Health Astrologyउपाय लेख

मन की शांति के लिए करें ये शानदार उपाय

317views

मन की शांति

सारा खुशीयों का खेल मानव के मन पर निर्भर होता है। हम जैसा जीवन जीते हैं, जो भी करते हैं, मन के आधार और उसके अनुसार ही तय होता है।हम पैरों से चलते दिखाई देते हैं, परंतु चलना हमारे मन के राजी होने या निर्देश पर ही होता है। मन धूरी है ,जिस पर शरीर टिका रहता है ।जैसा हमारा मन होता है, वैसा ही हमारा जीवन होता है इसलिए कहा गया है मन के जीते जीत है ,मन के हारे हार।।

मन का नियंत्रण

हमारे मन की स्थिति पूर्णतया हमारे हाथ में होती है और दूसरे इंसान के मन स्थिति उसके मन पर होती है। इसीलिए हम उसे मन की पर स्थिति या परिस्थिति कहते हैं, जो पूर्णतया सामने वाले के नियंत्रण में होती है। पर स्थिति को बदलना हमारे नियंत्रण के बाहर होता है, यह बात हमें समझ लेनी चाहिए। हमारा मन ही सिर्फ हमारे नियंत्रण में होता है, इसे ही हमें अपने वश में रखना है,इसे ही समझना, इससे कार्य करवाना, भोजन देकर इसे तंदुरुस्त रखना हमें सीखना है, जिससे मन की शांति और खुशी निरंतर बनी रहती है।

तनाव क्या है ? 

जब आप तनाव में होते हैं, तब आपकी भौहें चढ़ जातीं हैं। जब आप इस तरह त्यौरी चढ़ाते हैं, तब आपके चेहरे की 72 नसें और माँस-पेशियां उपयोग में लाते हैं। लेकिन जब आप मुस्कुराते हैं तब उन में से केवल 4 का उपयोग करते हैं।अधिक कार्य का अर्थ है अधिक तनाव। तनाव आपकी मुस्कान को भी गायब कर देता है। आपकी बॉडी लेंग्वेज आपकी मानसिक स्थिति और शारीरिक तंत्र की उर्जा का संकेत दे देती है।

हम एक उर्जा के बादल में हैं, जिसे चेतना कहते हैं। यह एक मोमबत्ती और बाती जैसा है। जब आप मोमबत्ती पर माचिस की तीली लगाते हैं तो बाती पर ज्योत प्रकट होती है। मोमबत्ती में हाईड्रोकार्बन है। लेकिन जब उसे प्रज्ज्वलित किया जाता है, तब ज्योति केवल उसकी चोटी पर टिमटिमाती है। इसी तरह हमारा शरीर मोमबत्ती की बाती की तरह है और इसके आसपास जो है वह चेतना है, जो हमें जीवित रखती है। तो हमें अपने मन और आत्मा का ध्यान रखना है।

हमारे अस्तित्व के 7 स्तर हैं – शरीर, श्वास, मन, बुद्धि, स्मृति, अहम् और आत्मा। मन में विचार और अनुभूति की समझ निरंतर बदलते रहते हैं। आत्मा हमारी अवस्था और अस्तित्व का सूक्ष्मतम पहलू है। आत्मा, मन और शरीर को जोड़ती है। वह हमारी सांस है।

सब कुछ बदलता रहता है। हमारा शरीर बदलाव से गुज़रता है, वैसे ही मन, बुद्धि, समझ, धारणाएं, स्मृति और अहम् भी। लेकिन हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो नहीं बदलता। उसे आत्मा कहते हैं, जो कि सब बदलावों का सन्दर्भ बिंदु है। जब तक आप इस सूक्ष्मतम पहलू से नाता नहीं जोड़ेंगे, आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति के अनुसार आप एक स्वस्थ व्यक्ति नहीं माने जायेंगे।

स्वास्थ्य की दूसरी निशानी है, सचेत, सतर्क और जागरूक रहना। मन की 2 स्थितियाँ होती हैं : एक तो शरीर और साथ में मन। और दूसरा, शरीर और मन भिन्न दिशाओं की ओर देखते हुए। कभी जब आप तनाव में हैं, तब भी आप सतर्क रहते हैं लेकिन ये ठीक नहीं है। आप सतर्क और साथ ही तनाव-मुक्त भी होने चाहिए, इसी को ज्ञानोदय कहते हैं।

भावनात्मक अस्थिरता, तनाव होने के कारणों में से एक है। हर एक भावना के लिए हमारी श्वास में एक विशेष लय है। धीमे और लंबे श्वास आनंद का और उग्र श्वास तनाव का संकेत देते हैं। जिस तरह से एक शिशु श्वास लेता है, वह एक वयस्क के श्वास लेने के तरीके से भिन्न है। यह तनाव ही है जो एक व्यक्ति की श्वसन पद्धति को भिन्न बनाती है।

हम अपना आधा स्वास्थ्य संपत्ति कमाने में खर्च कर देते हैं और फिर हम वह संपत्ति स्वास्थ्य को वापस सुधारने में खर्च कर देते हैं। यह किफायती नहीं है। अगर कोई छोटी-मोटी असफलता आ जाए तो चिंता न करें। तो क्या हुआ? हर एक असफलता एक नई सफलता की ओर बड़ा कदम है। अपना उत्साह बढ़ाइए। अगर आप में कुशलता है तो आप किसी भी परिस्थिति में व्यंग्य को डाल कर उसे पूरी तरह से बदल सकते हैं। तनाव से बचें। पशु जब गीले हो जाते हैं या धूल में खेलते हैं, तो बाहर आ कर वे क्या करते हैं? वे अपना सारा शरीर झकझोरते हैं और अपने आप से सब कुछ बाहर निकाल फेंकते हैं। लेकिन हम मनुष्य सारा कुछ, सारा तनाव पकड़ के रखते हैं। किसी कुत्ते, पिल्ले या बिल्ली को देख कर हमें सब कुछ झाड़ना आना चाहिए। जब आप ऑफिस में आते हैं, तो घर को झकझोर दें। जब आप घर वापस जाएं, अपने मन से ऑफिस को झाड़ दें।