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– घर का हर व्यक्ति सूर्योदय के पहले उठे और उगते सूर्य के दर्शन करे।
इसी समय जोर से गायत्री मंत्र का उच्चारण करे तो घर के वास्तु दोष भी नष्ट हो जाते है।
– सूर्य दर्शन के बाद सूर्य को जल, पुष्प और रोली-अक्षत का अर्घ्य दे, सूर्य के साथ त्राटक करे।
– बिस्तर से उठते समय दोनों पैर जमीन पर एक साथ रखे, उसी समय इष्ट का स्मरण करे और हाथों को मुख पर फेरे।
– स्नान और पूजन सुबह 7 से 8 बजे के बीच अवश्य कर ले।
– घर में तुलसी और आक का पौधा लगाए और उनकी नियमित सेवा करे।
– पक्षियों को दाना डाले।
– शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करें, कबाड़ बाहर निकले और जूते-चप्पलों का दान कर दे।
– स्नान करने के बाद स्नानघर को कभी गंदा न छोड़े।
– जितना हो सके भांजी और भतीजी को कोई न कोई उपहार देते रहे।
किसी बुधवार को बुआ को भी चाट या चटपटी वस्तु खिलाएँ।
– घर में भोजन बनते समय गाय और कुत्ते का हिस्सा अवश्य निकाले।
– बुधवार को किसी को भी उधार न दे, वापस नहीं आएगा।
– राहू काल में कोई कार्य शुरू न करें।
– श्री सूक्त का पाठ करने से धन आता रहेगा।
– वर्ष में एक या दो बार घर में किसी पाठ या मंत्रोक्त पूजन को ब्राह्मण द्वारा जरूर कराए।
– स्फटिक का श्रीयंत्र, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति और दक्षिणावर्त शंख को घर या दुकान आदि में स्थापित कर पूजन करने से घर का भण्डार भरा-पूरा रहता है।
– घर के हर सदस्य को अपने-अपने इष्ट का जाप व पूजन अवश्य करना चाहिए।
– जहाँ तक हो सके अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री आदि का दान करें।
दान करने के बाद उसका उल्लेख न करें।
– अपने राशि या लग्न स्वामी ग्रह के रंग की कोई वस्तु अपने साथ हमेशा रखे।
श्री गणेश को इन मंत्रों से चढ़ाएं 21 दूर्वा, हर काम होगा सफल
इंसान जब किसी काम की शुरूआत पूरी योजना और मनायोग से करे, किंतु फिर भी उम्मीदों और लक्ष्य के मुताबिक नतीजे पाने में सफल न हो तो निराशा घर करने लगती है।
अगर यह हताशा में बदलने लगे तो संभवत: जीवन में असफलता का बड़ा कारण बन सकती है।
जबकि ऐसे वक्त कमियों पर गौर करना जरूरी होता है। हिन्दू धर्म में ऐसे वक्त, नाकामियों और विघ्रों से बचने के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ हर कार्य की शुरूआत विघ्रहर्ता श्री गणेश की उपासना से की जाती है। श्रीगणेश विनायक नाम से भी पूजनीय है।
विनायक पूजा और उपासना कार्य बाधा और जीवन में आने वाली शत्रु बाधा को दूर कर शुभ व मंगल करती है। यही कारण है हर माह के शुक्ल पक्ष को विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की उपासना कार्य की सफलता के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है। यहां जानते हैं विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश उपासना का एक सरल उपाय, जो कोई भी अपनाकर हर कार्य को सफल बना सकता है –
– चतुर्थी के दिन, बुधवार को सुबह और शाम दोनों ही वक्त यह उपाय किया जा सकता है।
– स्नान कर भगवान श्री गणेश को कुमकुम, लाल चंदन, सिंदूर, अक्षत, अबीर, गुलाल, फूल, फल, वस्त्र, जनेऊ आदि पूजा सामग्रियों के अलावा खास तौर पर 21 दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा श्री गणेश को विशेष रूप से प्रिय मानी गई है।
– विनायक को 21 दूर्वा चढ़ाते वक्त नीचे लिखे 10 मंत्रों को बोलें यानी हर मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं और आखिरी बची दूर्वा चढ़ाते वक्त सभी मंत्र बोलें। जानते हैं ये मंत्र
– ॐ गणाधिपाय नम:। ॐ विनायकाय नम:। ॐ विघ्रनाशाय नम:। ॐ एकदंताय नम:। ॐ उमापुत्राय नम:। ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:।ॐ ईशपुत्राय नम:। ॐ मूषकवाहनाय नम:। ॐ इभवक्त्राय नम:। ॐ कुमारगुरवे नम:।
– मंत्रों के साथ पूजा के बाद यथाशक्ति मोदक का भोग लगाएं। 21 मोदक का चढ़ावा श्रेष्ठ माना जाता है।
– अंत में श्री गणेश आरती कर क्षमा प्रार्थना करें। कार्य में विघ्र बाधाओं से रक्षा की कामना करें।
हिंदू धर्म के अंतर्गत मंत्रों का विशेष महत्व है।
इन मंत्रों के माध्यम से कई विशेष सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है।
धर्म शास्त्रों में एक ऐसे मंत्र का उल्लेख है जो केवल एक अक्षर का है। इसे एकाक्षर मंत्र भी कहते हैं।
इस मंत्र में संपूर्ण सृष्टि समाई हुई है।
यह मंत्र है- ऊँ।
इसे ओंकार मंत्र भी कहते हैं। ऊँ प्रणव अक्षर है। इसमें तीन देव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश की शक्ति समाहित है। ऊँ को निराकार ब्रह्म का स्वरूप माना गया है। ऊँ की ध्वनि एक ऐसी ध्वनि है जिसकी तरंग बहुत प्रभावशाली होती है। ऊँ के उच्चारण सेकई सारे फायदे हैं, जैसे-
लाभ – विभिन्न ग्रहों से आने वाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ओम की ध्वनि की गूंज से समाप्त हो जाता है। मतलब बिना किसी विशेष उपाय के भी सिर्फ ऊँ के जप से भी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। – ऊँ का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है।
– इसके उच्चारण से इंसान को वाक्सिद्धि प्राप्त होती है।
– नींद गहरी आने लगती है। साथ ही अनिद्रा की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। -मन शांत होने के साथ ही दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है।
घर में रखें चांदी की गणेश प्रतिमा, पति-पत्नी के बीच नहीं होंगे झगड़े
घर में रखी हर वस्तु परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों पर प्रभाव डालती है। सभी वस्तुओं की अलग-अलग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जा होती हैं। वास्तु के अनुसार बताई गई वस्तु सही जगह रखने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है।
सामान्यत: शादी के बाद पति-पत्नी के बीच छोटे-छोटे झगड़े होते रहते हैं लेकिन कई बार यही छोटे झगड़े काफी बढ़ जाते हैं।
इन झगड़ों की वजह से दोनों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मानसिक तनाव बढऩे लगता है और वैवाहिक जीवन में खटास घुल जाती है। इससे बचने के लिए वास्तु और ज्योतिष में कई सटीक उपाय बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश को परिवार का देवता माना गया है।श्रीगणेश की आराधना से परिवार की सुख-समृद्धि और परस्पर प्रेम बना रहता है। इसी वजह से प्रथम पूज्य गणेशजी की मूर्ति घर में रखी जाती है। श्रीगणेश की चांदी की प्रतिमा घर में रखने से पति-पत्नी के बीच झगड़े नहीं होते और प्रेम बढ़ता रहता है।
चमत्कारी गणेश मंत्र..! जो करता है हर इच्छा पूरी
लगातार प्रयास एक ऐसा मूल मंत्र है, जिससे कामयाबी की राह में आने वाली हर बाधा दूर हो सकती है।
लेकिन इन कोशिशों के पीछे दृढ़ संकल्प ही अहम होता है।
संकल्प पर वही कायम रह सकता जो मानसिक रूप से सबल हो। ऐसी मानसिक शक्तियों को पाने के लिए व्यावहारिक रूप से बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाना ही श्रेष्ठ उपाय है।
वहीं मनोबल को मजबूत करने के धार्मिक उपायों में भगवान गणेश ही बुद्धिदाता देवता के रूप में पूजनीय है
।भगवान गणेश की उपासना और कृपा से मिला बुद्धि कौशल सांसारिक जीवन के सभी कलह, विघ्र और भय का नाश कर मंगलकारी और संकल्पों की पूर्ति से मनचाहे नतीजे देने वाला माना गया है।
