
क्या आपकी कुंडली में विदेश यात्रा लिखी है?
आज के समय में विदेश यात्रा केवल एक सपने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, करियर, नौकरी, व्यापार, शादी और स्थाई रूप से बसने जैसे बड़े कारणों से जुड़ चुकी है। कई लोग जीवनभर विदेश जाने की इच्छा रखते हैं, पर कुछ ही लोग वहां तक पहुँच पाते हैं।
ज्योतिष के अनुसार इसके पीछे मुख्य कारण है — विदेश यात्रा के ग्रह योग।
कुंडली में कुछ विशेष ग्रह, भाव और दशाएँ मिलकर ऐसे प्रबल योग बनाते हैं, जिससे व्यक्ति विदेश जाता है, विदेश में सफलता पाता है या वहीं बसने का अवसर मिलता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि किन-किन स्थितियों में कुंडली में विदेश यात्रा का योग बनता है।
विदेश यात्रा के प्रमुख भाव (Houses)
विदेश योग मुख्य रूप से कुंडली के 4 भावों से बनते हैं:
1️⃣ तीसरा भाव – यात्राओं का भाव
छोटे और लंबे दोनों तरह के यात्राओं को तीसरा भाव दर्शाता है।
यदि यह भाव मजबूत हो या इसके स्वामी शुभ ग्रहों से प्रभावित हों, तो व्यक्ति बार-बार यात्रा करता है और कई बार विदेश भी जाता है।
2️⃣ चतुर्थ भाव (4th House) कमजोर होना
चतुर्थ भाव ‘घर-परिवार’ और ‘स्थाई निवास’ का कारक है।
जब यह भाव कमजोर, पाप ग्रहों से प्रभावित या अप्राकृतिक स्थिति में हो, तब व्यक्ति अपने देश या घर से दूर जाने को मजबूर होता है।
3️⃣ सप्तम भाव – विदेश व्यापार और विदेश विवाह
यदि व्यापार के संबंध से विदेश जाना हो, तो सप्तम भाव की भूमिका सबसे मजबूत मानी जाती है।
सप्तम भाव प्रभावित होने पर:
-
विदेशी कंपनी में जॉब
-
विदेश में शादी
-
विदेशियों से व्यापार
-
इमीग्रेशन
जैसे योग बनते हैं।
4️⃣ द्वादश भाव – विदेश, सागर पार यात्रा, वीज़ा, इमिग्रेशन
सबसे प्रबल योग 12वाँ भाव ही बनाता है।
यदि 12वें भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या यहाँ का स्वामी मजबूत हो तो व्यक्ति विदेश जाने में सफल होता है।

विदेश यात्रा के प्रमुख भाव (Houses)
विदेश योग मुख्य रूप से कुंडली के 4 भावों से बनते हैं:
1️⃣ तीसरा भाव – यात्राओं का भाव
छोटे और लंबे दोनों तरह के यात्राओं को तीसरा भाव दर्शाता है।
यदि यह भाव मजबूत हो या इसके स्वामी शुभ ग्रहों से प्रभावित हों, तो व्यक्ति बार-बार यात्रा करता है और कई बार विदेश भी जाता है।
2️⃣ चतुर्थ भाव (4th House) कमजोर होना
चतुर्थ भाव ‘घर-परिवार’ और ‘स्थाई निवास’ का कारक है।
जब यह भाव कमजोर, पाप ग्रहों से प्रभावित या अप्राकृतिक स्थिति में हो, तब व्यक्ति अपने देश या घर से दूर जाने को मजबूर होता है।
3️⃣ सप्तम भाव – विदेश व्यापार और विदेश विवाह
यदि व्यापार के संबंध से विदेश जाना हो, तो सप्तम भाव की भूमिका सबसे मजबूत मानी जाती है।
सप्तम भाव प्रभावित होने पर:
-
विदेशी कंपनी में जॉब
-
विदेश में शादी
-
विदेशियों से व्यापार
-
इमीग्रेशन
जैसे योग बनते हैं।
4️⃣ द्वादश भाव – विदेश, सागर पार यात्रा, वीज़ा, इमिग्रेशन
सबसे प्रबल योग 12वाँ भाव ही बनाता है।
यदि 12वें भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या यहाँ का स्वामी मजबूत हो तो व्यक्ति विदेश जाने में सफल होता है।
विदेश यात्रा के 12 सबसे पक्के ज्योतिष योग
1️⃣ 12वें भाव में राहु
सबसे शक्तिशाली विदेश यात्रा योग।
यह व्यक्ति को विदेश में स्थाई रूप से बसने तक के अवसर देता है।
2️⃣ लग्नेश का 12वें भाव में होना
ऐसे लोग अपने जीवन का बड़ा हिस्सा विदेश में बिताते हैं।
3️⃣ 4th भाव का कमजोर होना
घर–परिवार से दूर रहने का संकेत → विदेश।
4️⃣ 3rd और 12th भाव का सम्बन्ध
यदि यह योग बने → यात्रा + विदेश दोनों।
5️⃣ 7th भाव में राहु
विदेशी पार्टनर या विदेशी व्यापार से विदेश यात्रा।
