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कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए करे ये ज्योतिषीय समाधान

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एक जैसी कठिनाइयां झेलते हुए, एक जैसे दायित्व निभाते हुए, एक जैसी वस्तुएं पसंद या नापसंद करते हुए भी कुछ लोगों में नरमी और सुगम्यता होती है, तो कुछ कठोर और असहिष्णु होते हैं। कुछ प्रफुल्लचित्त होते हैं, तो कुछ उदास रहते हैं। कुछ में आत्मविश्वास होता है, तो कुछ कायर होते हैं। कुछ सब को साथ लेकर चल सकते हैं, तो कुछ ऐसा नहीं कर पाते। इसका ज्ञान सामान्य जीवन में मनुष्य को देखकर नहीं लगाया जा सकता है किंतु किसी व्यक्ति की कुंडली में उसका तीसरा स्थान देखकर इस बात की जानकारी प्राप्त की जा सकती है

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कि उसका व्यवहार विषेष परिस्थितियों में कैसा होगा। इसके लिए कुंडली में अगर तीसरे स्थान का स्वामी शनि होकर लग्न, तीसरे स्थान में अथवा छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में हताष हो सकता है। इसी प्रकार अगर तीसरे स्थान का स्वामी होकर गुरू तीसरे स्थान में ही हो तो ऐसे व्यक्ति को ज्ञान का अभाव हो सकता है

 

अतः ऐसी स्थिति में उसके जीवन में निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। इसी प्रकार अगर तीसरे स्थान में राहु हो जाए तो निर्णय में यर्थायवाद की कमी होती है और ऐसे लोग जीवनभर अपनी वर्तमान परिस्थिति का आकलन किए बिना निर्णय लेकर परेषान होते रहते हैं। इसी प्रकार अन्य ग्रह योगो आकलन कर वैयक्तिक गुण का आकलन किया जा सकता है

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और इसके सामान्य वैदिक उपाय लेकर इन परिस्थिति से आसानी से निकला ला सकता है। इसके लिए ग्रह शांति, मंत्रजाप तथा ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। अगर बहुत ज्यादा कठिन दौर हो तो बटुक भैरव मंत्र का जाप 18 दिन तक 11 माला करें, तिल के तेल का दीपक जलाकर, जाप पूर्ण करने के उपरांत काली चिटि़यों के लिए आटा-शक्कर का भोग निकाले औरमंत्रजाप पूर्ण होने पर जौ, काले तिल तथा कमलगट्टे से पंचआहुति करें, इससे परिस्थितियाॅ अनुकूल होती हैं।