बुधवार और चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की उपासना का विशेष दिन होता है। इस शुभ दिन गणेश भक्ति शीघ्र मनचाहे फल देती है। शास्त्रों में गणेश भक्ति के उपायों में एक चमत्कारी मंत्र ऐसा बताया गया है, जिसका जप और ध्यान कल्पवृक्ष की तरह सांसारिक जीवन से जुड़ी हर कामना को पूरा करने वाला माना गया है।
जानते हैं भगवान गणेश का यह चमत्कारी मंत्र विशेष और सरल पूजा विधि
— बुधवार, चतुर्थी या हर रोज स्नान के बाद देवालय में भगवान गणेश की पूजा गंध, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित कर करें। लड्डू नैवेद्य लगाकर नीचे लिखें मंत्र का जप एकांत व शांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर कुश के आसन पर बैठकर करें
– ॐ गं गौं गणपतये विघ्रविनाशिने स्वाहा।
– मंत्र जप के बाद भगवान गणेश की आरती गोघृत यानी गाय के घी के दीप और कर्पूर से करें।
– अंत में भगवान गणेश से हर पीड़ा, दु:ख, संकट, भय व बिघ्न का अंत करने की प्रार्थना कर सफलता की कामना करें। यह मंत्र जप किसी भी प्रतिकूल या संकट की स्थिति में पवित्र भावना से स्मरण करने पर शुभ फल देता है।
परिवार में बनी रहेगी सुख-शांति, करें यह उपाय
वर्तमान समय में जब लोग पारिवारिक सुख को भुलते जा रहे हैं आए दिन परिवार में क्लेश होता है। यह विवाद परिवार के किसी भी सदस्यों के बीच में हो सकता है। सास-बहू के बीच, पति-पत्नी के, भाई-भाई के बीच आदि। जब परिवार में रोज विवाद की स्थिति बनती है तो इंसान दूसरों काम भी ठीक से नहीं कर पाता।
परिवार में प्रेम व सामंजस्य बढ़ाने के कुछ साधारण उपाय नीचे दिए गए हैं
। इन्हें करने से परिवार के सदस्यों में प्रेम बढ़ता है।
उपाय-
गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें गुड़ तथा मीठा तेल डालकर जलाएं।
फिर इसे घर के मुख्य द्वार के मध्य में रखें।
इस उपाय से भी घर में शांति बनी रहेगी तथा समृद्धि में वृद्धि होगी।
– एक नारियल लेकर उस पर काला धागा लपेट दें फिर इसे पूजा स्थान पर रख दें।
शाम को उस नारियल को धागे सहित जला दें।
यह टोटका 9 दिनों तक करें।
– घर में तुलसी का पौधा लगाएं तथा प्रतिदिन इसका पूजन करें।
सुबह-शाम दीपक लगाएं। इस उपाय को करने से घर में सदैव शांति का वातावरण बना रहेगा।
– अगर घर में सदैव अशांति रहती हो तो घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर श्वेतार्क (सफेद आक के गणेश) लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
– यदि किसी बुरी शक्ति के कारण घर में झगड़े होते हों तो प्रतिदिन सुबह घर में गोमूत्र अथवा गाय के दूध में गंगाजल मिलाकर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है तथा बुरी शक्ति का प्रभाव कम होता है।
जब भगवान के सामने आपका नारियल निकल जाए खराब, तो क्या करें?
शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं को नारियल अनिवार्य रूप से अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नारियल अर्पित करने से श्रद्धालु की सभी इच्छाएं भगवान पूरी कर देते हैं। नारियल को महालक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। किसी भी प्रकार का कोई भी धार्मिक कर्म हो वहां नारियल का स्थान महत्वपूर्ण होता है।
इसी वजह से सभी मंदिरों द्वारा लगभग हर श्रद्धालु नारियल अवश्य अर्पित करता है।कभी-कभी भगवान के नाम पर नारियल फोडऩे पर वह खराब निकल जाता है। इस संबंध में कई प्रकार की शकुन या अपशकुन संबंधी बातें प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नारियल का खराब निकलना अशुभ है तो कुछ लोग इसे शुभ मानते हैं।शास्त्रों के अनुसार पूजा में नारियल का खराब निकलना शुभ बताया गया है।
इस संबंध में ऐसा उल्लेख है कि भक्त द्वारा सच्चे मन से चढ़ाया गया नारियल पूर्ण रूप भगवान द्वारा ग्रहण कर लिया गया है।
ऐसा होने पर श्रद्धालु को प्रसन्नता के साथ देवी-देवताओं का आभार मानना चाहिए। इसके अलावा जब नारियल अच्छा निकले तब भगवान को अर्पित करने के पश्चात् अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद स्वरूप बांट देना चाहिए।
जितने अधिक लोगों को आपके नारियल का प्रसाद मिलेगा, उतना अधिक शुभ रहता है। दोनों ही परिस्थितियों में भक्त की भावना ही प्रमुख है।
नारियल का खराब निकलना भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होने का संकेत ही है। उस समय श्रद्धालु ने भगवान के समक्ष जो भी प्रार्थना की होगी वह निश्चित ही पूर्ण होगी। ऐसा समझना चाहिए।
इस चमत्कारिक शंख से आप भी बन जाएंगे मालामाल
तंत्र प्रयोगों में शंख का उपयोग भी किया जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख को विधि-विधान पूर्वक जल में रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और धन की भी कभी कमी नहीं होती। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए-लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-ऊँ श्री लक्ष्मी सहोरदया नम:इस मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें और इसके बाद शंख को पूजा स्थान पर स्थापित कर दें। इससे यह लाभ होंगे– दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
– दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार में रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती।
शयन कक्ष में इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
– इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।- किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।
हल्दी का पानी छिड़के घर में, दूर हो जाएगी पैसों की तंग
इन दिनों जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, इससे प्रतीत होता है कि आने वाले समय में चाहे जितना भी पैसा कमाओ कम ही लगेगा।
ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए कई और रास्ते खोजने होंगे। पैसों के संबंध में कहा जाता है कि जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है उन्हें ही अपार धन प्राप्त होता है।
अन्यथा पैसों की तंगी कभी पीछा नहीं छोड़ती है। वास्तु के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर दिया जाए और सकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर दे तो निश्चित ही हमारे घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती जाएगी।
परिवार के सभी सदस्यों को पैसों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रहेगी।
यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई वास्तु दोष है तो उसे बहुत सी परेशानियां सहन करनी पड़ती हैं।
इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए संबंधित वास्तु दोषों का निवारण किया जाना आवश्यक है।
धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के बाद ही पर्याप्त धन प्राप्त होता है।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में हमेशा साफ-सफाई रखने के साथ ही यह उपाय अपनाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। प्रत्येक गुरुवार को पानी में हल्दी घोलकर पूरे में छिड़काव करें। ध्यान रहे घर का कोई भी भाग या कोना छुटना नहीं चाहिए। घर में किसी भी प्रकार की गंदगी न हो, ना ही कोई मकड़ी के जाले हो। हल्दी के छिड़काव से घर पवित्र होता है और पॉजीटिव एनर्जी की बढ़ोतरी होती है।
इससे परिवार के सदस्यों का मनोबल ऊंचा होता है और सभी कार्यों को पूरी मेहनत के साथ करते हैं। जिससे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।
समृद्धि में अवरोध – कारण पूजा कक्ष तो नहीं…!!!!
