, कालतत्त्वविवेचन, धर्मसिंधु आदि में किया गया है। हेमाद्रि ने विजयादशमी के विषय में दो नियम प्रतिपादित किये हैं-
- वह तिथि, जिसमें श्रवण नक्षत्र पाया जाए, स्वीकार्य है।
- वह दशमी, जो नवमी से युक्त हो।
स्कंद पुराण में आया है- जब दशमी नवमी से संयुक्त हो तो अपराजिता देवी की पूजा दशमी को उत्तर पूर्व दिशा में अपराह्न में होनी चाहिए। उस दिन कल्याण एवं विजय के लिए अपराजिता पूजा होनी चाहिए।
यह द्रष्टव्य है कि विजयादशमी का उचित काल है, अपराह्न, प्रदोष केवल गौण काल है। यदि दशमी दो दिन तक चली गयी हो तो प्रथम (नवमी से युक्त) अवीकृत होनी चाहिए। यदि दशमी प्रदोष काल में (किंतु अपराह्न में नहीं) दो दिन तक विस्तृत हो तो एकादशी से संयुक्त दशमी स्वीकृत होती है। इस बार नवमी युक्त दशमी 26 अक्टूबर को है अतः ज्यादा स्वीकार्य तिथि 26 अक्टूबर को मानी जायेगी।
मुख्य कृत्य –
इस शुभ दिन के प्रमुख कृत्य हैं- अपराजिता पूजन, शमी पूजन, सीमोल्लंघन (अपने राज्य या ग्राम की सीमा को लाँघना), घर को पुनः लौट आना एवं घर की नारियों द्वारा अपने समक्ष दीप घुमवाना, नये वस्त्रों एवं आभूषणों को धारण करना, राजाओं के द्वारा घोड़ों, हाथियों एवं सैनिकों का नीराजन तथा परिक्रमणा करना। दशहरा या विजयादशमी सभी जातियों के लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण दिन है, किंतु राजाओं, सामंतों एवं क्षत्रियों के लिए यह विशेष रूप से शुभ दिन है।
धर्मसिंधु में अपराजिता की पूजन की विधि संक्षेप में इस प्रकार है- अपराह्न में गाँव के उत्तर पूर्व जाना चाहिए, एक स्वच्छ स्थल पर गोबर से लीप देना चाहिए, चंदन से आठ कोणों का एक चित्र खींच देना चाहिए, संकल्प करना चहिए – मम सकुटुम्बस्य क्षेमसिद्ध् यर्थमपराजितापूजनं करिश्येय राजा के लिए – मम सकुटुम्बस्य यात्रायां विजयसिद्ध्यर्थमपराजितापूजनं करिष्ये। इसके उपरांत उस चित्र (आकृति) के बीच में अपराजिता का आवाहन करना चाहिए और इसी प्रकार उसके दाहिने एवं बायें जया एवं विजया का आवाहन करना चहिए और साथ ही क्रियाशक्ति को नमस्कार एवं उमा को नमस्कार कहना चाहिए। इसके उपरांत अपराजितायै नमः, जयायै नमः, विजयायै नमः, मंत्रों के साथ अपराजिता, जया, विजया की पूजा 16 उपचारों के साथ करनी चाहिए और यह प्रार्थना करनी चाहिए, हे देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिए की है, उसे स्वीकार कर आप अपने स्थान को जा सकती हैं। राजा के लिए इसमें कुछ अंतर है। राजा को विजय के लिए ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए – वह अपाराजिता जिसने कंठहार पहन रखा है, जिसने चमकदार सोने की मेखला (करधनी) पहन रखी है, जो अच्छा करने की इच्छा रखती है, मुझे विजय दे, इसके उपरांत उसे उपर्युक्त प्रार्थना करके विसर्जन करना चाहिए। तब सबको गाँव के बाहर उत्तर पूर्व में उगे शमी वृक्ष की ओर जाना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए। शमी की पूजा के पूर्व या उपरांत लोगों को सीमोल्लंघन करना चाहिए। यदि शमी वृक्ष ना हो तो अश्मंतक वृक्ष की पूजा की जानी चाहिए।
दशहरा अथवा विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाय अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, क्योंकि यह शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। दशहरा पर्व दस प्रकार के पापों – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
दशहरा पूजन –
दशहरे के दिन सुबह दैनिक कर्म से निवृत होने के पश्चात स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. घर के छोटे-बडे सभी सदस्य सुबह नहा-धोकर पूजा करने के लिए तैयार हो जाते हैं. उसके बाद गाय के गोबर से दस गोले अर्थात कण्डे बनाए जाते हैं. इन कण्डो पर दही लगाई जाती है. दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं. वह जौ दसवें दिन यानी दशहरे के दिन इन कण्डों के ऊपर रखे जाते हैं. उसके बाद धूप-दीप जलाकर, अक्षत से रावण की पूजा की जाती है. कई स्थानों पर लड़कों के सिर तथा कान पर यह जौ रखने का रिवाज भी दशहरे के दिन होता है. भगवान राम की झाँकियों पर भी यह जौ चढाए जाते हैं. सुबह के समय पूजा करने के बाद संध्या समय में जब ‘विजय’ नामक तारा उदय होता है तब रावण का दाह संस्कार पुतले के रुप में किया जाता है. रावण के पुतले जलाने का कार्य सूर्यास्त से पहले समाप्त किया जाता है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में हिन्दु धर्म के अनुसार सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है.
