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कारकांश लग्न और आपका जीवन

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(1) कारकांश लग्न में सूर्य व राहु की युति हो व शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति विषवैद्य अर्थात चिकित्सक होता है। (हमने इसे एम.सी. डाॅक्टरों में उचित पाया है) (2) कारकांश लग्न में सूर्य व शुक्र दोनों की दृष्टि हो तो व्यक्ति राजा अथवा सरकार का विश्वसनीय होता है। (3) कारकांश लग्न व केतु दोनों पर शुक्र की दृष्टि हो तो व्यक्ति दीक्षा ग्रहण करता है कर्मकाण्डी, यज्ञ, हवन करने वाला होता है। (4) कारकांश लग्न में केतु हो उस पर बुध शनि की दृष्टि हो तो जातक नपुंसक होता है। यदि शुक्र बुध की दृष्टि हो तो जातक दासी पुत्र (नजायज संतान) होता है। (5) कारकांश लग्न में केतु केवल शनि द्वारा दृष्ट हो तो वह व्यक्ति कपटी होता है अर्थात् जैसा वह दिखता है वैसा नहीं होता। (6) यदि कारकांश लग्न से चतुर्थ भाव में चंद्र हो और उस पर शुक्र, मंगल, केतु (किसी भी एक की) दृष्टि हो तो व्यक्ति कुष्ट रोगी होता है। (7) कारकांश लग्न से चतुर्थ में केतु हो तो जातक सूक्ष्म यंत्रों को बनाने वाला (घड़ी साज) मंगल हो तो हथियार रखने वाला शनि हो तो निशानेबाज (धर्नुधारी) राहु हो तो लोहे से समान बनाने वाला होता है। (8) कारकांश लग्न से पंचम भाव में शुुक्र हो तो व्यक्ति कवि, वक्ता या साहित्यकार होता है यदि गुरु हो तो बहुत से विषयों का जानकार विद्वान होता है। यदि शुक्र चंद्र हो तो लेखक, मंगल हो तो तर्कशास्त्री, वकील तथा सूर्य हो तो वेदों का ज्ञाता एवं गायक होता है। (9) कारकांश से सप्तम भाव में गुरु और चंद्र हो तो जातक की पत्नी सुंदर व उसे चाहने वाली होती है, शनि हो तो उम्र में बड़ी रोगी अथवा तपस्विनी होती है। बुध हो तो गायन, वादन कला में निपुण होती है। (10) कारकांश से दशम भाव में बुध हो या बुध की दृष्टि हो तो जातक अपने पेशे में प्रसिद्ध होता है यदि बुध हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक वकील, जज होता है अर्थात विवादों को हल करने वाला होता है। (11) कारकांश लग्न से बाहरवें सूर्य और केतु हो तो जातक शिव भक्त चंद्र हो तो गौरी भक्त, मंगल हो तो कार्तिकेय, बुध और शनि हो तो विष्णु भक्त, गुरु हो तो शिव गौरी (दोनों) शुक्र हो तो लक्ष्मी भक्त या उपासक होता है, राहु हो तो तामसिक भक्ति केतु हो तो गणेश भक्ति वाला होता है। इस प्रकार बहुत से अन्य योग भी दिये गये हैं जिनसे काफी कुछ जानकारी व्यक्ति विशेष के बारे में जानी जा सकती है यहां यह भी ध्यान रखें कि यह सारे फलादेश आज के संदर्भ में समयानुसार परिवर्तन के साथ समझे जा सकते हैं वहीं दृष्टि यहां पर जैमिनी मानी गई है पराशरीय नहीं।

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