पूजाघर भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पारलौकिक सुखों एवं आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का साधन हैं। यह वह कक्ष हैं, जिसमें विश्व का संचालक (ईश्वर) निवास करता हैं। अतः इसका निर्माण एवं इसकी साज सज्जा वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार करनी चाहिए।
कई बार वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का हम उल्लंघन करते हैं और अपनी सुविधानुसार पूजा घर बना लेते हैं।
वास्तुसम्मत सिद्धान्तों के विपरीत पूजाघर मुसीबतों का कारण बन सकता है। वास्तुशास्त्र में पूजाघर के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश मिलते हैं।
पूजा कक्ष का की स्थापना ईशान दिशा में होना चाहिए इसकी स्थापना किसी भी स्थिति में दक्षिण दिशा में नहीं करना चाहिए।
मूर्तियों की स्थापना इस प्रकार करनी चाहिए कि देवताओं का मुँह दक्षिण और उत्तर दिशा में रहे।
शयनकक्ष में पूजा घर की स्थापना नही होनी चाहिए।
दीप जलाने का स्थान आग्नेय कोण में निश्चित करना चाहिए।
पूजा कक्ष के ऊपर शौचालय या स्नानघर नहीं होना चाहिए।
कभी भी शयन कक्ष में पूजा कक्ष की ओर पांव कर नहीं सोना चाहिए।
वास्तु नियमों का उल्लंघन वास्तुदोष के नाम से जाना जाता हैं ।
वास्तुदोष का प्रभाव हमारे ऊपर न केवल शारीरिक एवं मानसिक रूप से पड़ता हैं, वरन् जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यथा कैरियर, आर्थिक स्थिति संतानसुख, यश, अपयश अच्छा एवं बुरा समय सभी पर पड़ता हैं ।
वास्तुदोष होने पर इमारत में रहने वाले अथवा कार्य करने वाले व्यक्तियों का जहाँ स्वास्थ्य खराब रहता हैं अर्थात् वे बीमार पड़ने लगते हैं, मानसिक तनाव बढ़ जाते हैं, अनिद्रा जैसी समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ता हैं, व्यवसाय में अचानक हानि अथवा अच्छे चलते हुए व्यवसाय का ठप्प हो जाना, आर्थिक संकट, ऋणग्रस्तता, पत्नि या संतान का बीमार होना, नित नई समस्याएॅ आना जैसे दुष्परिणाम प्राप्त होने लगते हैं । यदि आपके भवन में उत्तर अथवा उत्तर पूर्व दिशा में भण्डार ग्रह अथवा वैसे ही टूटे-फूटे सामान एवं पूरानी वस्तुएं पड़ी हुई हैं तो भी आय में कमी होती हैं उन्हें तुरन्त हटा देना चाहिए ।
छत को साफ सुथरा रखना चाहिए ।
यदि घर के उत्तर पूर्व और उत्तरी कक्षों की ऊचाई अन्य कक्षों से ऊची हैं तो आय में कमी आती हैं ।
पूजा कक्ष में ईश्वर के विग्रहों या चित्रों को एक दूसरे के सम्मुख नहीं लगाना चाहिए ।
ध्यान रखे पूजा कक्ष में ईश्वर के चित्रों के साथ पितरों (पूर्वजों) के चित्र नहीं लगाना चाहिए। पूजा कक्ष की दीवारों का रंग हल्का पिला, सफेद या बादामी कलर का होना चाहिए ।
पूजा कक्ष में गहरें रंगों का प्रयोग वर्जित हैं तथा फर्श भी हल्के पिले, या सफेद रंग का होना चाहिए ।
काले या नीले (गहरे) रंगों के फर्श निशेध हैं, पूजा कक्ष में संगमरमर (ग्रेनाईट) का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संगमरमर का प्रयोग कब्रगाह, मकबरों व मन्दिर में बाहरी प्रयोग हेतु किया जा सकता हैं ।
पूजा कक्ष यथा सम्भव ग्राउण्ड फ्लोर (भू-तल) पर होना चाहिए साथ ही प्रयास करें कि पूजा कक्ष की छत गुम्बदाकार या पिरामिडाकार हो ।
यथासंभव घर में पूजा के लिए पूजाघर का निर्माण पृथक से कराना चाहिए ।
यदि पूजा हेतु पृथक कक्ष का निर्माण स्थानाभाव के कारण संभव न हो, तो भी पूजा का स्थान एक निश्चित जगह को ही बनाना चाहिए तथा भगवान की तस्वीर, मूर्ति एवं अन्य पूजा संबंधी सामग्री को रखने के लिए पृथक से एक अलमारी अथवा ऊॅचे स्थान का निर्माण करवाना चाहिए ।
जिस स्थान पर बैठकर पूजा की जाए, वह भी भूमि से कुछ ऊँचा होना चाहिए तथा बिना आसन बिछाए पूजा नहीं करनी चाहिए
पूजाघर के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त दिशा ईशान कोण होती हैं । अर्थात पूर्वोत्तर दिशा में पूजाघर बनाना चाहिए । यदि पूजाघर गलत दिशा में बना हुआ हैं तो पूजा का अभीष्ट फल प्राप्त नहीं होता हैं फिर भी ऐसे पूजाघर में उत्तर अथवा पूर्वोत्तर दिशा में भगवान की मूर्तियाॅ या चित्र आदि रखने चाहिए ।
पूजाघर की देहरी को कुछ ऊँचा बनाना चाहिए । पूजाघर में प्रातःकाल सूर्य का प्रकाश आने की व्यवस्था बनानी चाहिए ।
पूजाघर में वायु के प्रवाह को संतुलित बनाने के लिए कोई खिड़की अथवा रोशनदान भी होनी चाहिए ।
पूजाघर के द्वार पर मांगलिक चिन्ह, (स्वास्तीक, ऊँ,) आदि स्थापित करने चाहिए ।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश या सूर्य की मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए । गणपति एवं दुर्गा की मूर्तियों का मुख दक्षिण में होना उत्तम होता हैं ।
काली माॅ की मूर्ति का मुख दक्षिण में होना शुभ माना गया हैं । हनुमान जी की मूर्ति का मुख दक्षिण पश्चिम में होना शुभ फलदायक हैं । पूजा घर में श्रीयंत्र, गणेश यंत्र या कुबेर यंत्र रखना शुभ हैं । पूजाघर के समीप शौचालय नहीं होना चाहिए ।
इससे प्रबल वास्तुदोष उत्पन्न होता हैं । यदि पूजाघर के नजदीक शौचालय हो, तो शौचालय का द्वार इस प्रकार बनाना चाहिए कि पूजाकक्ष के द्वार से अथवा पूजाकक्ष में बैठकर वह दिखाई न दे । पूजाघर का दरवाजा लम्बे समय तक बंद नहीं रखना चाहिए ।
यदि पूजाघर में नियमित रूप से पूजा नहीं की जाए तो वहाॅ के निवासियों को दोषकारक परिणाम प्राप्त होते हैं ।
पूजाघर में गंदगी एवं आसपास के वातावरण में शौरगुल हो तो ऐसा पूजाकक्ष भी दोषयुक्त होता हैं चाहे वह वास्तुसम्मत ही क्यों न बना हो क्यांेकि ऐसे स्थान पर आकाश तत्व एवं वायु तत्व प्रदूषित हो जाते हैं जिसके कारण इस पूजा कक्ष में बैठकर पूजन करने वाले व्यक्तियों की एकाग्रता भंग होती हैं तथा पूजा का शुभ फला प्राप्त नहीं होता ।
पूजाघर गलत दिशा में बना हुआ होने पर भी यदि वहां का वातावरण स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण होगा तो उस स्थान का वास्तुदोष प्रभाव स्वयं ही घट जाएगा ।
इस प्रकार बिना तोड़-फोड़ के उपर्युक्त उपायो के आधार पर पूजाकक्ष के वास्तुदोष दूर कर समृद्धि एवं खुशहाली पुनः प्राप्त की जा सकती हैं ।
सोते समय तकिए के नीचे इसे जरूर रखें, मस्त नींद आएगी…
हमारे दैनिक जीवन से कई छोटी-छोटी बातें जुड़ी हुई हैं, जिनका हम पूरी तरह से पालन करते हैं।