आज के राशियों का हाल तथा ग्रहों की चाल
मेष राशि
आज आपका दिन बेहतर रहेगा..
आर्थिक मामलों में आपको सफलता मिलेगी..
कार्यक्षेत्र में फायदा मिल सकता है..
पहले लिए गये फैसले कारगर साबित होंगे..
चंद्रमा के उपाय –
ऊॅ सों सोमाय नमः का जाप करें,
चावल, कपूर, का दान करें,
वृषभ
व्यवसायिक संबंधों में खटास….
कोर्ट में धन संबंधित विवाद…..
व्यर्थ की यात्रा…..
राहु के उपाय –
ऊॅ रां राहवे नमः का जाप कर दिन की शुरूआत करें,
धतूरे की माला शिवजी में चढ़ायें..
मिथुन
ऊर्जा तथा उत्साह में वृद्धि…..
काम में एकाग्रता….
वातरोग से कष्ट….
केतु के उपाय –
गणपति की उपासना करें, धूप, दीप तथा नैवेद्य चढ़ायें,
गुरूजन को मीठी चीजों का दान करें,
ऊॅ कें केतवें नमः का जाप कर दिन की शुरूआत करें,
कर्क
नये काम की शुरूआत…
अचानक यात्रा से स्वास्थ्य या गले में कष्ट…..
शनि के उपाय-
‘‘ऊॅ शं शनिश्चराय नमः’का जाप कर दिन की शुरूआत करें,
भगवान आशुतोष का रूद्धाभिषेक करें,
सिंह
सम्मान की प्राप्ति…
कर्ज की वापसी….
वाहन से चोट….
सूर्य के उपाय –
ऊ धृणिः सूर्याय नमः का जाप कर, अध्र्य देकर दिन की शुरूआत करें,
लाल पुष्प, गुड, गेहू का दान करें,
कन्या
स्थान परिवर्तन के योग….
कार्यक्षेत्र में लाभ….
पार्टनर की सेहत तथा खराब मानसिक स्थिति…..
बृहस्पति की शांति के लिए –
ऊॅ गुरूवे नमः का जाप करें,
मीठे पीले खाद्य पदार्थ का सेवन करें तथा दान करें,
तुला
आर्ट फिल्ड में यश की प्राप्ति….
नई योजनाओं में अच्छी सफलता….
संबंधों में निकटता…
शुक्र के लिए-
ऊॅ शुं शुक्राय नमः का जाप करें…
चावल, दूध, दही का दान करें …
वृश्चिक
व्यवसाय में हानि….
पारिवारिक रिश्तों में दूरी….
विरोध तथा विवाद से हानि…
राहु दोषों के निवारण के लिए –
ऊॅ रां राहवे नमः का जाप कर दिन की शुरूआत करें….
धतूरे की माला शिवजी में चढ़ायें….
धनु
मनोबल काफी अच्छा रहेगा…
काम में अच्छी सफलता मिलेगी…
आतुरता के कारण शारीरिक कष्ट की संभावना…
मंगल की शांति के लिए –
ऊॅ अं अंगारकाय नमः का जाप करें,
हनुमानजी की उपासना करें,
मसूर की दाल, गुड या तांबा दान करें,
मकर
धन, संपत्ति की प्राप्ति….
काम में अच्छी सफलता के योग….
कफ, कमर में दर्द तथा उदर विकार से कष्ट….
शनि से उत्पन्न कष्ट के लिए –
‘‘ऊॅ शं शनिश्चराय नमः’का जाप कर दिन की शुरूआत करें,
भगवान आशुतोष का रूद्धाभिषेक करें,
कुंभ
रूका हुआ भुगतान प्राप्त होगा…..
आय के नए साधनों की योजना बनेगी….
आलस्य तथा निर्णय में विलंब से बचें….
राहु कृत दोषों की शांति के लिए –
ऊॅ रां राहवे नमः का जाप कर दिन की शुरूआत करें,
धतूरे की माला शिवजी में चढ़ायें…
मीन
कार्यो में विफलता….
छोटे बच्चों को चोट की संभावना….
राज्यपक्ष से लाभ….
बृहस्पति की शांति के लिए –
ऊॅ ब्रं ब्रहस्पतये नमः का जाप करें….
मीठे पीले खाद्य पदार्थ का सेवन करें तथा दान करें….