कालसर्प का प्रभाव –
कालसर्पयोग में जन्मे व्यक्ति को प्रायः बुरे स्वप्न आते है।स्वप्न में सांप दिखलाई पडते है। रातको चमकना,पानी से डरना तथा ऐसे अशुभ होने की आशंका का भय रहता है। नींद में चमकना,हमेंशा कुछ न कुछ अशुभ होने की आशंका मन में रहना,नाग का दीख पडना,उसे मारना,उसके टुकडे होते देखना,नदी-तालाब,कुऐं व समुद्र का पानी दीखना,पानी में गिरना और बाहर आने का प्रयत्न करना,झगडा होते देखे और खुद झगडे में उलझ जाये,मकान गिरते देखना,वृक्ष से फल गिरते देखना। स्वप्न में विधवा स्त्री दीखे,चाहे व स्वयं के परिवार की ही क्यों न हो। जिनके पुत्र जीवित नहीं रहते हैं,उन्हे स्वप्न में स्त्री की गोद में मृतबालक दिखलाई पडता है। नींद में सोते हुये ऐसा लगे कि शरीर पर सांप रोग रहा हो पर जागने पर कुछ भी नहीं। छोटे बच्चे बुरे स्वप्न के कारण बिस्तर गीला कर देते हैं। ये सभी स्वप्न अशुभ है। तथा कालसर्पयोग कि स्थिति को स्पष्ट करते हैं।
कालसर्पयोग का प्रमुख लक्षण एवं प्रत्यक्ष प्रभाव संतान अवरोध,गृहस्थ में प्रतिपल कलह,धनप्राप्ति की बाधा एवं मानसिक अशान्ति के रूप में प्रकट होता है। उपरोक्त सभी प्रभाव मौटे तौर पर बनाये गये हैं। कालसर्पयोग भी कई प्रकार के होते हैं। तथा उसका सूक्ष्म प्रभाव हम आगे बतला रहे हैं।
जातक के शरीर में वात,पित्त,त्रिदोषजन्म उत्कन्ट रोग अकारण उत्पन्न होते हैं। गंडमाला,कुष्ट,कण्डू,नेत्रकर्णशूल,मुत्रकृच्छ,एवं ऐसे रोग जो नित्यपीडा देते हैं। तथा औषधी लेने पर भी ठीक नहीं होते तो समझ लीजिए सर्पवध के कारण ही यह रोग उत्पन्न हुआ है। नागबली विधान के बिना इसकी शान्ति सम्भव नहीं।
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