कुछ बातें हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही हैं।
अच्छी नींद और बुरे सपनों से बचाव के लिए शास्त्रों में कई प्रकार के सटीक उपाय बताए गए हैं।
काफी लोगों को बुरे, डरावने या भयानक सपने दिखाई देते हें। जिससे उनकी नींद खुल जाती है।
ऐसे में स्वास्थ्य का नुकसान तो होता है साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ता है।
पर्याप्त नींद के अभाव में किसी भी कार्य को सही ढंग से कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
इसी वजह सही समय पर पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।
यदि किसी व्यक्ति को बुरे या डरावने सपनों के कारण नींद नहीं आती है तो उसे सोते समय अपने तकिए के नीचे लोहे का चाकू रखकर सोना चाहिए।
लड़का हो या लड़का, जवान हो या वृद्ध या चाहे कोई बच्चा हो, यदि इन्हें सोते समय बुरे सपने आते हैं या डर लगता है तो तकिए के नीचे लौहे का नुकिला चाकू रखकर सोएं।
ऐसा करने से अशुभ सपनों का भय नहीं रहता है और मस्त नींद आती है।
यह उपाय काफी पुराना है और आज भी शत-प्रतिशत प्रभावशाली है।
तकिए के नीचे चाकू रखने से हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियां या बुरी शक्तियां निष्क्रीय हो जाती हैं और वे हमारे दिमाग पर कब्जा नहीं कर पाती।
जिससे हमें डरावने या भूत-प्रेत या बुरे सपने नहीं दिखाई देते हैं।
ये 6 कहीं भी दिख जाए तो होगा सब अच्छा ही अच्छा
भारतीय समाज में काफी पुराने समय से शकुन और अपशकुन की मान्यताएं प्रचलित हैं।
कई छोटी-छोटी घटनाओं से भविष्य में होने वाली बड़ी घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है।
कभी-कभी कुछ जीवों या वस्तुओं के दिखाई देने पर भी शकुन या अपशकुन माना जाता है।
श्रीरामचरित मानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास ने शकुन-अपशकुन का विस्तृत उल्लेख किया है।
रामायण और श्रीरामचरित मानस में कई स्थानों पर शकुन और अपशकुन का वर्णन मिलता है।
अत: स्पष्ट है कि इस प्रकार की छोटी घटनाओं का हमारे जीवन में कितना गहरा महत्व है। तुलसीदासजी के अनुसार नेवला, मछली, दर्पण, क्षेमकरी चिडिय़ा, चकवा और नील कंठ, हमें जहां कहीं भी दिख जाए इसे शुभ समझना चाहिए।
इनके दिखाई पर ऐसा समझना चाहिए कि आपके कार्यों में आ रही बाधाएं स्वत: ही नष्ट होने वाली है।
बिगड़े कार्य बनने वाले हैं।
इनसे व्यक्ति की मनोकामएं पूर्ण होने के संकेत मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति को धन संबंधी कार्यों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इनमें से कोई दिख जाए तो निकट भविष्य में आपके पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
श्रीयंत्र पूजा :
छप्पर फाड़ के बरसेगा धन धन यानी पैसा जीवन की अहम जरूरत है। किंतु मेहनत से कमाया धन ही वास्तविक सुख और शांति देता है। ऐसा कमाया पैसा आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ दूसरों का भरोसा भी देता है, साथ ही रुतबा और साख भी बनाता है। धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति ऐसे ही तरीकों में विश्वास रखता है। इसलिए शक्तिपूजा के विशेष दिन शुक्रवार के लिए एक ऐसा ही उपाय यहां बताया जा रहा है।
जिसको अपनाने से जीवन में किसी भी सुख का अभाव नहीं होता और पैसों की कमी कभी नहीं सताएगी। यह उपाय है श्रीयंत्र पूजा।
धार्मिक दृष्टि से लक्ष्मी कृपा के लिए की जाने वाली श्रीयंत्र साधना संयम और नियम की दृष्टि से कठिन होती है।
किंतु यहां बताई जा रही है श्रीयंत्र पूजा की सरल विधि, जिसे कोई भी सामान्य भक्त अपनाकर सुख और वैभव पा सकता है।
सरल शब्दों में यह पूजा पवित्रता और नियम से करने पर धनकुबेर बना सकती है। श्रीयंत्र पूजा की आसान विधि कोई भी भक्त शुक्रवार या प्रतिदिन कर सकता है।
श्रीयंत्र पूजा के पहले कुछ सामान्य नियमों का जरूर पालन करें –
– ब्रह्मचर्य का पालन करें और ऐसा करने का प्रचार न करें।
–साफ कपड़े पहनें।
-सुगंधित तेल, परफ्यूम, इत्र न लगाएं।
-बिना नमक का आहार लें।
– प्राण-प्रतिष्ठित श्रीयंत्र की ही पूजा करें।
यह किसी भी मंदिर, योग्य और सिद्ध ब्राह्मण, ज्योतिष या तंत्र विशेषज्ञ से प्राप्त करें।
– यह पूजा लोभ के भाव से न कर सुख और शांति के भाव से करें।
इसके बाद श्रीयंत्र पूजा की इस विधि से करें।
किसी विद्वान ब्राह्मण से कराया जाना बेहतर तरीका है –
– शुक्रवार या किसी भी दिन सुबह स्नान कर एक थाली में श्रीयंत्र स्थापित करें। – इस श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर रखें।
– श्रीयंत्र का पंचामृत यानि दुध, दही, शहद, घी और शक्कर को मिलाकर स्नान कराएं। पवित्र गंगाजल से स्नान कराएं।
– इसके बाद श्रीयंत्र की पूजा लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, मेंहदी, रोली, अक्षत, लाल दुपट्टा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
– धूप, दीप, कर्पूर से आरती करें।
– श्री यंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र, श्रीसूक्त, दुर्गा सप्तशती या देवी का कोई भी आसान श्लोक का पाठ करें।
यह पाठ लालच से दूर होकर श्रद्धा और पूरी आस्था के साथ करें।
– अंत में पूजा में जाने-अनजाने हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और माता लक्ष्मी का स्मरण कर सुख, सौभाग्य और समृद्धि की कामना करें। श्रीयंत्र पूजा की यह आसान विधि नवरात्रि में बहुत ही शुभ फलदायी मानी जाती है।
इससे नौकरीपेशा से लेकर बिजनेसमेन तक धन का अभाव नहीं देखते। इसे प्रति शुक्रवार या नियमित करने पर जीवन में आर्थिक कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।
गजानन
इस मंत्र से बिना तोड़-फोड़ व जल्द दूर होगा वास्तु दोष
अगर घर-परिवार में रोग, अभाव, दरिद्रता, शुभ कार्य में बाधा या असफलता से अशांति व विवाद बना रहता है, तो इसके पीछे वास्तु दोष भी एक कारण माना जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक वास्तु का अर्थ है
– जिस भूमि पर मानव सहित अन्य जीव रहें। इसमें घर, देवालय, महल, गांव या नगर आदि सभी शामिल होते हैं।
इन स्थानों पर सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व शांति के लिए न केवल वास्तु शास्त्र के अनुरूप आवास बनाना जरूरी होने के अलावा वास्तु देवता की पूजा व उपासना भी शुभ मानी गई है।
जानते हैं कौन है वास्तु देवता?
