astrologer

एक्जाम में अच्छे अंक के ज्योतिषीय उपाय

137views

हर माता-पिता की एक ही कामना होती है कि उसके बच्चे उच्च षिक्षा ग्रहण करें, हर परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करें। इसके लिए वे हर प्रकार से प्रयास करते हैं साथ ही हर वह उपाय करते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो किंतु हर संभव प्रयास करने के उपरांत भी कई बार असफलता आती है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, प्रयास में कमी, परिस्थितियों का विपरीत होना या कोई मामूली सी गलती भी असफलता का कारण हो सकती है। किंतु ज्योतिष दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह सभी घटना आकस्मिक ना होकर ग्रहीय है। परीक्षा का संबंध स्मरणषक्ति से होता है, जिसका कारक ग्रह है बुध परीक्षा भवन में मानसिक संतुलन का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसका कारक ग्रह है चंद्रमा परीक्षा में विद्या की स्थिरता, विकास का आकंलन मूख्य होता है, जिसका कारक ग्रह है गुरू भाषा या शब्द ज्ञान होना भी परीक्षा में आवष्यक गुण माने जा सकते हैं, जिसका कारक ग्रह होता है शनि साथ ही राहु तथा शुक्र आपकी भोग तथा सुख के प्रति लालसा को प्रर्दषित करती है अतः इनके अनुकूल या प्रतिकूल या दषा अंतदषा का प्रभाव भी परीक्षा में पड़ सकता है। इसके अलावा परीक्षार्थी के पंचम स्थान, जहाॅ से विद्याविचार द्वितीय स्थान जहाॅ से विद्या योग देखा जाता है। इस सबो के अलावा जातक के विंषोतरी दषाओं पर भी विचार करना चाहिए। लग्न, तीसरे, दसवें, पाॅचवें, ग्यारवहें शनि के कारण तथा वयस्कता की शुरूआत इन दो वजहों से अथवा शुक्र राहु आदि ग्रहों की अंतरदषाओं में भी व्यवधान संभव है। क्योंकि इन तीनों ग्रहों की दषाओं में जातक स्वेच्छाचारी हो जाता है तथा अनुषासनहीन व अवज्ञाकारी अनियमित तथा बहिरमुखी हो जाता है। परिणामस्वरूप असफलता हाथ आती है। ऐसे जातकों के अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चो की जन्म कुंडलियाॅ विद्धान आचार्यो को दिखाकर उन ग्रहों के विधिवत् उपाय कर अनुषासन तथा आज्ञापालन नियमितता तथा एकाग्रता सुनिष्चित करें। तभी बच्चें अपने कैरियर में ग्रहों के प्रभाव से ऊपर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही एकाग्रता तथा नियमितता बनाये रखने के लिए भृगु पूजन कराना चाहिए।