6️⃣ केतु 9वें भाव में
धार्मिक या आध्यात्मिक यात्रा के लिए विदेश जाना।
7️⃣ गुरु का 12वें भाव पर दृष्टि रखना
शिक्षा, नौकरी या शादी के लिए विदेश योग।
8️⃣ शनि का 9वें भाव में होना
लंबी दूरी की यात्राएँ, काम के लिए विदेश।
9️⃣ 10th भाव (Career) का 12th से संबंध
विदेशों में नौकरी मिलने का योग।
🔟 नवांश कुंडली में 12वें भाव का मजबूत होना
यह विदेश बसने का संकेत है।
1️⃣1️⃣ दशा–अंतरदशा में राहु-शनि-गुरु का सक्रिय होना
विदेश यात्रा उसी समय होती है जब इनके ग्रहकाल चलते हैं।
1️⃣2️⃣ अशुभ ग्रहों का 4th भाव को छोड़ना
घर से दूरी → विदेश।
किस प्रकार की विदेश यात्रा होती है?
1️⃣ शिक्षा के लिए विदेश जाना
अगर आपकी कुंडली में 5th + 9th + गुरु का संबंध है, तो आप उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं।
2️⃣ नौकरी/करियर के लिए विदेश
10th भाव + 12th भाव संबंध = विदेशी नौकरी।
3️⃣ व्यापार/व्यापारिक डील
7th भाव + राहु = विदेशी व्यापार।
4️⃣ शादी के बाद विदेश बसना
सप्तम भाव + 12वाँ भाव = मैरिज के बाद विदेश में सेटलमेंट।
5️⃣ आध्यात्मिक या धार्मिक यात्रा
केतु + 9th भाव = तीर्थ/धार्मिक विदेश यात्रा।
विदेश जाने में कौन-सी दशाएँ सबसे प्रभावी होती हैं?
सबसे कारगर दशाएँ:
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राहु महादशा / अंतरदशा
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शनि महादशा
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गुरु महादशा
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सूर्य/चंद्र की भी दशा यदि 3rd या 12th भाव सक्रिय हो
दशा + गोचर (Transit) दोनों को मिलाकर ही सटीक निष्कर्ष निकलता है।
गोचर (Transit) से कब पूरा होता है विदेश का योग?
यदि गोचर में:
✔ शनि या राहु 12वें भाव में प्रवेश करें
→ यात्रा पक्की
✔ गुरु 9वें, 12वें या 3rd भाव में आए
→ स्टडी/जॉब के लिए विदेश
✔ राहु 3rd भाव में आए
→ अचानक विदेश यात्रा
कुंडली में विदेश बसने (Permanent Residency) का योग
विदेश में बसने के लिए कुंडली में 3 योग चाहिए:
✔ 12वाँ भाव मजबूत
✔ राहु का प्रभाव
✔ 4th भाव कमजोर
यदि ये तीनों मिल जाएँ, तो व्यक्ति विदेश में स्थाई रूप से बस जाता है।
विदेश यात्रा योग को सक्रिय कैसे करें? (चमत्कारी उपाय)
1️⃣ राहु की शांति
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मां कालरात्रि की पूजा
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नारियल का दान
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ऊनी कपड़े गरीबों को दान
2️⃣ चंद्र को मजबूत करें
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सफेद चीजों का दान
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सोमवार का व्रत
3️⃣ शिक्षा/विदेश के लिए गुरु मजबूत करें
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बृहस्पति वार को पीली वस्तुएँ दान
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गुरुवार उपवास
4️⃣ शनि की कृपा प्राप्त करें
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शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएँ
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काले कपड़े दान करें
निष्कर्ष कुंडली में विदेश यात्रा के योग तभी बनते हैं जब 12वाँ, 3रा, 7वाँ और 9वाँ भाव एक-दूसरे से सम्बन्ध बनाते हैं, और राहु–शनि–गुरु की दशा/गोचर इसे सक्रिय करते हैं। 👉 अगर आपकी कुंडली में ये योग बनते हैं, तो विदेश जाने में कोई बाधा आपको रोक नहीं सकती।
👉 अगर योग कमज़ोर हों, तो सही उपाय और ग्रहों की शांति से भी विदेश यात्रा संभव हो सकती है।