और कैसे खुशहाली के लिए करें वास्तु देव की नियमित पूजा व ध्यान? –
पौराणिक मान्यता है कि अंधकासुर को मारते हुए भगवान शंकर के मस्तक से गिरी पसीने की बूंदों से भयानक रूप वाला पुरुष प्रकट हुआ।
वह जगत को खाने के लिए आगे बढ़ा तो तब भगवान शंकर व सभी देवताओं ने उसे भूमि पर लेटाकर उसकी वास्तु पुरुष के रूप में प्रतिष्ठा कर स्वयं भी उसकी देह में निवास किया।
इस कारण वह वास्तुदेवता के रूप में पूजनीय हुआ।
वास्तुदेवता सभी देवशक्तियों का स्वरूप होने से ही नियमित देव पूजा में विशेष मंत्र से वास्तुदेव का ध्यान वास्तु दोष को दूर करने के लिए आसान उपाय माना गया है, जो घर में बिना किसी तोड़-फोड़ किए भी कारगर हो सकता है। जिसे इस तरह अपनाएं –
हर रोज इष्ट देव की पूजा के दौरान हाथों में सफेद चन्दन लगे सफेद फूल व अक्षत लेकर वास्तुदेव का नीचे लिखे वेद मंत्र से ध्यान कर घर-परिवार से सारे कलह, संकट व दोष दूर करने की कामना करें व फूल, अक्षत इष्टदेव को चढ़ाकर धूप, दीप आरती करें –
वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवो: भवान्। यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे।।
ऋग्वेद के इस मंत्र का सरल शब्दों में अर्थ है
– हे वास्तु देवता, हम आपकी सच्चे हृदय से उपासना करते हैं।
हमारी प्रार्थना को सुन आप हमें रोग-पीड़ा और दरिद्रता से मुक्त करें।
हमारी धन-वैभव की इच्छा भी पूरी करें। वास्तु क्षेत्र या घर में रहने वाले सभी परिजनों, पशुओं व वाहनादि का भी शुभ व मंगल करें।
– सूर्य दर्शन के बाद सूर्य को जल, पुष्प और रोली-अक्षत का अर्घ्य दे, सूर्य के साथ त्राटक करे।
– बिस्तर से उठते समय दोनों पैर जमीन पर एक साथ रखे, उसी समय इष्ट का स्मरण करे और हाथों को मुख पर फेरे।
– स्नान और पूजन सुबह 7 से 8 बजे के बीच अवश्य कर ले।
– घर में तुलसी और आक का पौधा लगाए और उनकी नियमित सेवा करे।
– पक्षियों को दाना डाले।
– शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करें, कबाड़ बाहर निकले और जूते-चप्पलों का दान कर दे।
– स्नान करने के बाद स्नानघर को कभी गंदा न छोड़े।
– जितना हो सके भांजी और भतीजी को कोई न कोई उपहार देते रहे।
किसी बुधवार को बुआ को भी चाट या चटपटी वस्तु खिलाएँ।
– घर में भोजन बनते समय गाय और कुत्ते का हिस्सा अवश्य निकाले।
– बुधवार को किसी को भी उधार न दे, वापस नहीं आएगा।
– राहू काल में कोई कार्य शुरू न करें।
– श्री सूक्त का पाठ करने से धन आता रहेगा।
– वर्ष में एक या दो बार घर में किसी पाठ या मंत्रोक्त पूजन को ब्राह्मण द्वारा जरूर कराए।
– स्फटिक का श्रीयंत्र, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति और दक्षिणावर्त शंख को घर या दुकान आदि में स्थापित कर पूजन करने से घर का भण्डार भरा-पूरा रहता है।
– घर के हर सदस्य को अपने-अपने इष्ट का जाप व पूजन अवश्य करना चाहिए।
– जहाँ तक हो सके अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री आदि का दान करें।
दान करने के बाद उसका उल्लेख न करें।
– अपने राशि या लग्न स्वामी ग्रह के रंग की कोई वस्तु अपने साथ हमेशा रखे।
श्री गणेश को इन मंत्रों से चढ़ाएं 21 दूर्वा, हर काम होगा सफल
इंसान जब किसी काम की शुरूआत पूरी योजना और मनायोग से करे, किंतु फिर भी उम्मीदों और लक्ष्य के मुताबिक नतीजे पाने में सफल न हो तो निराशा घर करने लगती है।
अगर यह हताशा में बदलने लगे तो संभवत: जीवन में असफलता का बड़ा कारण बन सकती है।
जबकि ऐसे वक्त कमियों पर गौर करना जरूरी होता है। हिन्दू धर्म में ऐसे वक्त, नाकामियों और विघ्रों से बचने के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ हर कार्य की शुरूआत विघ्रहर्ता श्री गणेश की उपासना से की जाती है। श्रीगणेश विनायक नाम से भी पूजनीय है।
विनायक पूजा और उपासना कार्य बाधा और जीवन में आने वाली शत्रु बाधा को दूर कर शुभ व मंगल करती है। यही कारण है हर माह के शुक्ल पक्ष को विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की उपासना कार्य की सफलता के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है। यहां जानते हैं विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश उपासना का एक सरल उपाय, जो कोई भी अपनाकर हर कार्य को सफल बना सकता है –
– चतुर्थी के दिन, बुधवार को सुबह और शाम दोनों ही वक्त यह उपाय किया जा सकता है।
– स्नान कर भगवान श्री गणेश को कुमकुम, लाल चंदन, सिंदूर, अक्षत, अबीर, गुलाल, फूल, फल, वस्त्र, जनेऊ आदि पूजा सामग्रियों के अलावा खास तौर पर 21 दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा श्री गणेश को विशेष रूप से प्रिय मानी गई है।
– विनायक को 21 दूर्वा चढ़ाते वक्त नीचे लिखे 10 मंत्रों को बोलें यानी हर मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं और आखिरी बची दूर्वा चढ़ाते वक्त सभी मंत्र बोलें। जानते हैं ये मंत्र
– ॐ गणाधिपाय नम:। ॐ विनायकाय नम:। ॐ विघ्रनाशाय नम:। ॐ एकदंताय नम:। ॐ उमापुत्राय नम:। ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:।ॐ ईशपुत्राय नम:। ॐ मूषकवाहनाय नम:। ॐ इभवक्त्राय नम:। ॐ कुमारगुरवे नम:।
– मंत्रों के साथ पूजा के बाद यथाशक्ति मोदक का भोग लगाएं। 21 मोदक का चढ़ावा श्रेष्ठ माना जाता है।
– अंत में श्री गणेश आरती कर क्षमा प्रार्थना करें। कार्य में विघ्र बाधाओं से रक्षा की कामना करें।
हिंदू धर्म के अंतर्गत मंत्रों का विशेष महत्व है।
इन मंत्रों के माध्यम से कई विशेष सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है।
धर्म शास्त्रों में एक ऐसे मंत्र का उल्लेख है जो केवल एक अक्षर का है। इसे एकाक्षर मंत्र भी कहते हैं।
इस मंत्र में संपूर्ण सृष्टि समाई हुई है।
यह मंत्र है- ऊँ।
इसे ओंकार मंत्र भी कहते हैं। ऊँ प्रणव अक्षर है। इसमें तीन देव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश की शक्ति समाहित है। ऊँ को निराकार ब्रह्म का स्वरूप माना गया है। ऊँ की ध्वनि एक ऐसी ध्वनि है जिसकी तरंग बहुत प्रभावशाली होती है। ऊँ के उच्चारण सेकई सारे फायदे हैं, जैसे-
लाभ – विभिन्न ग्रहों से आने वाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ओम की ध्वनि की गूंज से समाप्त हो जाता है। मतलब बिना किसी विशेष उपाय के भी सिर्फ ऊँ के जप से भी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। – ऊँ का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है।
– इसके उच्चारण से इंसान को वाक्सिद्धि प्राप्त होती है।
– नींद गहरी आने लगती है। साथ ही अनिद्रा की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। -मन शांत होने के साथ ही दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है।
घर में रखें चांदी की गणेश प्रतिमा, पति-पत्नी के बीच नहीं होंगे झगड़े
घर में रखी हर वस्तु परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों पर प्रभाव डालती है। सभी वस्तुओं की अलग-अलग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जा होती हैं। वास्तु के अनुसार बताई गई वस्तु सही जगह रखने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है।
सामान्यत: शादी के बाद पति-पत्नी के बीच छोटे-छोटे झगड़े होते रहते हैं लेकिन कई बार यही छोटे झगड़े काफी बढ़ जाते हैं।
इन झगड़ों की वजह से दोनों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मानसिक तनाव बढऩे लगता है और वैवाहिक जीवन में खटास घुल जाती है। इससे बचने के लिए वास्तु और ज्योतिष में कई सटीक उपाय बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश को परिवार का देवता माना गया है।श्रीगणेश की आराधना से परिवार की सुख-समृद्धि और परस्पर प्रेम बना रहता है। इसी वजह से प्रथम पूज्य गणेशजी की मूर्ति घर में रखी जाती है। श्रीगणेश की चांदी की प्रतिमा घर में रखने से पति-पत्नी के बीच झगड़े नहीं होते और प्रेम बढ़ता रहता है।
चमत्कारी गणेश मंत्र..! जो करता है हर इच्छा पूरी
लगातार प्रयास एक ऐसा मूल मंत्र है, जिससे कामयाबी की राह में आने वाली हर बाधा दूर हो सकती है।
लेकिन इन कोशिशों के पीछे दृढ़ संकल्प ही अहम होता है।
संकल्प पर वही कायम रह सकता जो मानसिक रूप से सबल हो। ऐसी मानसिक शक्तियों को पाने के लिए व्यावहारिक रूप से बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाना ही श्रेष्ठ उपाय है।
वहीं मनोबल को मजबूत करने के धार्मिक उपायों में भगवान गणेश ही बुद्धिदाता देवता के रूप में पूजनीय है
।भगवान गणेश की उपासना और कृपा से मिला बुद्धि कौशल सांसारिक जीवन के सभी कलह, विघ्र और भय का नाश कर मंगलकारी और संकल्पों की पूर्ति से मनचाहे नतीजे देने वाला माना गया है।
बुधवार और चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की उपासना का विशेष दिन होता है। इस शुभ दिन गणेश भक्ति शीघ्र मनचाहे फल देती है। शास्त्रों में गणेश भक्ति के उपायों में एक चमत्कारी मंत्र ऐसा बताया गया है, जिसका जप और ध्यान कल्पवृक्ष की तरह सांसारिक जीवन से जुड़ी हर कामना को पूरा करने वाला माना गया है।
जानते हैं भगवान गणेश का यह चमत्कारी मंत्र विशेष और सरल पूजा विधि
— बुधवार, चतुर्थी या हर रोज स्नान के बाद देवालय में भगवान गणेश की पूजा गंध, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित कर करें। लड्डू नैवेद्य लगाकर नीचे लिखें मंत्र का जप एकांत व शांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर कुश के आसन पर बैठकर करें
– ॐ गं गौं गणपतये विघ्रविनाशिने स्वाहा।
– मंत्र जप के बाद भगवान गणेश की आरती गोघृत यानी गाय के घी के दीप और कर्पूर से करें।
– अंत में भगवान गणेश से हर पीड़ा, दु:ख, संकट, भय व बिघ्न का अंत करने की प्रार्थना कर सफलता की कामना करें। यह मंत्र जप किसी भी प्रतिकूल या संकट की स्थिति में पवित्र भावना से स्मरण करने पर शुभ फल देता है।
परिवार में बनी रहेगी सुख-शांति, करें यह उपाय
वर्तमान समय में जब लोग पारिवारिक सुख को भुलते जा रहे हैं आए दिन परिवार में क्लेश होता है। यह विवाद परिवार के किसी भी सदस्यों के बीच में हो सकता है। सास-बहू के बीच, पति-पत्नी के, भाई-भाई के बीच आदि। जब परिवार में रोज विवाद की स्थिति बनती है तो इंसान दूसरों काम भी ठीक से नहीं कर पाता।
परिवार में प्रेम व सामंजस्य बढ़ाने के कुछ साधारण उपाय नीचे दिए गए हैं
। इन्हें करने से परिवार के सदस्यों में प्रेम बढ़ता है।
उपाय-
गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें गुड़ तथा मीठा तेल डालकर जलाएं।
फिर इसे घर के मुख्य द्वार के मध्य में रखें।
इस उपाय से भी घर में शांति बनी रहेगी तथा समृद्धि में वृद्धि होगी।
– एक नारियल लेकर उस पर काला धागा लपेट दें फिर इसे पूजा स्थान पर रख दें।
शाम को उस नारियल को धागे सहित जला दें।
यह टोटका 9 दिनों तक करें।
– घर में तुलसी का पौधा लगाएं तथा प्रतिदिन इसका पूजन करें।
सुबह-शाम दीपक लगाएं। इस उपाय को करने से घर में सदैव शांति का वातावरण बना रहेगा।
– अगर घर में सदैव अशांति रहती हो तो घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर श्वेतार्क (सफेद आक के गणेश) लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
– यदि किसी बुरी शक्ति के कारण घर में झगड़े होते हों तो प्रतिदिन सुबह घर में गोमूत्र अथवा गाय के दूध में गंगाजल मिलाकर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है तथा बुरी शक्ति का प्रभाव कम होता है।
जब भगवान के सामने आपका नारियल निकल जाए खराब, तो क्या करें?
शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं को नारियल अनिवार्य रूप से अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नारियल अर्पित करने से श्रद्धालु की सभी इच्छाएं भगवान पूरी कर देते हैं। नारियल को महालक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। किसी भी प्रकार का कोई भी धार्मिक कर्म हो वहां नारियल का स्थान महत्वपूर्ण होता है।
इसी वजह से सभी मंदिरों द्वारा लगभग हर श्रद्धालु नारियल अवश्य अर्पित करता है।कभी-कभी भगवान के नाम पर नारियल फोडऩे पर वह खराब निकल जाता है। इस संबंध में कई प्रकार की शकुन या अपशकुन संबंधी बातें प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नारियल का खराब निकलना अशुभ है तो कुछ लोग इसे शुभ मानते हैं।शास्त्रों के अनुसार पूजा में नारियल का खराब निकलना शुभ बताया गया है।
इस संबंध में ऐसा उल्लेख है कि भक्त द्वारा सच्चे मन से चढ़ाया गया नारियल पूर्ण रूप भगवान द्वारा ग्रहण कर लिया गया है।
ऐसा होने पर श्रद्धालु को प्रसन्नता के साथ देवी-देवताओं का आभार मानना चाहिए। इसके अलावा जब नारियल अच्छा निकले तब भगवान को अर्पित करने के पश्चात् अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद स्वरूप बांट देना चाहिए।
जितने अधिक लोगों को आपके नारियल का प्रसाद मिलेगा, उतना अधिक शुभ रहता है। दोनों ही परिस्थितियों में भक्त की भावना ही प्रमुख है।
नारियल का खराब निकलना भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होने का संकेत ही है। उस समय श्रद्धालु ने भगवान के समक्ष जो भी प्रार्थना की होगी वह निश्चित ही पूर्ण होगी। ऐसा समझना चाहिए।
इस चमत्कारिक शंख से आप भी बन जाएंगे मालामाल
तंत्र प्रयोगों में शंख का उपयोग भी किया जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख को विधि-विधान पूर्वक जल में रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और धन की भी कभी कमी नहीं होती। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए-लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-ऊँ श्री लक्ष्मी सहोरदया नम:इस मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें और इसके बाद शंख को पूजा स्थान पर स्थापित कर दें। इससे यह लाभ होंगे– दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
– दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार में रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती।
शयन कक्ष में इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
– इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।- किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।
हल्दी का पानी छिड़के घर में, दूर हो जाएगी पैसों की तंग
इन दिनों जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, इससे प्रतीत होता है कि आने वाले समय में चाहे जितना भी पैसा कमाओ कम ही लगेगा।
ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए कई और रास्ते खोजने होंगे। पैसों के संबंध में कहा जाता है कि जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है उन्हें ही अपार धन प्राप्त होता है।
अन्यथा पैसों की तंगी कभी पीछा नहीं छोड़ती है। वास्तु के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर दिया जाए और सकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर दे तो निश्चित ही हमारे घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती जाएगी।
परिवार के सभी सदस्यों को पैसों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रहेगी।
यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई वास्तु दोष है तो उसे बहुत सी परेशानियां सहन करनी पड़ती हैं।
इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए संबंधित वास्तु दोषों का निवारण किया जाना आवश्यक है।
धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के बाद ही पर्याप्त धन प्राप्त होता है।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में हमेशा साफ-सफाई रखने के साथ ही यह उपाय अपनाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। प्रत्येक गुरुवार को पानी में हल्दी घोलकर पूरे में छिड़काव करें। ध्यान रहे घर का कोई भी भाग या कोना छुटना नहीं चाहिए। घर में किसी भी प्रकार की गंदगी न हो, ना ही कोई मकड़ी के जाले हो। हल्दी के छिड़काव से घर पवित्र होता है और पॉजीटिव एनर्जी की बढ़ोतरी होती है।
इससे परिवार के सदस्यों का मनोबल ऊंचा होता है और सभी कार्यों को पूरी मेहनत के साथ करते हैं। जिससे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।
समृद्धि में अवरोध – कारण पूजा कक्ष तो नहीं…!!!!
पूजाघर भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पारलौकिक सुखों एवं आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का साधन हैं। यह वह कक्ष हैं, जिसमें विश्व का संचालक (ईश्वर) निवास करता हैं। अतः इसका निर्माण एवं इसकी साज सज्जा वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार करनी चाहिए।
कई बार वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का हम उल्लंघन करते हैं और अपनी सुविधानुसार पूजा घर बना लेते हैं।
वास्तुसम्मत सिद्धान्तों के विपरीत पूजाघर मुसीबतों का कारण बन सकता है। वास्तुशास्त्र में पूजाघर के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश मिलते हैं।
पूजा कक्ष का की स्थापना ईशान दिशा में होना चाहिए इसकी स्थापना किसी भी स्थिति में दक्षिण दिशा में नहीं करना चाहिए।
मूर्तियों की स्थापना इस प्रकार करनी चाहिए कि देवताओं का मुँह दक्षिण और उत्तर दिशा में रहे।
शयनकक्ष में पूजा घर की स्थापना नही होनी चाहिए।
दीप जलाने का स्थान आग्नेय कोण में निश्चित करना चाहिए।
पूजा कक्ष के ऊपर शौचालय या स्नानघर नहीं होना चाहिए।
कभी भी शयन कक्ष में पूजा कक्ष की ओर पांव कर नहीं सोना चाहिए।
वास्तु नियमों का उल्लंघन वास्तुदोष के नाम से जाना जाता हैं ।
वास्तुदोष का प्रभाव हमारे ऊपर न केवल शारीरिक एवं मानसिक रूप से पड़ता हैं, वरन् जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यथा कैरियर, आर्थिक स्थिति संतानसुख, यश, अपयश अच्छा एवं बुरा समय सभी पर पड़ता हैं ।
वास्तुदोष होने पर इमारत में रहने वाले अथवा कार्य करने वाले व्यक्तियों का जहाँ स्वास्थ्य खराब रहता हैं अर्थात् वे बीमार पड़ने लगते हैं, मानसिक तनाव बढ़ जाते हैं, अनिद्रा जैसी समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ता हैं, व्यवसाय में अचानक हानि अथवा अच्छे चलते हुए व्यवसाय का ठप्प हो जाना, आर्थिक संकट, ऋणग्रस्तता, पत्नि या संतान का बीमार होना, नित नई समस्याएॅ आना जैसे दुष्परिणाम प्राप्त होने लगते हैं । यदि आपके भवन में उत्तर अथवा उत्तर पूर्व दिशा में भण्डार ग्रह अथवा वैसे ही टूटे-फूटे सामान एवं पूरानी वस्तुएं पड़ी हुई हैं तो भी आय में कमी होती हैं उन्हें तुरन्त हटा देना चाहिए ।
छत को साफ सुथरा रखना चाहिए ।
यदि घर के उत्तर पूर्व और उत्तरी कक्षों की ऊचाई अन्य कक्षों से ऊची हैं तो आय में कमी आती हैं ।
पूजा कक्ष में ईश्वर के विग्रहों या चित्रों को एक दूसरे के सम्मुख नहीं लगाना चाहिए ।
ध्यान रखे पूजा कक्ष में ईश्वर के चित्रों के साथ पितरों (पूर्वजों) के चित्र नहीं लगाना चाहिए। पूजा कक्ष की दीवारों का रंग हल्का पिला, सफेद या बादामी कलर का होना चाहिए ।
पूजा कक्ष में गहरें रंगों का प्रयोग वर्जित हैं तथा फर्श भी हल्के पिले, या सफेद रंग का होना चाहिए ।
काले या नीले (गहरे) रंगों के फर्श निशेध हैं, पूजा कक्ष में संगमरमर (ग्रेनाईट) का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संगमरमर का प्रयोग कब्रगाह, मकबरों व मन्दिर में बाहरी प्रयोग हेतु किया जा सकता हैं ।
पूजा कक्ष यथा सम्भव ग्राउण्ड फ्लोर (भू-तल) पर होना चाहिए साथ ही प्रयास करें कि पूजा कक्ष की छत गुम्बदाकार या पिरामिडाकार हो ।
यथासंभव घर में पूजा के लिए पूजाघर का निर्माण पृथक से कराना चाहिए ।
यदि पूजा हेतु पृथक कक्ष का निर्माण स्थानाभाव के कारण संभव न हो, तो भी पूजा का स्थान एक निश्चित जगह को ही बनाना चाहिए तथा भगवान की तस्वीर, मूर्ति एवं अन्य पूजा संबंधी सामग्री को रखने के लिए पृथक से एक अलमारी अथवा ऊॅचे स्थान का निर्माण करवाना चाहिए ।
जिस स्थान पर बैठकर पूजा की जाए, वह भी भूमि से कुछ ऊँचा होना चाहिए तथा बिना आसन बिछाए पूजा नहीं करनी चाहिए
पूजाघर के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त दिशा ईशान कोण होती हैं । अर्थात पूर्वोत्तर दिशा में पूजाघर बनाना चाहिए । यदि पूजाघर गलत दिशा में बना हुआ हैं तो पूजा का अभीष्ट फल प्राप्त नहीं होता हैं फिर भी ऐसे पूजाघर में उत्तर अथवा पूर्वोत्तर दिशा में भगवान की मूर्तियाॅ या चित्र आदि रखने चाहिए ।
पूजाघर की देहरी को कुछ ऊँचा बनाना चाहिए । पूजाघर में प्रातःकाल सूर्य का प्रकाश आने की व्यवस्था बनानी चाहिए ।
पूजाघर में वायु के प्रवाह को संतुलित बनाने के लिए कोई खिड़की अथवा रोशनदान भी होनी चाहिए ।
पूजाघर के द्वार पर मांगलिक चिन्ह, (स्वास्तीक, ऊँ,) आदि स्थापित करने चाहिए ।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश या सूर्य की मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए । गणपति एवं दुर्गा की मूर्तियों का मुख दक्षिण में होना उत्तम होता हैं ।
काली माॅ की मूर्ति का मुख दक्षिण में होना शुभ माना गया हैं । हनुमान जी की मूर्ति का मुख दक्षिण पश्चिम में होना शुभ फलदायक हैं । पूजा घर में श्रीयंत्र, गणेश यंत्र या कुबेर यंत्र रखना शुभ हैं । पूजाघर के समीप शौचालय नहीं होना चाहिए ।
इससे प्रबल वास्तुदोष उत्पन्न होता हैं । यदि पूजाघर के नजदीक शौचालय हो, तो शौचालय का द्वार इस प्रकार बनाना चाहिए कि पूजाकक्ष के द्वार से अथवा पूजाकक्ष में बैठकर वह दिखाई न दे । पूजाघर का दरवाजा लम्बे समय तक बंद नहीं रखना चाहिए ।
यदि पूजाघर में नियमित रूप से पूजा नहीं की जाए तो वहाॅ के निवासियों को दोषकारक परिणाम प्राप्त होते हैं ।
पूजाघर में गंदगी एवं आसपास के वातावरण में शौरगुल हो तो ऐसा पूजाकक्ष भी दोषयुक्त होता हैं चाहे वह वास्तुसम्मत ही क्यों न बना हो क्यांेकि ऐसे स्थान पर आकाश तत्व एवं वायु तत्व प्रदूषित हो जाते हैं जिसके कारण इस पूजा कक्ष में बैठकर पूजन करने वाले व्यक्तियों की एकाग्रता भंग होती हैं तथा पूजा का शुभ फला प्राप्त नहीं होता ।
पूजाघर गलत दिशा में बना हुआ होने पर भी यदि वहां का वातावरण स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण होगा तो उस स्थान का वास्तुदोष प्रभाव स्वयं ही घट जाएगा ।
इस प्रकार बिना तोड़-फोड़ के उपर्युक्त उपायो के आधार पर पूजाकक्ष के वास्तुदोष दूर कर समृद्धि एवं खुशहाली पुनः प्राप्त की जा सकती हैं ।
सोते समय तकिए के नीचे इसे जरूर रखें, मस्त नींद आएगी…
हमारे दैनिक जीवन से कई छोटी-छोटी बातें जुड़ी हुई हैं, जिनका हम पूरी तरह से पालन करते हैं।
कुछ बातें हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही हैं।
अच्छी नींद और बुरे सपनों से बचाव के लिए शास्त्रों में कई प्रकार के सटीक उपाय बताए गए हैं।
काफी लोगों को बुरे, डरावने या भयानक सपने दिखाई देते हें। जिससे उनकी नींद खुल जाती है।
ऐसे में स्वास्थ्य का नुकसान तो होता है साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ता है।
पर्याप्त नींद के अभाव में किसी भी कार्य को सही ढंग से कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
इसी वजह सही समय पर पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।
यदि किसी व्यक्ति को बुरे या डरावने सपनों के कारण नींद नहीं आती है तो उसे सोते समय अपने तकिए के नीचे लोहे का चाकू रखकर सोना चाहिए।
लड़का हो या लड़का, जवान हो या वृद्ध या चाहे कोई बच्चा हो, यदि इन्हें सोते समय बुरे सपने आते हैं या डर लगता है तो तकिए के नीचे लौहे का नुकिला चाकू रखकर सोएं।
ऐसा करने से अशुभ सपनों का भय नहीं रहता है और मस्त नींद आती है।
यह उपाय काफी पुराना है और आज भी शत-प्रतिशत प्रभावशाली है।
तकिए के नीचे चाकू रखने से हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियां या बुरी शक्तियां निष्क्रीय हो जाती हैं और वे हमारे दिमाग पर कब्जा नहीं कर पाती।
जिससे हमें डरावने या भूत-प्रेत या बुरे सपने नहीं दिखाई देते हैं।
ये 6 कहीं भी दिख जाए तो होगा सब अच्छा ही अच्छा
भारतीय समाज में काफी पुराने समय से शकुन और अपशकुन की मान्यताएं प्रचलित हैं।
कई छोटी-छोटी घटनाओं से भविष्य में होने वाली बड़ी घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है।
कभी-कभी कुछ जीवों या वस्तुओं के दिखाई देने पर भी शकुन या अपशकुन माना जाता है।
श्रीरामचरित मानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास ने शकुन-अपशकुन का विस्तृत उल्लेख किया है।
रामायण और श्रीरामचरित मानस में कई स्थानों पर शकुन और अपशकुन का वर्णन मिलता है।
अत: स्पष्ट है कि इस प्रकार की छोटी घटनाओं का हमारे जीवन में कितना गहरा महत्व है। तुलसीदासजी के अनुसार नेवला, मछली, दर्पण, क्षेमकरी चिडिय़ा, चकवा और नील कंठ, हमें जहां कहीं भी दिख जाए इसे शुभ समझना चाहिए।
इनके दिखाई पर ऐसा समझना चाहिए कि आपके कार्यों में आ रही बाधाएं स्वत: ही नष्ट होने वाली है।
बिगड़े कार्य बनने वाले हैं।
इनसे व्यक्ति की मनोकामएं पूर्ण होने के संकेत मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति को धन संबंधी कार्यों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इनमें से कोई दिख जाए तो निकट भविष्य में आपके पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
श्रीयंत्र पूजा :
छप्पर फाड़ के बरसेगा धन धन यानी पैसा जीवन की अहम जरूरत है। किंतु मेहनत से कमाया धन ही वास्तविक सुख और शांति देता है। ऐसा कमाया पैसा आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ दूसरों का भरोसा भी देता है, साथ ही रुतबा और साख भी बनाता है। धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति ऐसे ही तरीकों में विश्वास रखता है। इसलिए शक्तिपूजा के विशेष दिन शुक्रवार के लिए एक ऐसा ही उपाय यहां बताया जा रहा है।
जिसको अपनाने से जीवन में किसी भी सुख का अभाव नहीं होता और पैसों की कमी कभी नहीं सताएगी। यह उपाय है श्रीयंत्र पूजा।
धार्मिक दृष्टि से लक्ष्मी कृपा के लिए की जाने वाली श्रीयंत्र साधना संयम और नियम की दृष्टि से कठिन होती है।
किंतु यहां बताई जा रही है श्रीयंत्र पूजा की सरल विधि, जिसे कोई भी सामान्य भक्त अपनाकर सुख और वैभव पा सकता है।
सरल शब्दों में यह पूजा पवित्रता और नियम से करने पर धनकुबेर बना सकती है। श्रीयंत्र पूजा की आसान विधि कोई भी भक्त शुक्रवार या प्रतिदिन कर सकता है।
श्रीयंत्र पूजा के पहले कुछ सामान्य नियमों का जरूर पालन करें –
– ब्रह्मचर्य का पालन करें और ऐसा करने का प्रचार न करें।
–साफ कपड़े पहनें।
-सुगंधित तेल, परफ्यूम, इत्र न लगाएं।
-बिना नमक का आहार लें।
– प्राण-प्रतिष्ठित श्रीयंत्र की ही पूजा करें।
यह किसी भी मंदिर, योग्य और सिद्ध ब्राह्मण, ज्योतिष या तंत्र विशेषज्ञ से प्राप्त करें।
– यह पूजा लोभ के भाव से न कर सुख और शांति के भाव से करें।
इसके बाद श्रीयंत्र पूजा की इस विधि से करें।
किसी विद्वान ब्राह्मण से कराया जाना बेहतर तरीका है –
– शुक्रवार या किसी भी दिन सुबह स्नान कर एक थाली में श्रीयंत्र स्थापित करें। – इस श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर रखें।
– श्रीयंत्र का पंचामृत यानि दुध, दही, शहद, घी और शक्कर को मिलाकर स्नान कराएं। पवित्र गंगाजल से स्नान कराएं।
– इसके बाद श्रीयंत्र की पूजा लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, मेंहदी, रोली, अक्षत, लाल दुपट्टा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
– धूप, दीप, कर्पूर से आरती करें।
– श्री यंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र, श्रीसूक्त, दुर्गा सप्तशती या देवी का कोई भी आसान श्लोक का पाठ करें।
यह पाठ लालच से दूर होकर श्रद्धा और पूरी आस्था के साथ करें।
– अंत में पूजा में जाने-अनजाने हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और माता लक्ष्मी का स्मरण कर सुख, सौभाग्य और समृद्धि की कामना करें। श्रीयंत्र पूजा की यह आसान विधि नवरात्रि में बहुत ही शुभ फलदायी मानी जाती है।
इससे नौकरीपेशा से लेकर बिजनेसमेन तक धन का अभाव नहीं देखते। इसे प्रति शुक्रवार या नियमित करने पर जीवन में आर्थिक कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।
गजानन
इस मंत्र से बिना तोड़-फोड़ व जल्द दूर होगा वास्तु दोष
अगर घर-परिवार में रोग, अभाव, दरिद्रता, शुभ कार्य में बाधा या असफलता से अशांति व विवाद बना रहता है, तो इसके पीछे वास्तु दोष भी एक कारण माना जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक वास्तु का अर्थ है
– जिस भूमि पर मानव सहित अन्य जीव रहें। इसमें घर, देवालय, महल, गांव या नगर आदि सभी शामिल होते हैं।
इन स्थानों पर सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व शांति के लिए न केवल वास्तु शास्त्र के अनुरूप आवास बनाना जरूरी होने के अलावा वास्तु देवता की पूजा व उपासना भी शुभ मानी गई है।
जानते हैं कौन है वास्तु देवता?
और कैसे खुशहाली के लिए करें वास्तु देव की नियमित पूजा व ध्यान? –
पौराणिक मान्यता है कि अंधकासुर को मारते हुए भगवान शंकर के मस्तक से गिरी पसीने की बूंदों से भयानक रूप वाला पुरुष प्रकट हुआ।
वह जगत को खाने के लिए आगे बढ़ा तो तब भगवान शंकर व सभी देवताओं ने उसे भूमि पर लेटाकर उसकी वास्तु पुरुष के रूप में प्रतिष्ठा कर स्वयं भी उसकी देह में निवास किया।
इस कारण वह वास्तुदेवता के रूप में पूजनीय हुआ।
वास्तुदेवता सभी देवशक्तियों का स्वरूप होने से ही नियमित देव पूजा में विशेष मंत्र से वास्तुदेव का ध्यान वास्तु दोष को दूर करने के लिए आसान उपाय माना गया है, जो घर में बिना किसी तोड़-फोड़ किए भी कारगर हो सकता है। जिसे इस तरह अपनाएं –
हर रोज इष्ट देव की पूजा के दौरान हाथों में सफेद चन्दन लगे सफेद फूल व अक्षत लेकर वास्तुदेव का नीचे लिखे वेद मंत्र से ध्यान कर घर-परिवार से सारे कलह, संकट व दोष दूर करने की कामना करें व फूल, अक्षत इष्टदेव को चढ़ाकर धूप, दीप आरती करें –
वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवो: भवान्। यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे।।
ऋग्वेद के इस मंत्र का सरल शब्दों में अर्थ है
– हे वास्तु देवता, हम आपकी सच्चे हृदय से उपासना करते हैं।
हमारी प्रार्थना को सुन आप हमें रोग-पीड़ा और दरिद्रता से मुक्त करें।
हमारी धन-वैभव की इच्छा भी पूरी करें। वास्तु क्षेत्र या घर में रहने वाले सभी परिजनों, पशुओं व वाहनादि का भी शुभ व मंगल करें।